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देश के PM-CM नहीं तो कौन छीन सकता है IAS की नौकरी, किसके पास है यह पावर?

भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की नौकरी को देश की सबसे प्रतिष्ठित और ताकतवर नौकरियों में से एक माना जाता है। IAS अधिकारियों को इतनी सुरक्षा और अधिकार दिए गए हैं कि उन्हें पद से हटाना बेहद जटिल प्रक्रिया है। इस नौकरी की प्रतिष्ठा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य के मुख्यमंत्री से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक के पास भी इन्हें बर्खास्त करने का सीधा अधिकार नहीं है।
देश के PM-CM नहीं तो कौन छीन सकता है IAS की नौकरी, किसके पास है यह पावर?
भारतीय समाज में सरकारी नौकरी का आकर्षण किसी से छिपा नहीं है। यह नौकरी न केवल स्थायित्व प्रदान करती है, बल्कि समाज में सम्मान और सुरक्षा की भावना भी देती है। खासकर, अगर बात भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की हो, तो यह सरकारी नौकरियों की शिखर पर मानी जाती है। IAS अधिकारी का ओहदा ऐसा होता है कि वह अपने इलाके में राजा की तरह काम करता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक IAS अधिकारी को नौकरी से हटाने की प्रक्रिया कितनी जटिल होती है? और ऐसा कौन कर सकता है? आइए इस विषय पर विस्तार से चर्चा करें और  IAS अधिकारियों की ताकत, उनके अधिकार और नौकरी से हटाने की प्रक्रिया से जुड़ी हर बात जानें।
IAS: सत्ता और प्रशासन का राजा
IAS अधिकारी का पद भारत की सबसे सम्मानित और ताकतवर नौकरियों में से एक है। UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) की कठिन परीक्षा पास करने के बाद IAS अधिकारी नियुक्त होते हैं। यह परीक्षा देश के सबसे होनहार और मेहनती युवाओं को प्रशासन में लाने के लिए जानी जाती है। IAS अधिकारी का चयन होने के बाद, उन्हें किसी राज्य के कैडर में नियुक्त किया जाता है और उनकी सेवाएं उस राज्य सरकार के अधीन होती हैं।

IAS अधिकारी को सेवा के दौरान कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभानी होती हैं। शुरुआत में ये एसडीएम (SDM) के पद पर नियुक्त होते हैं और अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर वे जिलाधिकारी (DM), राज्य सचिव, या मुख्य सचिव तक का पद हासिल कर सकते हैं। यहां तक कि वे केंद्र सरकार में सचिव या कैबिनेट सचिव जैसे पदों पर भी नियुक्त हो सकते हैं, जो देश की सर्वोच्च प्रशासनिक जिम्मेदारियों में से एक है।
IAS अधिकारी को नौकरी से हटाने की प्रक्रिया
IAS अधिकारी की नौकरी से बर्खास्तगी कोई आसान प्रक्रिया नहीं है। इसकी वजह यह है कि IAS अधिकारी ‘ए’ ग्रेड के अधिकारी होते हैं और उनकी नियुक्ति सीधे राष्ट्रपति के आदेश से होती है। इस कारण उन्हें हटाने के लिए कई स्तरों की जांच, अनुमोदन, और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ता है। IAS अधिकारियों की नियुक्ति तो राज्य कैडर में होती है, लेकिन वे राज्य सरकार के अधीन पूरी तरह से नहीं होते। राज्य सरकार के पास उन्हें केवल निलंबित करने का अधिकार होता है, वह भी तभी जब अधिकारी के खिलाफ गंभीर आरोप हों।

निलंबन के बाद, राज्य सरकार को संबंधित अधिकारी के खिलाफ विस्तृत रिपोर्ट बनाकर केंद्रीय कार्मिक विभाग (DoPT) को भेजनी होती है। यह विभाग केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है और सामान्यत: प्रधानमंत्री के अधीन होता है। इसके बाद ही अधिकारी के खिलाफ आगे की कार्रवाई शुरू की जा सकती है।
प्रधानमंत्री के पास क्या अधिकार हैं?
IAS अधिकारियों की बर्खास्तगी का अंतिम फैसला प्रधानमंत्री सीधे तौर पर नहीं लेते। हालांकि, प्रधानमंत्री कार्मिक विभाग के मुखिया होते हैं और उनके निर्देशन में ही कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया जाता है। इस प्रक्रिया के तहत, प्रधानमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति को अधिकारी को हटाने के लिए अंतिम आदेश देना होता है। IAS अधिकारी की नियुक्ति और बर्खास्तगी का अधिकार संविधान के तहत राष्ट्रपति के पास होता है। हालांकि, राष्ट्रपति इस अधिकार का उपयोग कैबिनेट की सिफारिश पर ही करते हैं। कैबिनेट सिफारिश करने से पहले संबंधित अधिकारी के खिलाफ सारे साक्ष्य और जांच रिपोर्ट की समीक्षा करता है।
IAS अधिकारियों की सुरक्षा और ताकत
IAS अधिकारी के पद की सुरक्षा और उनकी शक्तियां इस बात का प्रमाण हैं कि यह नौकरी केवल जिम्मेदारी ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक स्वतंत्रता भी प्रदान करती है। एक IAS अधिकारी को कई प्रकार की सरकारी सुविधाएं दी जाती हैं, जैसे शानदार सरकारी बंगले में रहने का प्रावधान, सुरक्षाकर्मी और ड्राइवर, राज्य सरकार द्वारा वाहन की सुविधा, और क्षेत्र में प्रशासनिक कार्यों के लिए सम्मान। इन सुविधाओं के साथ-साथ उन्हें प्रशासनिक स्वतंत्रता भी दी जाती है, ताकि वे जनता के हित में बिना किसी दबाव के फैसले ले सकें।

IAS अधिकारी को हटाने के मामले बहुत दुर्लभ होते हैं। यह तभी संभव है जब उनके खिलाफ गंभीर आरोप साबित हो जाएं। उदाहरण के लिए भ्रष्टाचार के मामले, राजनीतिक पक्षपात, लोकसेवा नियमों का उल्लंघन। इतना ही नहीं, एक बार बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू होने के बाद, अधिकारी के पास न्यायिक समीक्षा का अधिकार होता है। यानी वे अदालत में अपील कर सकते हैं। यह सच है कि एक IAS अधिकारी को हटाने की प्रक्रिया जटिल है और इसमें कानून का सख्ती से पालन करना होता है। यही कारण है कि IAS अधिकारियों को उनकी शक्तियों के साथ जिम्मेदारी भी दी जाती है।

IAS की नौकरी केवल एक पद नहीं, बल्कि यह भारतीय प्रशासन की रीढ़ है। इस पद की सुरक्षा और इसके साथ मिलने वाली स्वतंत्रता यह सुनिश्चित करती है कि अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन निडर होकर कर सकें।
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