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Yogi और Modi से भी तेज है CM Dhami की लोकप्रियता ? वजहें जान लीजिए !

त्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की लोकप्रियता को बीजेपी लोकसभा चुनाव में उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से लेकर पश्चिम तक भुना रही है। पार्टी में भी उनके नाम पर सब एक साथ हैं। आखिर धामी के पास वो कौन सा मंत्र है, जिससे उनकी चर्चा दिनों-दिन बढ़ रही है ?
Yogi और Modi से भी तेज है CM Dhami की लोकप्रियता ? वजहें जान लीजिए !
पुष्कर सिंह धामी सियासत में वो नाम हैं, जिनकी वजह से भारतीय जनता पार्टी ने अपनी नीति तक में बड़ा बदलाव कर दिया। बस, ये वो बात है जो बताने के लिए काफ़ी है कि धामी का क़द और काम दोनों कितना अहम है पार्टी में। 

सियासत में कम ही नेता ऐसे होते हैं, जिनके नाम पर उनकी पार्टी पुरानी बातों को किनारे कर नई बातों को तवज्जो देती है। लेकिन ये सब ऐसे नहीं होता है। इसके लिए बहुत सारे जतन और लगन दोनों का तालमेल होना ज़रूरी है। 

किसी नेता के लिए ये बात क्या किसी तारीफ़ से कम तो नहीं कि वो ख़ुद अपनी सीट नहीं बचा पाए, बावजूद इसके सीएम का पद उन्हें ही दिया गया। आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों तो इसके पीछे कई कारण हैं। 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि धामी को दूसरी बार सीएम बनाकर बीजेपी ने दूर से ही बहुत कुछ बता दिया है। क्योंकि उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के दौरान धामी नायक बनकर उभरे थे। और उसके बाद भी उन्होंने जो फैसले लिए हैं। वो चौंकाने वाले हैं। 

बीजेपी अब उस दौर में है, जब पार्टी सेकेंड लेयर लीडरशिप को तैयार करने में लगी है। और धामी उसमें पूरी 

तरह से फिट बैठते हैं। पिछले जितने दिनों से वो सत्ता में हैं, उनकी ईमानदारी की पार्टी ने खूब तारीफ की है। क्योंकि उन्होंने राज्य के विकास के लिए बाकी किसी भी मुख्यमंत्री से बेहतर काम किया है। ऐसे में भाजपा शीर्ष नेतृत्व को लगता है कि वे पार्टी को प्रदेश में एकजुट रखने में सफल होंगे। उन्होंने प्रदेश में जिस प्रकार से एंटी इनकंबैंसी को खत्म किया, उससे उनकी नेतृत्व क्षमता खिलकर सामने आई है।

उत्तराखंड की राजनीति के जानकार बताते हैं कि.. विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी धामी का सीएम बनना, कई बातों की तरफ इशारा करता है। उस वक्त में पुष्कर धामी ने अपनी सीट को छोड़कर पूरे प्रदेश में प्रचार किया, हालांकि वो ये जानते थे कि उनकी सीट खटिमा में फंस गई है। वो हार भी सकते हैं। लेकिन उन्होंने प्रचार को रोका नहीं। और ये बात केंद्रीय नेतृत्व को बहुत ज्यादा प्रभावित कर गई।

धामी के कुछ काम की जबरदस्त तारीफ हुई। और कहा गया कि ये उत्तराखंड के विकास में बहुत बड़ा रोल अदा करने वाला है।


ये वो योजनाएं हैं जिससे धामी की ना केवल बीजेपी में लोकप्रियता बढ़ी। बल्कि धामी की लोकप्रियता भी बाकी नेताओं की तुलना में शिखर पर है। कहते हैं कि अपने कुशल राजनीतिक दूर दृष्टि के दम पर जनता के साथ-साथ धामी ने केंद्रीय नेतृत्व का दिल भी जीत लिया है। 

आलाकमान, पुष्कर सिंह धामी से इसलिए भी खुश है क्योंकि उन्होंने पिछले कुछ सालों में प्रदेश में बीजेपी की जो गलत छवि बन रही थी, उसे पूरी तरह से खत्म कर दिया है। मतलब, धामी ने पार्टी की प्रदेश में बन रही छवि से उलट अपने काम को जमीन पर उतारने और उसका सीधा लाभ जनता को दिलाने की कोशिश की है। ये भी सच है कि वो जब उत्तराखंड में सत्ता संभाल रहे थे तो उनके खिलाफ माहौल बन गया था। लेकिन आज की तारीख में बात कुछ और है। जनता को धामी के गुण गा ही रही है। पार्टी आलाकमान भी पुष्कर सिंह धामी में अपना भविष्य देख रही है। 
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