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Nepal ने किया Sonia Gandhi का अपमान, सबसे बड़े मंदिर में क्यों नहीं घुसने दिया ?

Nepal के Pashupati Nath Mandir में सिर्फ हिंदुओं को ही दर्शन पूजन करने की इजाजत है, गैर हिंदुओं को नहीं, जिसका खामियाजा एक बार फिर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी भुगतना पड़ा था, उन्हें तो मंदिर में प्रवेश करने से ही रोक दिया गया था, वो भी तब, जब उनके पति राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री थे !
Nepal ने किया Sonia Gandhi का अपमान, सबसे बड़े मंदिर में क्यों नहीं घुसने दिया ?

सनातन धर्म को मानने वाले ये बात अच्छी तरह से जानते हैं कि भारत के तिरुपति बालाजी मंदिर और पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तरह ही नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर भी एक ऐसा मंदिर है जहां सिर्फ और सिर्फ हिंदुओं को ही दर्शन पूजन करने की इजाजत दी जाती है। गैर हिंदुओं का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है। इसका खामियाजा एक बार फिर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को भुगतना पड़ा था। उन्हें मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया गया था, क्योंकि वह हिंदू नहीं थीं—यह तब हुआ था जब उनके पति राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री थे।

यह बात साल 1988 के दिसंबर महीने की है, जब राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे। पड़ोसी देश नेपाल उस वक्त दुनिया का एकमात्र हिंदू राजशाही वाला देश था, जिसके साथ हिंदुओं की सबसे ज्यादा आबादी वाले भारत के बेहतर रिश्ते थे। इसी दौरान तत्कालीन पीएम राजीव गांधी अपनी पत्नी सोनिया गांधी के साथ नेपाल के दौरे पर गए थे, और वह चाहते थे कि पत्नी सोनिया गांधी के साथ पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन पूजन करें। लेकिन राजीव गांधी जानते थे कि पशुपतिनाथ मंदिर में सिर्फ हिंदुओं को ही दर्शन की इजाजत दी जाती है, और उनकी पत्नी सोनिया गांधी ईसाई हैं। इसलिए, राजीव गांधी ने नेपाल के तत्कालीन राजा बीरेंद्र बीर बिक्रम से आश्वासन मांगा कि उनकी पत्नी सोनिया गांधी को मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा।

हालांकि, मंदिर प्रबंधन ने पहले ही भारतीय दूतावास को बता दिया था कि राजीव गांधी का स्वागत है, लेकिन सोनिया गांधी को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा क्योंकि वह हिंदू नहीं हैं। एक तरफ जहां पशुपतिनाथ मंदिर के प्रबंधन ने सोनिया गांधी को प्रवेश देने से साफ इंकार कर दिया, वहीं राजा बीरेंद्र बीर बिक्रम ने भी इस मामले में कोई आदेश नहीं दिया। कहा जाता है कि राजा बीरेंद्र की पत्नी, महारानी ऐश्वर्या, मंदिर के ट्रस्ट के मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं और वह भी नहीं चाहती थीं कि ईसाई मूल की सोनिया गांधी पशुपतिनाथ मंदिर में कदम रखें। इसी वजह से सोनिया गांधी पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन नहीं कर पाईं।

इस घटना को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपमान के तौर पर लिया, क्योंकि भारत जैसे बड़े देश के प्रधानमंत्री होने के बावजूद वह अपनी पत्नी सोनिया को पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन नहीं करवा सके और बिना दर्शन किए ही उन्हें भारत वापस लौटना पड़ा। उस वक्त भारत और नेपाल के रिश्ते अच्छे थे, और कहा जा रहा था कि राजीव गांधी के इस दौरे से ये रिश्ते और मजबूत होंगे, लेकिन इसका उल्टा हुआ। कहा जाता है कि इस घटना के कुछ समय बाद भारत ने नेपाल पर नाकेबंदी लगा दी, और राजीव गांधी के इस फैसले को सोनिया गांधी के अपमान का बदला माना जाने लगा, जिससे भारत और नेपाल के रिश्तों में तल्खी आ गई।

पूर्व रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के विशेष निदेशक अमर भूषण ने अपनी किताब "इनसाइड नेपाल" में यह भी खुलासा किया है कि राजीव गांधी के शासनकाल में कैसे एजेंसी ने नेपाल की राजशाही को उखाड़ फेंकने के लिए काम किया था।

करीब 36 साल बाद इस मामले पर फिर से चर्चाएं शुरू हो गई हैं, क्योंकि कांग्रेस की पुरानी नेता और अब बीजेपी में शामिल राधिका खेड़ा ने टीवी चैनल पर एक डिबेट के दौरान बताया था कि…

"पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल में सिर्फ हिंदू दर्शन कर सकते हैं। सोनिया गांधी जी को रोकने पर पीएम राजीव गांधी जी ने पूरे नेपाल को सजा दी। भारत ने नेपाल को पेट्रोल भेजना बंद कर दिया। कांग्रेस सरकार ने गांधी परिवार के अहंकार को ऊपर रखा, न ही हिंदू धर्म का सम्मान किया, न ही पड़ोसी देश नेपाल का।"

राधिका खेड़ा के इसी बयान के बाद एक बार फिर 1988 की नेपाल घटना पर चर्चा शुरू हो गई कि कैसे नेपाल ने हिंदुओं के पशुपतिनाथ मंदिर में ईसाई धर्म की सोनिया गांधी को मंदिर में घुसने नहीं दिया था, जिससे तत्कालीन पीएम राजीव गांधी नाराज हो गए थे और एक हिंदू होने के बावजूद उन्होंने भी मंदिर में दर्शन नहीं किया और वापस लौट आए थे। बीजेपी ने गंभीर आरोप लगाया कि गांधी परिवार ने अपने अहंकार को ऊपर रखा और न ही हिंदू धर्म का सम्मान किया, न ही पड़ोसी देश नेपाल का।


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