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'एक भी आतंकी जिंदा नहीं बचना चाहिए', 26/11 की रात रतन टाटा ने कैसे जीता लोगों का दिल

रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया, लेकिन उनकी यादें और कार्य सदैव जिंदा रहेंगे। 26/11 के हमले के दौरान, जब आतंकियों ने ताज होटल को निशाना बनाया, रतन टाटा ने साहस और संवेदनशीलता का परिचय दिया।
'एक भी आतंकी जिंदा नहीं बचना चाहिए', 26/11 की रात रतन टाटा ने कैसे जीता लोगों का दिल
RATAN TATA: देश के प्रसिद्ध उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का 9 अक्टूबर 2024 को 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका जीवन और कार्य एक प्रेरणा स्रोत रहा है, विशेषकर उनके द्वारा किए गए समाज सेवा के कार्य। रतन टाटा की पहचान केवल एक सफल व्यवसायी के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसे इंसान के रूप में भी थी जिन्होंने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझा और उसे निभाया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने 26/11 के आतंकवादी हमले के दौरान कैसे अद्भुत साहस दिखाया था? इस लेख में हम रतन टाटा के जीवन के इस महत्वपूर्ण पल के बारे में जानेंगे, जो न केवल उनके व्यक्तिगत साहस को दर्शाता है, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा भी है।

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ। उन्होंने अपनी शिक्षा प्रीटीथर कॉलेज और बाद में अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पूरी की। 1962 में टाटा समूह में शामिल होने के बाद, उन्होंने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को सफलतापूर्वक संभाला। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने नई ऊँचाइयाँ छुईं, जैसे टाटा नैनो, टाटा मोटर्स का अधिग्रहण, और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज का वैश्विक विस्तार। लेकिन उनकी पहचान सिर्फ व्यवसायी के रूप में नहीं, बल्कि एक संवेदनशील इंसान के रूप में भी रही है।

26/11 हमले का घटनाक्रम
आपको याद होगा 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। पाकिस्तानी आतंकियों ने ताज होटल, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, और अन्य प्रमुख स्थानों पर अंधाधुंध फायरिंग की। इस हमले के समय रतन टाटा मुंबई में मौजूद थे, और उन्होंने अपने अद्भुत साहस का परिचय दिया। उस समय, वे 70 वर्ष के थे और उन्होंने ताज होटल की सुरक्षा के लिए खुद को जोखिम में डालने का निर्णय लिया।

जब रतन टाटा को पता चला कि होटल के अंदर गोलीबारी हो रही है, तो उन्होंने तुरंत सुरक्षा अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन जब कोई उनकी कॉल का जवाब नहीं दे सका, तब उन्होंने अपने आप को ताज होटल की ओर बढ़ाया। वहाँ पहुँचने पर, उन्हें प्रवेश करने से रोक दिया गया क्योंकि गोलियाँ चल रही थीं। उस समय, उन्होंने सुरक्षा बलों से कहा, "पूरी प्रॉपर्टी को ही बम से उड़ा दो, लेकिन एक भी आतंकवादी को बचने मत दो।" यह शब्द उनके साहस और देश के प्रति उनकी जिम्मेदारी को दर्शाते हैं।

हमले के बाद की प्रतिक्रियाएँ
हमले के बाद, रतन टाटा ने ताज होटल को फिर से खोलने की बात की और उन सभी लोगों के परिवारों का समर्थन करने का वादा किया जो हमले में मारे गए थे। उन्होंने ताज होटल के स्टाफ की हिम्मत की सराहना की और कहा कि हमले के बाद, यह आवश्यक है कि हम फिर से खड़े हों और आगे बढ़ें।

रतन टाटा का जीवन केवल व्यापार तक सीमित नहीं था। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। टाटा ट्रस्ट के माध्यम से, उन्होंने समाज के वंचित वर्गों के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की। उनके काम ने समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद की और उन्हें एक महान नेता के रूप में स्थापित किया।

रतन टाटा का निधन देश के लिए एक बड़ी क्षति है। उनका साहस, नेतृत्व और समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता हमें सिखाती है कि सच्चा नेतृत्व सिर्फ व्यवसाय में ही नहीं, बल्कि समाज के उत्थान में भी है। 26/11 के हमले के दौरान उनकी प्रतिक्रिया ने न केवल उनकी साहसिकता को दर्शाया, बल्कि पूरे देशवासियों को भी एकजुट भी किया। 
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