बांग्लादेश में पावर क्राइसिस, जानिए क्या है अडानी और बांग्लादेश के पावर संबंध का पूरा विवाद
बांग्लादेश, जो पहले से ही गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है, अब बिजली संकट का सामना कर सकता है। अडानी पावर झारखंड लिमिटेड (APJL), जो बांग्लादेश की बिजली आपूर्ति का लगभग 30% प्रदान करता है, ने 7,200 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान के लिए 7 नवंबर तक का अल्टीमेटम दिया है। अगर बकाया राशि का भुगतान नहीं हुआ, तो अडानी पावर सप्लाई रोक सकता है, जिससे बांग्लादेश में ब्लैकआउट की स्थिति पैदा हो सकती है।
बांग्लादेश एक गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है, और इसी बीच देश पर एक और बड़ी मुसीबत मंडरा रही है। सबसे बड़े बिजली आपूर्तिकर्ताओं में से एक, अडानी पावर झारखंड लिमिटेड (APJL), जो बांग्लादेश की कुल जरूरत का 30% तक बिजली आपूर्ति करता है, ने बकाया राशि न मिलने पर बांग्लादेश को बिजली की सप्लाई रोकने की चेतावनी दी है। इस समय बांग्लादेश की सरकारी कंपनी, बांग्लादेश पावर डेवलेपमेंट बोर्ड (BPDB), पर APJL का 85 करोड़ डॉलर यानी लगभग 7,200 करोड़ रुपये का बकाया है।
अडानी पावर ने बकाया राशि का भुगतान करने के लिए बांग्लादेश सरकार को 7 नवंबर तक का अल्टीमेटम दिया है। अगर बकाया राशि का भुगतान नहीं हुआ, तो बांग्लादेश में बिजली की आपूर्ति रुकने से देश में ब्लैकआउट का खतरा बन सकता है। इस खबर ने बांग्लादेश के आर्थिक हालात को और भी गंभीर बना दिया है, क्योंकि पहले से ही विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट और आर्थिक अस्थिरता जैसी चुनौतियां बांग्लादेश का पीछा नहीं छोड़ रही हैं।
बांग्लादेश और अडानी का पावर संबंध
अडानी पावर और बांग्लादेश सरकार के बीच बिजली आपूर्ति के लिए एक समझौता नवंबर 2017 में हुआ था। इसके तहत अडानी पावर झारखंड के गोड्डा प्लांट से बांग्लादेश को बिजली सप्लाई करने के लिए सहमत हुआ था। इस प्लांट से प्रतिदिन 1,496 मेगावॉट बिजली बांग्लादेश को जाती है। समझौते के अनुसार, APJL अगले 25 वर्षों तक बांग्लादेश को बिजली देगा, और बांग्लादेश सरकार इसे 10-12 टका प्रति यूनिट की दर से भुगतान करती है।
अडानी पावर के इस समझौते के बाद बांग्लादेश को बिजली की बड़ी आपूर्ति मिलने लगी, लेकिन अब इस राशि को चुकाने में बांग्लादेश सरकार की असमर्थता के कारण इस समझौते पर खतरा मंडरा रहा है।
बकाया क्यों बढ़ रहा है?
बांग्लादेश पर अडानी पावर का बकाया इसलिए बढ़ता जा रहा है क्योंकि मौजूदा सरकार पर्याप्त भुगतान करने में असमर्थ है। जब शेख हसीना की सरकार थी, तब BPDB हर महीने लगभग 6-6.5 करोड़ डॉलर का भुगतान अडानी पावर को करती थी। लेकिन मोहम्मद यूनुस की नई सरकार बनने के बाद, यह राशि घटा दी गई। इसके परिणामस्वरूप, अब तक बकाया राशि 7,200 करोड़ तक पहुँच चुकी है। हाल के महीनों में बांग्लादेश सरकार ने जुलाई-अगस्त में केवल 3.1 करोड़ डॉलर, सितंबर में 8.7 करोड़ डॉलर और अक्टूबर में 9.7 करोड़ डॉलर का ही भुगतान किया है।
बकाया राशि न चुकाने का कारण क्या है?
बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले कुछ समय से लगातार गिरता जा रहा है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है। जून में विदेशी मुद्रा भंडार 25,823 मिलियन डॉलर था, जो सितंबर तक गिरकर 24,863 मिलियन डॉलर रह गया है। ऐसे में बांग्लादेश के लिए बड़ी रकम चुकाना मुश्किल हो गया है।
इसके अलावा, मोहम्मद यूनुस की सरकार ने सत्ता संभालते ही अडानी पावर के साथ हुए इस डील की समीक्षा करने का निर्णय लिया। यूनुस सरकार का मानना है कि अडानी पावर बहुत महंगी दरों पर बिजली बेच रहा है। इसके चलते, बांग्लादेश ने भुगतान में देरी की और अडानी पावर को छोटे किश्तों में भुगतान करने की कोशिश की।
7 नवंबर तक का अल्टीमेटम
अडानी पावर ने बांग्लादेश को चेतावनी दी है कि अगर 7 नवंबर तक 7,200 करोड़ का भुगतान नहीं किया गया, तो बिजली की सप्लाई को बंद कर दिया जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो इसका असर बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर गंभीर हो सकता है। हाल ही में बांग्लादेश ने अडानी पावर को 17 करोड़ डॉलर का एक लेटर ऑफ क्रेडिट देने की बात की थी। हालांकि, इसे कमर्शियल बैंक की बजाय कृषि बैंक से देने का प्रस्ताव दिया गया था, जिसे अडानी पावर ने अस्वीकार कर दिया।
बांग्लादेश के पास पहले से ही बिजली उत्पादन के अन्य साधन हैं, जैसे कि पायरा प्लांट, रामपाल प्लांट, और बांसखाली प्लांट। लेकिन इनमें से भी कुछ प्लांट्स कोयला संकट के कारण उत्पादन में गिरावट का सामना कर रहे हैं। इस कारण, यदि अडानी पावर की सप्लाई रुकती है, तो बांग्लादेश में बिजली संकट और भी गहरा सकता है।
बिजली संकट का गारमेंट इंडस्ट्री पर होगा असर
बिजली संकट का सबसे बड़ा असर बांग्लादेश की गारमेंट इंडस्ट्री पर पड़ेगा। गारमेंट और टेक्सटाइल इंडस्ट्री का देश की जीडीपी में 12% से अधिक योगदान है और यह निर्यात आय का सबसे बड़ा स्रोत भी है। बिजली संकट के चलते गारमेंट इंडस्ट्री का उत्पादन प्रभावित हो सकता है, जिससे निर्यात घटने की संभावना है।
निर्यात घटने का सीधा असर विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ेगा, जो पहले से ही कम हो रहा है। इसके साथ ही, बांग्लादेश की सरकार पर अंतर्राष्ट्रीय बाजार से कोयला और अन्य कच्चे माल खरीदने का दबाव भी बढ़ेगा, जो उसके मौजूदा वित्तीय हालात को और बिगाड़ सकता है। लेकिन अगर बांग्लादेश भुगतान नहीं कर पाता और अडानी पावर बिजली सप्लाई रोक देता है, तो इसका असर अडानी पावर पर भी हो सकता है। गोड्डा प्लांट से बिजली की सप्लाई केवल बांग्लादेश के लिए ही की जाती है। ऐसे में, अगर बांग्लादेश ने सप्लाई रोकने का फैसला लिया तो अडानी पावर को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि अडानी पावर और बांग्लादेश सरकार के बीच एक मध्यस्थता समझौता हो सकता है ताकि बिजली की आपूर्ति बाधित न हो। अडानी पावर बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए कुछ रियायतें दे सकता है। लेकिन फिलहाल इसमें समय लगेगा और बांग्लादेश के लिए यह ज़रूरी है कि वह जल्द ही बकाया भुगतान का प्रबंध करे। अन्यथा, देश के लिए बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है।
इस समय बांग्लादेश की बिजली जरूरतों का बड़ा हिस्सा अडानी पावर द्वारा पूरा किया जा रहा है, और इसी कारण दोनों देशों के बीच यह समझौता महत्वपूर्ण है। इस संकट में एक बात स्पष्ट है कि बांग्लादेश के लिए यह आवश्यक है कि वह अपनी बिजली आपूर्ति को सुचारू बनाए रखने के लिए अडानी पावर के साथ समझौता करे।