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Pushkar Singh Dhami Birthday: कहानी उस सूबेदार के बेटे की जो बना उत्‍तराखंड का सीएम

आज हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की। जो 16 सितंबर को 49 साल के हो गए हैं, ऐसे में आइए नजर डालते हैं उनके राजनीतिक सफर पर।
Pushkar Singh Dhami Birthday: कहानी उस सूबेदार के  बेटे की जो बना उत्‍तराखंड का सीएम
Pushkar Singh Dhami Birthday : आज हम एक ऐसे नेता की बात कर रहे हैं जो भारतीय राजनीति के मंच पर तेजी से उभरता हुआ चेहरा है। उत्तराखंड के इस युवा नेता की संघर्षमयी यात्रा न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि इस बात का प्रमाण है कि अगर इरादे मजबूत हों तो सफलता अपने आप कदम चूमती है। जी हां दरअसल हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की।  सीएम धामी को आज 49 साल के हो गए हैं, ऐसे में आइए नजर डालते हैं उनके राजनीतिक सफर पर।
पुष्कर सिंह धामी जिनका जन्म 16 सितंबर, 1975 को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के एक छोटे से गांव टुंडी में हुआ। उनकी सादगी और जुझारूपन की जड़ें उनके बचपन से ही गहरी हो चुकी थीं। पुष्कर सिंह धामी का शुरुआती जीवन साधारण परिस्थितियों में बीता। उनके पिता एक सेवानिवृत्त सूबेदार थे, जिन्होंने सेना में अपनी सेवाएं दी थीं। अपने परिवार की जिम्मेदारियों को निभाते हुए धामी ने अपनी शिक्षा जारी रखी। धामी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई टुंडी गांव में की, और बाद में उनका परिवार कुमाऊं के खटीमा इलाके में बस गया, जहां से उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा की ओर कदम बढ़ाए। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से मानव संसाधन प्रबंधन में स्नातक और फिर विधि में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। धामी का बचपन से ही समाज सेवा की ओर झुकाव था। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान छात्र राजनीति में हिस्सा लिया, जहां वे अपनी नेतृत्व क्षमता और जनसेवा के लिए पहचाने जाने लगे। उनके दृढ़ इरादे और लगन ने उन्हें राजनीति में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
पुष्कर सिंह धामी की राजनीतिक कैरियर की बात करें तो उनकी राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1990 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से हुई। एबीवीपी के सदस्य के रूप में उन्होंने छात्र राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लिया और राज्य मंत्री के रूप में विभिन्न जिम्मेदारियों को संभाला। इसी दौरान उन्होंने उत्तराखंड के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने की बात जोर-शोर से उठाई। धामी ने 2002 से 2008 तक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की युवा शाखा ‘युवा मोर्चा’ के अध्यक्ष के रूप में भी सेवा की। उनकी नेतृत्व क्षमता और संगठनात्मक कौशल ने उन्हें राजनीति में एक मजबूत स्थिति दिलाई। उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि राज्य के उद्योगों में 70% रोजगार के अवसर स्थानीय युवाओं को दिए जाएं, जो एक महत्वपूर्ण कदम था। उनकी मेहनत और जनहित के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें पार्टी के भीतर और जनता के बीच एक लोकप्रिय नेता बना दिया।
विधायक से मुख्यमंत्री तक का सफर
2012 में, धामी ने पहली बार खटीमा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद 2017 में भी उन्होंने उसी सीट से जीत दर्ज की, जहां उनका जीत का अंतर 2,709 वोटों का था। धामी की राजनीतिक सूझबूझ और जनसंपर्क की क्षमता ने उन्हें उत्तराखंड की राजनीति में एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित कर दिया।
जुलाई 2021 में, जब उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इस्तीफा दिया, तब पुष्कर सिंह धामी को राज्य का 10वां मुख्यमंत्री बनाया गया। 45 वर्ष की आयु में धामी उत्तराखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने। उनकी नियुक्ति ने राज्य की राजनीति में नई ऊर्जा का संचार किया, और उनके नेतृत्व में राज्य ने कई अहम निर्णय लिए। हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव में वे खटीमा सीट से हार गए, लेकिन बीजेपी ने राज्य में फिर से सत्ता में वापसी की, और धामी को एक बार फिर मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया। इस हार के बावजूद, पार्टी और जनता का उन पर विश्वास बरकरार रहा, जिससे उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
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