चकराता का अनसुना इतिहास: 1962 के युद्ध के बाद क्यों बंद हो गई विदेशियों की एंट्री?
चकराता का अनसुना इतिहास: उत्तराखंड की खूबसूरती का वर्णन करते हुए कई बार इसे धरती का स्वर्ग कहा जाता है। नेचर लवर्स के लिए यह राज्य एक खजाना है, जहाँ हर मोड़ पर प्रकृति के अद्भुत नज़ारे देखने को मिलते हैं। इसी स्वर्ग में छुपी हुई एक जादुई जगह है – चकराता। ब्रिटिश काल में बसाई गई यह जगह आज एक हिल स्टेशन के रूप में जानी जाती है, जहाँ केवल भारतीय नागरिक ही घूमने आ सकते हैं। जी हां बिल्कुल सही पढ़ा आपने यहां पर विदेशी पर्यटकों का आना बैन है। चकराता की विशेषता सिर्फ इसकी सुंदरता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जगह इतिहास, रोमांच और शांति का अनूठा संगम भी है। आइए, इस अनमोल धरोहर से जुड़ी कुछ ऐसी दिलचस्प बातें जानते हैं, जो शायद ही आपने सुनी होगी।
चकराता की स्थापना साल 1866 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने की थी। उस समय के उच्च अधिकारी और अंग्रेजी अधिकारी गर्मियों की छुट्टियाँ बिताने के लिए यहाँ आते थे। ठंडी हवा, हरे-भरे पेड़ और शांति भरा माहौल इस जगह को खास बनाते थे। इसलिए साल 1869 में इस जगह को ब्रिटिश कैंटोनमेंट बोर्ड के अधीन कर दिया गया। इसके बाद, यह जगह ब्रिटिश अधिकारियों के लिए गर्मियों में आराम करने की पसंदीदा जगह बन गई। यहां की भौगोलिक स्थिति, ऊंचाई और प्राकृतिक सुंदरता ने इसे ब्रिटिश हुकूमत के लिए खास बना दिया था।
लेकिन साल 1947 में जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तो देश के अन्य हिस्सों की तरह चकराता में भी बदलाव शुरू हुए। आजादी के बाद, ब्रिटिश प्रशासनिक ढांचे को भारतीय सेना और सरकार ने संभाल लिया। ब्रिटिश अधिकारियों के लिए चकराता की विशेष स्थिति समाप्त हो गई, और यह भारतीय नागरिकों और सेना के लिए अधिक सुलभ हो गया।हालांकि, साल 1962 के भारत-चीन युद्ध ने चकराता की रणनीतिक स्थिति को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। चकराता हिमालय की तलहटी में स्थित है और इसकी निकटता चीन से सटी भारतीय सीमा के लिए काफी अहम थी। युद्ध के दौरान भारत ने महसूस किया कि इस क्षेत्र की सुरक्षा को मजबूत करना बहुत जरूरी है। इसलिए साल 1962 के युद्ध के बाद, भारतीय सेना ने इस क्षेत्र में तिब्बती यूनिट की स्थापना की। इस यूनिट में तिब्बती योद्धाओं को शामिल किया गया, जो चीन से भागकर आए थे और भारत की सुरक्षा में मदद करना चाहते थे। यह यूनिट भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक बल बन गई, विशेष रूप से पर्वतीय युद्ध के संदर्भ में। इसलिए, सुरक्षा के मद्देनजर चकराता को एक हाई-सिक्योरिटी जोन बना दिया गया। आज यहां इंडियन आर्मी का कैंप स्थापित है, और सुरक्षा कारणों की वजह से विदेशी पर्यटकों का प्रवेश चकराता में पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया। यह कदम इस वजह से भी उठाया गया था ताकि चकराता और उसके आसपास की संवेदनशील सुरक्षा जानकारी किसी विदेशी ताकत के हाथ न लगे। इसके अलावा इसकी भौगोलिक स्थिति इसे एक अहम सैन्य स्थल बनाती है, और इसी वजह से भारतीय सेना ने इसे अपने नियंत्रण में रखा हुआ है।