क्या है कोल्ड डे? कब और कैसे होता है इसका ऐलान?
देश के उत्तरी इलाकों में इस समय कड़ाके की ठंड अपना असर दिखा रही है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, और हरियाणा जैसे राज्यों में तापमान सामान्य से काफी नीचे गिर चुका है, जिसके कारण जनजीवन प्रभावित हो गया है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि "कोल्ड डे" का मतलब क्या होता है? मौसम विभाग के अनुसार, कोल्ड डे तब घोषित किया जाता है जब न्यूनतम तापमान सामान्य से 10 डिग्री सेल्सियस कम हो और अधिकतम तापमान भी सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस नीचे हो।
उत्तर भारत में ठंड इस बार अपने चरम पर है। दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक ठंड ने जनजीवन को थाम दिया है। कई स्थानों पर तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे पहुंच चुका है, जबकि पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी के कारण स्थिति और भी गंभीर हो गई है। सड़कों पर ट्रैफिक धीमा पड़ गया है, ट्रेनें और फ्लाइट्स देरी से चल रही हैं, और आम लोगों की दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित हो गई है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर "कोल्ड डे" क्या होता है? और इसका ऐलान कब और क्यों किया जाता है?
क्या है कोल्ड डे का मतलब?
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, "कोल्ड डे" का निर्धारण अधिकतम और न्यूनतम तापमान के आधार पर किया जाता है। जब किसी स्थान पर न्यूनतम तापमान सामान्य से 10 डिग्री सेल्सियस या उससे कम हो, और साथ ही अधिकतम तापमान सामान्य से कम से कम 4.5 डिग्री सेल्सियस कम हो, तो उस दिन को कोल्ड डे घोषित किया जाता है। मैदानी और पहाड़ी इलाकों में अलग-अलग मानक हैं। उदाहरण के लिए मैदानी इलाकों में न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस या उससे कम होने पर इसे "कोल्ड वेव" माना जाता है। पहाड़ी इलाकों में जब न्यूनतम तापमान 0 डिग्री सेल्सियस या उससे कम हो, तो वहां कोल्ड डे की स्थिति बनती है।
सरकार और मौसम विभाग कोल्ड डे की घोषणा तब करते हैं जब ठंड के कारण सामान्य जनजीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है। कोल्ड डे की घोषणा के बाद स्कूलों में छुट्टियां बढ़ा दी जाती हैं, और लोगों को ठंड से बचने के लिए जरूरी निर्देश दिए जाते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान जैसे राज्यों में ठंड के चलते पहले ही स्कूलों की छुट्टियां बढ़ा दी गई हैं। मेरठ और लखनऊ जैसे शहरों में स्थानीय प्रशासन ने सड़कों पर अलाव जलाने और बेघरों के लिए रैनबसेरों की व्यवस्था की है।
कोल्ड डे और सीवियर कोल्ड डे में अंतर
कोल्ड डे और सीवियर कोल्ड डे (अत्यधिक ठंड) में अंतर तापमान के स्तर पर निर्भर करता है। कोल्ड डे अधिकतम तापमान सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस कम होता है।
सीवियर कोल्ड डे अधिकतम तापमान सामान्य से 6.5 डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है। सीवियर कोल्ड डे में ठंड का असर और ज्यादा घातक होता है। यह स्थिति विशेष रूप से उन इलाकों में अधिक खतरनाक होती है जहां लोग ठंड से बचने के पर्याप्त उपाय नहीं कर पाते।
कोल्ड डे की स्थिति में खासतौर पर बुजुर्ग, बच्चे और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोग प्रभावित होते हैं। ठंड से निमोनिया, हाइपोथर्मिया, और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि लोग गर्म कपड़े पहनें, घरों में ही रहें और शरीर को हाइड्रेटेड रखें। सरकार की ओर से कोल्ड डे के दौरान राहत कैंप, गर्म कपड़ों और दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है। इसके अलावा, जनसंख्या को जागरूक करने के लिए मौसम विभाग और स्थानीय प्रशासन सोशल मीडिया और रेडियो के माध्यम से सूचनाएं साझा करते हैं।
ठंड के इस बढ़ते प्रकोप को जलवायु परिवर्तन से भी जोड़ा जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते मौसम का मिजाज अनिश्चित हो गया है। कहीं-कहीं असामान्य ठंड पड़ रही है तो कहीं बेमौसम बारिश।
कैसे बचें ठंड से?
गर्म कपड़े पहनें और शरीर को पूरी तरह ढकें।
घरों में हीटर या आग का इस्तेमाल करें।
गर्म पेय पदार्थों का सेवन करें।
बेघरों के लिए कंबल और रैनबसेरों की जानकारी स्थानीय प्रशासन से प्राप्त करें।
बच्चों और बुजुर्गों का खास ध्यान रखें।
"कोल्ड डे" केवल एक मौसम संबंधी शब्द नहीं है, बल्कि यह समाज के लिए एक चेतावनी है। यह दिन हमें सिखाता है कि प्रकृति की शक्ति के आगे इंसान कितना असहाय हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि हम सतर्क रहें और अपने आसपास के जरूरतमंदों की मदद करें। कोल्ड डे को समझना न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे जीवन और समाज पर इसके प्रभाव को पहचानने का भी जरिया है।