गणतंत्र दिवस पर चीफ गेस्ट बुलाने की परंपरा का इतिहास क्या है? जानें चीफ गेस्ट के चयन की पूरी प्रक्रिया
गणतंत्र दिवस पर हर साल एक विदेशी नेता को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाने की परंपरा भारत में 1950 से शुरू हुई। इस बार 2025 में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो को चीफ गेस्ट चुना गया है। यह चयन भारत और इंडोनेशिया के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारत का गणतंत्र दिवस हर साल 26 जनवरी को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। यह केवल एक राष्ट्रीय पर्व नहीं, बल्कि देश की आत्मा को अभिव्यक्त करने वाला दिन है। इस दिन को और भी खास बनाने के लिए, एक विदेशी नेता को चीफ गेस्ट के रूप में आमंत्रित किया जाता है। यह परंपरा 1950 में शुरू हुई थी, जब भारत ने पहली बार अपना संविधान लागू किया। इस साल, 2025 के गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो को चीफ गेस्ट के रूप में आमंत्रित किया गया है।
गणतंत्र दिवस पर अतिथि बुलाने की परंपरा खास क्यों?
गणतंत्र दिवस पर चीफ गेस्ट का चुनाव केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि भारत की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का प्रतिबिंब है। किसी विदेशी नेता को इस मौके पर आमंत्रित करना उस देश के साथ भारत की मित्रता और सहयोग को दर्शाता है। यह केवल सम्मान का प्रतीक नहीं, बल्कि कूटनीतिक संदेश भी होता है। चीफ गेस्ट को भारत के राष्ट्रपति द्वारा 21 तोपों की सलामी दी जाती है। उन्हें राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर होने वाली परेड में विशेष अतिथि के रूप में बैठने का गौरव प्राप्त होता है। साथ ही, राष्ट्रपति भवन में उनके सम्मान में विशेष स्वागत समारोह आयोजित किया जाता है।
चीफ गेस्ट के चयन की प्रक्रिया कैसे होती है?
चीफ गेस्ट का चयन करने की प्रक्रिया बेहद जटिल और सोच-समझकर की जाती है। यह काम भारत का विदेश मंत्रालय करता है और इसमें कई अहम पहलुओं पर विचार किया जाता है। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं:
राजनयिक संबंध: जिस देश के नेता को आमंत्रित किया जाता है, उसके साथ भारत के संबंधों को प्रमुखता दी जाती है। यह देखा जाता है कि दोनों देशों के बीच राजनीति, व्यापार, रक्षा, और सांस्कृतिक क्षेत्रों में कैसी भागीदारी है।
वैश्विक संदेश: भारत गणतंत्र दिवस पर अपने चीफ गेस्ट के माध्यम से एक वैश्विक संदेश भी देता है। उदाहरण के तौर पर, 2023 में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी को आमंत्रित किया गया, जिससे भारत और मिस्र के बीच रक्षा और आर्थिक सहयोग पर बल दिया गया।
भविष्य की संभावनाएं: चीफ गेस्ट का चयन भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के दृष्टिकोण से भी किया जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि उनके आने से दोनों देशों के लिए आर्थिक, सैन्य, और सांस्कृतिक लाभ हों।
सांकेतिक महत्व: कभी-कभी, चयन सांकेतिक होता है। जैसे, 2018 में आसियान देशों के 10 नेताओं को आमंत्रित किया गया, जिससे भारत ने अपनी 'एक्ट ईस्ट' नीति को प्रमुखता दी।
2025 के चीफ गेस्ट प्रबोवो सुबियांतो
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो को इस साल के गणतंत्र दिवस का चीफ गेस्ट चुना गया है। उनका चयन भारत और इंडोनेशिया के मजबूत ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक संबंधों को दर्शाता है। इंडोनेशिया दक्षिण पूर्व एशिया का सबसे बड़ा देश है और भारत की 'एक्ट ईस्ट' नीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसके अलावा, इंडोनेशिया के साथ समुद्री सुरक्षा और व्यापारिक संबंधों को मजबूती देना भारत की प्राथमिकताओं में से एक है।
आज के दौर में जब दुनिया राजनीतिक और आर्थिक खेमों में बंटी हुई है, चीफ गेस्ट का चुनाव केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि भारत की ताकत और कूटनीति को प्रदर्शित करता है। यह दिखाता है कि भारत वैश्विक मंच पर अपने सहयोगियों और मित्र देशों को कितना महत्व देता है। गणतंत्र दिवस पर चीफ गेस्ट का आना केवल एक समारोह नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता, कूटनीति, और वैश्विक सोच का प्रतीक है। 2025 में प्रबोवो सुबियांतो का आना इस बात का गवाह है कि भारत और इंडोनेशिया के संबंध कितने मजबूत हैं। यह दिन केवल भारतीयों के लिए नहीं, बल्कि उन सभी देशों के लिए गर्व का होता है, जो भारत के साथ खड़े होते हैं।
गणतंत्र दिवस पर, हर भारतीय का दिल गर्व से भर उठता है और यह पर्व हमें अपनी जिम्मेदारियों और अधिकारों की याद दिलाता है। इस साल, आइए हम सभी इस खास दिन को और भी उत्साह और गर्व के साथ मनाएं।