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किन्नरों के अंतिम संस्कार से जुड़े रहस्य, जूते-चप्पलों से पीटने का सच क्या है?

मुस्लिम किन्नरों का अंतिम संस्कार एक ऐसा विषय है, जिसे लेकर समाज में कई मिथक और भ्रांतियां फैली हुई हैं। इनमें सबसे विचलित करने वाली बात है कि किन्नरों को उनके अंतिम संस्कार के दौरान जूते-चप्पलों से पीटा जाता है।
किन्नरों के अंतिम संस्कार से जुड़े रहस्य, जूते-चप्पलों से पीटने का सच क्या है?
किन्नरों का जीवन सदियों से समाज के हाशिये पर रहा है।  उनके जीवन का एक बड़ा हिस्सा भेदभाव और समाज के अस्वीकार के दर्द में निकल जाता है। और उनके अंतिम सफर को लेकर, तो यह तक कहा जाता है, कि उनके शव को जूते-चप्पलों से पीटा जाता है, लेकिन क्या इस बात में कोई सच्चाई है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि मुस्लिम किन्नरों का अंतिम संस्कार आखिर कैसे किया जाता है? उनके शव को जूते-चप्पलों से पीटने वाली बातों में क्या जरा भी सच्चाई है? और सबसे बड़ा सवाल- कौन करता है किन्नरों का अंतिम संस्कार? 

दरअसल जब कोई किन्नर, खासकर मुस्लिम किन्नर, इस दुनिया को छोड़ता है, तो उनके अंतिम संस्कार को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं। समाज में कई तरह की अफवाहें हैं, जिनमें सबसे विचलित करने वाली बात यह है कि उनके शव को जूते-चप्पलों से पीटकर अंतिम संस्कार किया जाता है। यह सुनकर किसी के भी मन में सवाल उठ सकते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है? क्या यह सच है, या फिर यह सिर्फ एक मिथक है जो पीढ़ियों से चली आ रही है?

वैसे आपको बता दे इस कथित प्रथा का मकसद दरअसल आत्मा को पवित्र करना बताया जाता है। समाज में ऐसी धारणा है कि किन्नरों की आत्माएं उनकी मृत्यु के बाद भटकती रहती हैं और उन्हें शांति प्राप्त करने के लिए दंडित करना जरूरी होता है। हालांकि, यह सिर्फ एक अंधविश्वास है, जिसे समाज ने अपने हिसाब से गढ़ा है। मुस्लिम किन्नरों के समुदाय में इसका कोई धार्मिक या आधिकारिक मान्यता नहीं है।

मुस्लिम किन्नरों का अंतिम संस्कार किसी आम इंसान की तरह ही होता। उनका समाज उन्हें धार्मिक रीति-रिवाजों के तहत विदा करता है, लेकिन यह क्रिया भी साधारण नहीं होती। मुस्लिम किन्नरों का अंतिम संस्कार उनकी मान्यताओं के अनुसार किया जाता है। इस प्रक्रिया में किन्नर समुदाय के वरिष्ठ सदस्यों का अहम रोल होता है। जब कोई किन्नर इस दुनिया से जाता है, तो सबसे पहले उसके समुदाय के लोग इकट्ठा होते हैं। उसके शरीर को धोकर, नए कपड़े पहनाकर उसे तैयार किया जाता है। इस दौरान उनके लिए इबादत की जाती है, और खास दुआएं पढ़ी जाती हैं। मुस्लिम किन्नरों का जनाजा भी उसी तरीके से निकाला जाता है जैसे किसी और मुस्लिम का। उन्हें कब्र में दफनाया जाता है और उनके लिए दुआएं की जाती हैं।
कौन करता है अंतिम संस्कार?
मुस्लिम किन्नरों का अंतिम संस्कार अक्सर उनके समुदाय के लोग ही करते हैं। कभी-कभी किन्नरों के समुदाय के लोग ही यह जिम्मेदारी लेते हैं, क्योंकि समाज उन्हें अपनाने से कतराता है। यह एक अनोखी बात है कि उनके अंतिम संस्कार में अक्सर उनके अपने परिवार के सदस्य नहीं होते, बल्कि उनके किन्नर गुरू और उनके साथी होते हैं। ये लोग मिलकर अपने साथी को आखिरी विदाई देते हैं।

समाज में किन्नरों के प्रति भेदभाव और उनके अंतिम संस्कार से जुड़ी गलत धारणाएं एक बड़ा सवाल खड़ा करती हैं। जूते-चप्पलों से पीटने जैसी बातें सिर्फ अंधविश्वास और गलतफहमियों का नतीजा हैं। किन्नरों के अंतिम संस्कार में उनके अपने लोग ही शामिल होते हैं, जो उन्हें सम्मान के साथ विदा करते हैं। समाज को समझने की जरूरत है कि किन्नर भी इंसान हैं और उन्हें भी वही सम्मान मिलना चाहिए जो किसी अन्य इंसान को मिलता है।

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