कौन हैं London से लौटीं Divya Mittal जो बन गईं Yogi की 'लेडी सिंघम'
ये कहानी है यूपी की उस तेज तर्रार आईएएस अफसर Divya Mittal की जिनसे कभी मोदी की मंत्री ने ली थी टक्कर आज यूपी की हैं टॉप अफसर
Divya Mittal : ये जवाब है, एक जनसेवक का। ये जवाब है एक आईएएस अधिकारी का। ये जवाब है, एक डीएम का, जिसके लिए सबसे ऊपर है सिर्फ और सिर्फ आम आदमी। आम लोगों का हित। किसी भी मसले पर निचले तबके के लोगों के हित में ही फैसला लेना उस अधिकारी को अच्छा लगता है। जिसका नाम है- Divya Mittal। दिव्या यूपी कैडर की अधिकारी हैं। और फिलहाल उत्तर प्रदेश के देवरिया की डीएम हैं।
आईएएस दिव्या अपने काम के तरीके को लेकर चर्चाओं में बनी रहती हैं। और लोग उनके इसी तरीके को लेकर सोशल मीडिया पर खुलकर तारीफ करते हैं। दिव्या मित्तल कड़क तेवर के लिए जानी जाती हैं। उनकी पहचान में सबसे पहले नंबर पर उनके काम करने का तरीके है। ऐसा तरीका, जिसे एक बार
मोदी सरकार की मंत्री भी बर्दाश्त नहीं कर पाईं थीं। और दिव्या मित्तल का ट्रांसफर तक करवा दिया गया था। लेकिन कहते हैं कि, काम करने का जुनून हो तो हजारों दिक्कतें भी रोक नहीं पाती है। और ऐसा ही दिव्या मित्तल के साथ हुआ।
हाल ही में, दिव्या देवरिया में बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने गईं थीं। तभी एक अधिकारी ने कहा कि, मैडम धूप बहुत तेज है। बैठकर बात करते हैं। इसी बात पर दिव्या ने एक जवाब देकर लाखों लोगों का दिल जीत लिया। और ये बता दिया कि पॉलिसी डिलिवरी की परिभाषा क्या होती है।
दिव्या वैसे तो हरियाणा के रेवाड़ी की रहने वाली हैं। लेकिन जन्म से लेकर पढ़ाई-लिखाई सब दिल्ली में हुई। आईआईटी और आईआईएम डिग्री लेने के बाद दिव्या के लिए भविष्य का रास्ता आसान हो गया था। उन्होंने नौकरी के लिए सात समंदर पार लंदन शहर को चुना। कुछ दिनों तक नौकरी भी चली। लेकिन मन में था कि यूपीएससी क्लियर करके अधिकारी बनना है। और अधिकारी बनकर देश की सेवा करनी है। दिव्या का दिल हिन्दुस्तान के लिए धड़कता रहा। दिव्या ने इसमें देर नहीं की। लंदन शहर की नौकरी को अपना अतीत बना लिया। और UPSC की तैयारी शुरू कर दी। मेहनत में कोई कमी नहीं थी। तो परिणाम भी शानदार आया। दिव्या मित्तल ने पहली ही कोशिश में यूपीएससी क्रैक कर दिया।
दिव्या के पति गगनदीप भी आईएएस हैं। जब एक साथ दोनों लंदन से लौटे तो पहले पति ने साल 2011 में यूपीएससी पास किया। फिर उसी रास्ते पर चलते हुए पत्नी दिव्या ने भी एक साल बाद ही साल 2012 में यूपीएससी पास कर गईं। लेकिन रैंक के आधार पर IPS मिला। और कैडर गुजरात का। दिव्या का मन यहां भी नहीं लगा। 2013 में फिर से उन्होंने तैयारी शुरू की और यूपी कैडर की आईएएस बन गईं।
ये सच है कि दिव्या मित्तल ने यूपी में जहां-जहां अपने काम का डंका बजाया। हर उस जगह पर उनकी खूब तारीफ हुई। लोगों ने उनके काम को सराहा। प्रशासनिक स्तर पर भी उनके काम ने सबको अपनी तरफ खींचा है। देवरिया से पहले उनकी चर्चा मिर्जापुर में डीएम रहते हुए भी हुई थी। कहते हैं कि मिर्जापुर से जब दिव्या की विदाई हुई तो महिलाओं ने दिव्या को गुलाब की पंखुड़ियों से नहला दिया था। दिव्या का जब साल 2023 में मिर्जापुर डीएम के पद से ट्रांसफर हुआ तो कई विवाद भी हुए थे। जिसमें एक नाम जुड़ा था, मोदी सरकार के एक मंत्री का। कहते हैं कि दिव्या ने इतने अच्छे काम किए, जिससे राजनीतिक दलों के लोगों को दिक्कतें महसूस होने लगी।
दिव्या ने मिर्जापुर के उन गांवों तक पानी पहुंचाने का काम किया। जहां दशकों से लोग पानी की समस्या से जूझ रहे थे। हालात इतने बुरे थे कि मिर्जापुर के लहुरिया दह गांव में कोई शादी तक नहीं करना चाहता था। वजह सिर्फ एक था, पानी। लेकिन दिव्या ने इस दिक्कत को चुटकी बजाकर खत्म कर दिया। लोगों को पानी मिला। फिर दिव्या ने एक ट्वीट किया था।
आज मेरा दिल भरा हुआ है और मैं भावनाओं से अभिभूत हूं. लहुरिया दह में और मेरी और वहां के लोगों की आंखों से पानी बह रहा है।
इसके साथ ही दिव्या ने जो तस्वीर शेयर की थी। उसमें नल से जल निकल रहा था। कहते हैं कि ये मिर्जापुर के लहुरिया दह गांव के लोगों के लिए सिर्फ खुशी का दिन नहीं था। ये उनकी जिंदगी को नई जिंदगी में तब्दील करने का दिन था। बावजूद इसके मोदी सरकार की एक राज्य मंत्री दिव्या से किसी बात पर खफा हो गईष। और खफा हो गईं तो दिल्ली शीर्ष से दबाव बनवाकर DM को मिर्जापुर से हटवाकर वेटिंग में डलवा दिया। दिव्या मित्तल के ट्रांसफर की बात से पूरा मिर्जापुर अवाक रह गया था। इसके बाद उन्होंने एक ट्वीट किया था, जिसमें लिखा।
"आज घर से सामान बांधते हुए हाथ और मन दोनों बहुत भारी है। सरकारी नौकरी में आना-जाना तो चलता ही रहता है परंतु मीरजापुर ने जितना प्रेम मुझे दिया है उसको मैं जीवन पर्यंत नहीं भूल पाऊंगी। माता का मंदिर, गंगा जी का सानिध्य मुझे दुनिया में और कहां मिलेंगे। साक्षात शक्ति का निवास है जनपद में ऐसा मेरा मानना है। आप सभी का मैं हृदय की गहराइयों से आभार व्यक्त करती हूं। "
मिर्जापुर से हटने के बाद दिव्या को थोड़ी परेशानी जरूर हुई। लेकिन उनका रास्ता नहीं रुका। जब वो देवरिया पहुंची तो वहां भी उनके काम, उनके अंदाज़ और उनकी ठसक ने सबका दिल जीत लिया है। लोगों की सेवा के लिए किसी भी हद तक जाना उन्हें अच्छा लगता है। हुआ भी यही, जो पुल महीनों से करीब करीब बंद है, जिस पुल से करीब 150 से ज्यादा गांव के लोगों का वास्ता है। उसे ठीक करने के लिए उन्होंने सार्वजनिक तौर पर अधिकारियों को डांट लगाई। और जल्द से जल्द इसे ठीक करने का आदेश दिया। इसी दौरान किसी ने धूप की बात कही तो अधिकारी दिव्या मित्तल ने एक लाइन का जवाब देकर देवरिया के दिल में अपनी जगह बना ली।
दिव्या मित्तल को उनके डिपार्टमेंट के लोग कड़क मिजाज के लिए जानते हैं। अगर आम लोगों की शिकायतें हो तो वो अधिकारियों से सीधा सवाल करती हैं। और ये ऐसा रास्ता है, जो उन्हें लोगों से कनेक्ट करने में खूब मदद करता है।
कहते हैं कि दिव्या ने नीति आयोग में सहायक सचिव के रूप में काम कर चुकी हैं। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पांच प्रस्तुतियां दी। जिसमें से एक को चुना भी गया। ये इस बात का प्रमाण है कि दिव्या मित्तल एक आईएएस के तौर पर जहां भी रहीं, उन्होंने हर जगह पर अपनी छाप छोड़ी है।
दिव्या मित्तल दो बेटी अद्विका अव्याना की मां हैं। धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेना उन्हें पसंद है। औऱ सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुटे छात्रों को टिप्स देना भी उन्हें खूब पसंद है।
दिव्या मित्तल जैसे अधिकारियों को जरूरत इस देश के हर जिले में है। जो ना सिर्फ काम करे बल्कि निचले और सबसे पीछे खड़े लोगों की बातों को सुनकर उसके हित में फैसला करे। दिव्या मित्तल को भविष्य के लिए बहुत शुभकामनाएं