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इमरजेंसी की स्थिति में हवाई जहाज से क्यों गिराया जाता है फ्यूल? जानिए क्यों जरूरी है फ्यूल डंपिंग?

इमरजेंसी में बड़े विमानों के लिए फ्यूल डंपिंग क्यों जरूरी होती है, इसका कारण, प्रक्रिया और तकनीक को सरल और दिलचस्प तरीके से बताया गया है। इस प्रक्रिया में पायलट विमान का वजन कम करने के लिए फ्यूल हवा में छोड़ता है ताकि सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित की जा सके।
इमरजेंसी की स्थिति में हवाई जहाज से क्यों गिराया जाता है फ्यूल? जानिए क्यों जरूरी है फ्यूल डंपिंग?

कभी आपने सोचा है कि उड़ते हुए हवाई जहाज से ईंधन क्यों गिराया जाता है? क्या यह वाकई जरूरी होता है या फिर एक मजबूरी? जब विमान हवा में हो और अचानक इमरजेंसी की स्थिति आ जाए, तब पायलट्स के पास क्या विकल्प होते हैं? दरअसल यह सवाल इसलिए भी जरूरी है क्योंकि हाल ही में मुंबई से न्यूयॉर्क जा रहे विमान के साथ एक ऐसी ही घटना हुई, जिसके टेकऑफ के तुरंत बाद विमान को अपने फ्यूल हवा में ही छोड़ना पड़ा। आइए, जानते हैं क्यों और कैसे होती है ये प्रक्रिया, और इसके पीछे क्या ख़ास विज्ञान छिपा है?


बात बीते 14 अक्टूबर की है जब मुंबई से न्यूयॉर्क जाने वाली फ्लाइट संख्या नंबर AI 119, बोइंग 777 में उड़ान भरने के तुरंत बाद इमरजेंसी पैदा हो गई। एक बम धमाके की धमकी मिलने के बाद विमान के क्रू ने तुरंत पायलट से बात की और विमान को दिल्ली की ओर मोड़ लिया। उस वक्त तक विमान में 130 टन ईंधन भरा था। लेकिन अब समस्या यह थी कि विमान का कुल वजन लगभग 3.50 लाख किलोग्राम था, जबकि विमान की लैंडिंग क्षमता केवल 2.50 लाख किलोग्राम थी। करीब एक लाख किलोग्राम वजन अतिरिक्त था, जिसे कम करना जरूरी था। ऐसे में प्लेन से फ्यूल डंप करने का फैसला लिया गया—जो दिखने में अजीब लग सकता है, लेकिन ये एक बेहद जरूरी और सुरक्षित कदम था।
फ्यूल डंपिंग एक सुरक्षित समाधान
जब कोई विमान अपनी अधिकतम वजन सीमा से अधिक भारी होता है और उसे इमरजेंसी लैंडिंग करनी होती है, तो पायलट के पास एक ही विकल्प बचता है- फ्यूल डंपिंग। बड़े विमान जैसे बोइंग 777, 747, और एयरबस A380 में यह तकनीक मौजूद होती है, जो उन्हें हवा में उड़ते हुए अतिरिक्त फ्यूल को निकालने की अनुमति देती है।
क्यों होता है फ्यूल डंप जरूरी?
वजन घटाना: विमान की टेकऑफ क्षमता और लैंडिंग क्षमता में अंतर होता है। टेकऑफ के समय विमान अधिक फ्यूल के साथ भारी होता है, पर लैंडिंग के समय उसका वजन कम होना चाहिए। अन्यथा, विमान के लैंडिंग गियर और रनवे पर भारी भार से दुर्घटना की संभावना होती है।

सुरक्षा प्राथमिकता: विमान अगर अपने लैंडिंग वजन से ज्यादा भारी होता है, तो उसकी लैंडिंग बेहद जोखिमपूर्ण हो सकती है। इससे टायर फट सकते हैं या विमान स्लाइड कर सकता है, जिससे यात्रियों और क्रू की जान को खतरा हो सकता है। इसलिए, फ्यूल डंप करके वजन कम करना जरूरी हो जाता है।

कैसे किया जाता है फ्यूल डंप?

फ्यूल डंपिंग की प्रक्रिया विमानों में बहुत तेजी से होती है। बड़े विमानों में विंग्स में लगे नॉजलों से हजारों लीटर ईंधन प्रति सेकेंड हवा में छोड़ दिया जाता है। एक बार जब यह फ्यूल ऊंचाई पर निकलता है, तो यह भाप में बदलकर हवा में गायब हो जाता है। इसके लिए न्यूनतम 6000 फीट की ऊंचाई उपयुक्त मानी जाती है, ताकि फ्यूल धरती तक न पहुंचे और किसी तरह का प्रदूषण या नुकसान न हो।
क्या सभी विमान कर सकते हैं फ्यूल डंप?
नहीं, फ्यूल डंपिंग की सुविधा सिर्फ बड़े विमान जैसे बोइंग 777, 747, और एयरबस A380 में ही होती है। छोटे विमान, जैसे बोइंग 737 और एयरबस A320 में यह सुविधा नहीं होती। ये विमान अपने अधिकतम वजन के साथ भी सुरक्षित लैंड कर सकते हैं, क्योंकि इनका ढांचा हल्का और लंबा होता है।
क्या यह पर्यावरण के लिए हानिकारक है?
यह सवाल अक्सर उठता है कि हवा में फ्यूल डंप करने से पर्यावरण पर क्या असर पड़ता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, जब विमान फ्यूल को ऊंचाई पर छोड़ता है, तो यह तेजी से भाप में बदल जाता है और धरती पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ता। हालांकि, अगर कम ऊंचाई पर फ्यूल डंप किया जाता है, तो यह धरती तक पहुंच सकता है, जो पर्यावरण और मानव जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है। इसीलिए, एयर ट्रैफिक कंट्रोल यह सुनिश्चित करता है कि फ्यूल डंपिंग उच्च ऊंचाई पर ही की जाए।

फ्यूल डंप करने के बजाय कई बार पायलट विमान को हवा में कुछ अतिरिक्त समय तक उड़ाए रखते हैं, ताकि ईंधन धीरे-धीरे जलकर खत्म हो जाए। यह तरीका तब अपनाया जाता है जब विमान को किसी दूरस्थ स्थान पर ले जाकर लैंड करने की आवश्यकता हो और समय मिल सके। हालांकि, यह हर इमरजेंसी स्थिति में संभव नहीं होता। बात आर भविष्य की करें तो विमानों में फ्यूल डंपिंग को नियंत्रित करने और सुरक्षित बनाने के लिए नई तकनीकें विकसित की जा रही हैं। भविष्य में यह संभावना है कि फ्यूल डंपिंग की जरूरत कम हो जाए, क्योंकि विमान हल्के और अधिक ईंधन-कुशल बनाए जा रहे हैं।

फ्यूल डंपिंग एक आवश्यक प्रक्रिया है जो विमानन सुरक्षा का हिस्सा है। जब विमान में इमरजेंसी होती है और लैंडिंग वजन अधिक होता है, तब फ्यूल डंप करके वजन को कम किया जाता है। यह न केवल पायलट और क्रू की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि यात्रियों की जान भी बचाता है। हालांकि यह प्रक्रिया सुनने में अजीब लग सकती है, पर यह विमानन सुरक्षा के उच्च मानकों का हिस्सा है।

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