International Men's Day हर साल 19 नवंबर को ही क्यों मनाया जाता है? कैसे हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत
International Men's Day: इंटरनेशनल मेन्स डे (अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस) की शुरुआत 1999 में त्रिनिदाद और टोबैगो में हुई थी। इसे शुरू करने का श्रेय डॉ. जेरोम तिलकसिंह को जाता है, जो एक इतिहासकार और वेस्ट इंडीज विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। डॉ. तिलकसिंह ने महसूस किया कि समाज में पुरुषों की उपलब्धियों और उनके योगदान पर अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता, और उनकी समस्याओं पर भी चर्चा नहीं होती।
International Men's Day: दुनिया में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों और उनके संघर्षों को लेकर कई दिवस मनाए जाते हैं, लेकिन पुरुषों के जीवन, उनकी चुनौतियों और उनकी उपलब्धियों को पहचान देने के लिए 19 नवंबर को इंटरनेशनल मेन्स डे (अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस) के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस न केवल पुरुषों की भलाई और उनके योगदान को स्वीकारने का अवसर है, बल्कि समाज में उनकी भूमिका को समझने और सम्मान देने का भी एक जरिया है।
कैसे शुरू हुआ International Men's Day?
इंटरनेशनल मेन्स डे की शुरुआत 1999 में त्रिनिदाद और टोबैगो में हुई। इसके संस्थापक थे डॉ. जेरोम तिलकसिंह, जो वेस्ट इंडीज के एक प्रोफेसर और इतिहासकार थे। उन्होंने यह महसूस किया कि समाज में पुरुषों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जाता और उनकी उपलब्धियों को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। डॉ. तिलकसिंह ने इस दिवस को मनाने के लिए 19 नवंबर की तारीख चुनी, क्योंकि यह उनके पिता के जन्मदिन का दिन था और साथ ही उस दिन त्रिनिदाद और टोबैगो में एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक फुटबॉल मैच हुआ था, जिसने देश को गर्व का एहसास कराया था।
इंटरनेशनल मेन्स डे का उद्देश्य समाज में पुरुषों के योगदान को स्वीकार करना और उनके स्वास्थ्य, भलाई और उनके जीवन में आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता फैलाना है। यह दिन पुरुषों से जुडे कई मुद्दों पर प्रकाश डालता है, जैसे यह दिन पुरुषों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करता है। कई बार पुरुष अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं देते, जिससे गंभीर बीमारियां जैसे दिल की बीमारी, डिप्रेशन, और कैंसर हो सकती हैं। यह दिन पुरुषों और महिलाओं के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करता है। इसका मकसद है कि पुरुषों की जरूरतों और उनके अधिकारों को भी उतनी ही प्राथमिकता दी जाए। समाज में अच्छे पुरुष रोल मॉडल को प्रोत्साहित करना और उनकी कहानियों को साझा करना, ताकि आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा मिले। पुरुष पिता, भाई, पति, और मित्र के रूप में परिवार और समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस दिन उनके इन योगदानों को सराहा जाता है।
क्यों जरूरी है यह दिन?
पुरुषों की समस्याओं पर जागरूकता: सामाजिक अपेक्षाओं और दबावों के कारण पुरुष अपनी भावनाओं को अक्सर व्यक्त नहीं कर पाते। कई बार समाज उनसे उम्मीद करता है कि वे हमेशा मजबूत बने रहें, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इस दिन, पुरुषों को यह संदेश दिया जाता है कि अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना कमजोरी नहीं है।
आत्महत्या के बढ़ते मामले: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, आत्महत्या के मामलों में पुरुषों की संख्या महिलाओं से अधिक है। इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे तनाव, आर्थिक समस्याएं, और भावनात्मक समर्थन की कमी।
जेंडर स्टीरियोटाइप को तोड़ना: समाज में कई बार यह धारणा होती है कि पुरुष भावनात्मक नहीं हो सकते या उन्हें अपने संघर्षों के बारे में बात नहीं करनी चाहिए। यह दिन इन स्टीरियोटाइप्स को तोड़ने का काम करता है।
हालांकि यह दिन पुरुषों को समर्पित है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह महिलाओं या अन्य वर्गों के खिलाफ है। इसका मकसद है समाज में सभी को समान अवसर और सम्मान देना। इंटरनेशनल मेन्स डे केवल पुरुषों का जश्न मनाने का दिन नहीं है, बल्कि यह समाज में उनकी समस्याओं और उनके योगदान को समझने का अवसर भी है। यह हमें याद दिलाता है कि पुरुष भी समाज के महत्वपूर्ण अंग हैं और उनकी भलाई, स्वास्थ्य और योगदान को सम्मान देना आवश्यक है।