12 बज गए बोलने पर Harbjana Singh ने Kamran Akmal की लगा दी क्लास
ये मामला है टी 20 वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान के बीच 9 जून को खेले गए मुकाबले का। जब नेशनल टेलीविजन पर बेशर्मी की हद पार कर लाइव बोला गया अर्शदीप लास्ट ओवर डालेगा उसका रिदम लग नहीं रहा है और अब तो 12 बज गए हैं और 12 बजे गेंद किसी भी सिक्ख को नहीं देना चाहिए। ऐसा कहकर वो बुरी तरह ठहाके लगाने लगे और ये कमेंट किसी और का नहीं बल्कि पाकिस्तान के पूर्व खिलाड़ी कामरान अकमल का था। जिसने इस तरह के भद्दे। नीच और विवादित बयान दिया और ना सिर्फ अर्शदीप बल्कि सिक्ख समाज की इज्जत पर प्रहार किया।
जिसके बाद पूर्व भारतीय क्रिकेटर हरभजन सिंह बुरी तरह भड़क गए और उन्होंने कामरान अकमल को बुरी तरह धो दिया। हरभजन सिंह ने कामरान अकमल की उस घटिया वीडियो को रिपोस्ट कर लिखा - लाख दी लानत तेरे कामरान अखमल। अपना गंदा मुंह खोलने से पहले तुम्हें सिखों का इतिहास जानना चाहिए। हम सिखों ने आपकी माताओं और बहनों को तब बचाया जब आक्रमणकारियों ने उनका अपहरण कर लिया था, समय हमेशा 12 बजे था। आप लोगों को शर्म आनी चाहिए.. थोड़ा आभार व्यक्त करें।
कई लोगों ने ये तक कह दिया कि आखिर ऐसी गन्दी सोच रखने वाले लोगों को कोई TV चैनल अपने पैनल में कैसे बिठा सकता है। ऐसे लोग इस तरह की बातें कर के अपने चरित्र को दर्शाते हैं। और कामरान अकमल की सोच और उनकी क्या एजुकेशन है वो भी साफ दिख गई।
दरअसल ये सीख उन सभी लोगों के लिए भी है जो "12 बज गए" वाला मुहावरा अक्सर बोलते हैं क्योंकि "12 बज गए" के पीछे एक ऐसी कहानी जुड़ी है जिसे जानकार शायद आप भी खुद पर शर्म करें और आज से इस मुहावरे का इस्तेमाल करना बंद कर दें। आपको बता दें ये कहानी है 18 वीं शताब्दी की जब जब भारत पर फारस के शाह नादिर शाह ने हमला किया था।1739 में नादिर शाह की सेना दिल्ली पहुंची उन्होंने यहां सब कुछ तहस - नहस कर दिया था और तब वो वक़्त था जब भारत पाकिस्तान एक ही देश हुआ करता था। बताया जाता है कि तब नादिर शाह और उसके सैनिकों ने अनेकों महिलाओं को हर मजहब की महिलाओं को बंदी बना लिया था। वो उन माताओं का उन बहनों का शोषण किया करते थे। उन्हें गजनी के बाजार में बेच दिया करते थे।
जिसके बाद सिक्ख समुदाय ने उन माताओं - बहनों को बचाने की योजना बनाई लेकिन तब सिखों की संख्या कम थी और नादिर शाह की सेना बहुत बड़ी थी। लेकिन सिख भाइयों ने हार नहीं मानी उन्होंने गुरिल्ला युद्ध रणनीति को अपनाते हुए रात का समय 12 बजे चुना। वजह - वजह ये थी कि तब नादिर शाह की सेना मदिरा का सेवन कर।
महिलाओं के साथ अय्याशी में डूबे रहते थे। और सिखों द्वारा चलाया गया ये 12 बजे का अभियान सफल भी रहा हज़ारों महिलाओं को बचाया गया और ना सिर्फ बचाया गया बल्कि उन्हें सलामत घर भी पहुंचाया गया। जिस लड़ाई में कई सिख भाइयों को शहीद होना पड़ा था।
तब मुगलों में ये खौफ पैदा हो गया था वो कहते थे सावधान 12 बज गए हैं। सरदार आ जायेंगे। तो ये है वो कहानी जिसे ना सिर्फ कामरान अकमल बल्कि आम बातचीत में कई लोग 12 बजे वाला मुहावरे का इस्तेमाल करते हैं। किसी के बलिदान किसी की शहादत को इस तरह से मजाक उड़ाना कही भी सही नहीं हैं।
वैसे हरभजन सिंह की फटकार से कामरान अकमल की अकल ठिकाने आई उन्होंने पोस्ट कर लिखा - मुझे अपनी हाल की टिप्पणियों पर गहरा खेद है और मैं हरभजन सिंह और सिख समुदाय से ईमानदारी से माफी मांगता हूं। मेरे शब्द अनुचित और अपमानजनक थे। मैं दुनिया भर के सिखों का अत्यंत सम्मान करता हूं और मेरा इरादा कभी किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था। मैं सचमुच क्षमा चाहता हूं।