कभी पिता ने बेचा था घर, अब Paralympics 2024 में मनीष नरवाल ने रचा इतिहास, देश के प्रधानमंत्री भी हुए नतमस्तक
2020 टोक्यो पैरालिंपिक्स में गोल्ड जितने के बाद पैरालिंपिक्स 2024 में मनीष नरवाल ने सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है, उनकी इस जीत से देश में ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी है, लेकिन उनका ये सफर इतना आसान नहीं रहा, मनीष के यहां तक पहुंचने के लिए उनके पिता को अपना घर तक बेचना पड़ा था।
Manish Narwal Wins Silver Medal At Paralympic 2024: पेरिस ओलंपिक के बाद अब इन दिनों पेरिस में पैरालिंपिक्स चल रहा है, जहां भारतीय खिलाड़ी अपना परचम लहरा रहे हैं, जसिमें मनीष नरवाल का नाम भी शामिल है, मनीष नरवाल का नाम इस वक्त हर किसी के ज़ुबान पर है क्योंकि पैरालिंपिक्स 2024 में उन्होंने सिल्वर मैडल जीतकर भारत की झोली में एक मेडल डालकर इतिहास रचा और भारत का झंडा शान से लहराया। जिसके बाद हर आम इंसान से लेकर देश के PM नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें बधाइयाँ दी है और उनकी इस शानदार जीत पर जश्न मनाया जा रहा है।लेकिन उनका ये संघर्ष बचपन से ही बहुत कठिन रहा है। यहां तक कि उनके पिता को अपना घर तक बेचना पड़ा था।
मनीष नरवाल ने पैरालिंपिक्स 2024 में रचा इतिहास
पैरालिंपिक्स में भारतीय शूटर मनीष नरवाल ने SH1 कैटेगरी में अपना शानदार प्रदर्शन दिखाते हुए सिल्वर मेडल जीता और भारत की झोली एक और मेडल से भर दी, मनीष नरावल ने 10 मीटर एयर पिस्टल P4 इवेंट में 234.9 का स्कोर बनाकर सिल्वर मेडल जीतकर इतहास रचा। उनकी इस शानदार उपलब्धि के बाद पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई है।
टोक्यो पैरालिंपिक्स में जीत चुके हैं गोल्ड -
मनीष नरवाल का ये पहला मेडल नहीं है, इससे पहले भी वो साल 2020 टोक्यो पैरालिंपिक्स में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच चुके हैं।टोक्यो पैरालिंपिक्स में मनीष ने जैसे ही स्वर्ण पदक अपने नाम किया था वाइस एही वो दुनिया के बेहतरीन पैरा शूटरों में शामिल हो गए थे, सिर्फ इतना ही नहीं भारत सरकार ने उनके उत्कृष्ठ प्रदर्शन को लेकर उन्हें साल 2020 में अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा था और साल 2021 में खेल रत्न से मनीष नरवाल को सम्मानित किया गया था ।
देश के PM मोदी ने दी बधाई -
मनीष नरवाल की इस शानदार जीत पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बधाई दी है उन्होंने सोशल मीडिया पर इस चैंपियन की तारीफ करते हुए लिखा - "मनीष नरवाल की एक शानदार उपलब्धि, उन्होंने पी1 पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच1 स्पर्धा में रजत पदक जीता। उनकी सटीकता, फोकस और समर्पण ने एक बार फिर गौरव बढ़ाया है। #चीयर4भारत" पीएम मोदी के इस संदेश ने सिर्फ मनीष ही नहीं बल्कि उनके परिवार और उनके ऐसे अन्य खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाया है।
शूटिंग के लिए पिता को बेचना पड़ा था घर -
कहा जाता है कि मनीष नरवाल को बचपन से ही फुटबॉल खेलने का शौक था लेकिन वो उसमें अपना करियर नहीं बना पाए, जिसके बाद उन्होंने शूटिंग में अपना करियर बनाया और यहाँ भी उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा, मनीष का दांया हाथ काम नहीं करता था तो बांए हाथ से पिस्टल पकड़ने में काफी मुश्किल होती थी। लेकिन समय के साथ - साथ मनीष की मेहनत और उनके जज्बे ने शूटिंग में लम्बा सफर तय करने का ठान लिया। इस पूरे सफर में उनके पिता ने उनका साथ दिया, वो गरीब परिवार से आते थे तो उनके पास पिस्टल के लिए इतनी रकम नहीं थी लेकिन पिता ने बेटे मनीष के लिए साल 2015 में अपना घर भी बेच दिया। जिसके बाद मनीष ने ना सिर्फ शूटिंग में कई उपलब्धियों को छुवा बल्कि घर और कारोबार सँभालने में पिता का बहुत साथ भी दिया।