पाकिस्तान के इतिहास में हुआ ऐसा पहली बार, ये महिला बानी ICC अंपायर !
15 सितंबर पाकिस्तान क्रिकेट के इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन साबित हुआ है। आज पाकिस्तान क्रिकेट में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है। पहली बार किसी महिला को आईसीसी विकास अंपायर्स के अंतरराष्ट्रीय पैनल में शामिल किया गया है।
पाकिस्तान क्रिकेट के इतिहास में 15 सितम्बर का दिन एक ऐतिहासिक दिन साबित हुआ है क्योंकि पाकिस्तान क्रिकेट में एक बड़ा ऐतिहासिक फैसला देखने को मिला है। पाकिस्तान क्रिकेट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी महिला का नाम आईसीसी विकास अंपायर्स के अंतरराष्ट्रीय पैनल में नामांकित हुआ। जिसकी जानकारी खुद सोशल मीडिया पर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने दी है।
सलीमा इम्तियाज पाकिस्तान की महिला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी कैनात इम्तियाज की माँ हैं, उन्होंने साल 2008 में पीसीबी महिला अंपायर पैनल के साथ अपने अंपायरिंग करियर की शुरुआत की थी। सलीमा का अंपायरिंग में एक लंबा और सफल करियर रहा है। उन्होंने एशियाई क्रिकेट परिषद के कई प्रमुख इवेंट्स में जैसे साल 2022 और साल 2024 एसीसी (ACC) महिला टी20 एशिया कप और 2023 एसीसी इमर्जिंग महिला कप में अंपायरिंग की है।हाल ही में, सलीमा ने कुआलालंपुर में एसीसी महिला प्रीमियर कप 2024 के लिए प्लेइंग कंट्रोल टीम की सदस्य के रूप में काम भी किया।
आईसीसी के विकासात्मक अंपायर्स के अंतरराष्ट्रीय पैनल में सलीमा का नाम शामिल होना उनके क्रिकेट करियर की एक बड़ी उपलब्धि है। यह उनके खेल में उत्कृष्टता और उनकी मेहनत का सम्मान है। सोमवार से सलीमा मुल्तान में पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका के बीच महिला टी20 सीरीज में अंपायरिंग करेंगी।साथ ही इस सीरीज में सलीमा के साथ पीसीबी इंटरनेशनल पैनल ऑफ अंपायर्स के फैसल आफ्रीदी और नासिर हुसैन टीवी अंपायर के रूप में काम करेंगे। हुमैरा फराह चौथे अंपायर के रूप में काम करेंगी और पीसीबी इंटरनेशनल पैनल ऑफ मैच रेफरी के मुहम्मद जावेद मलिक सीरीज की देखरेख करेंगे।
इस ख़ास मौके पर सलीमा इम्तियाज ने भी अपनी ख़ुशी ज़ाहिर की है और बोला है कि आईसीसी इंटरनेशनल पैनल ऑफ डेवलपमेंट अंपायर में शामिल होकर मैं बहुत उत्साहित हूँ। मैं पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड का आभार व्यक्त करती हूं, जिसने मुझे इस उपलब्धि तक पहुँचने का अवसर प्रदान किया। यह यात्रा मेरे लिए आसान रही है। लेकिन अब जब मैं इस नए चैप्टर की शुरुआत कर रही हूँ तो सारी मेहनत सफल होती दिख रही है।
साथ ही उन्होंने कहा कि - "यह सिर्फ मेरी व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि पाकिस्तान की हर महिला क्रिकेटर और अंपायर की जीत है। मेरी सफलता उन महिलाओं को प्रेरित करे जो खेल में अपनी पहचान बनाने का सपना देखती हैं। यह पल क्रिकेट में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।"
सलीमा ने अपने सपनों के बारे में भी बात की और कहा कि -"जब से मेरी बेटी कायनात ने 2010 में पाकिस्तान के लिए क्रिकेट में डेब्यू किया, तब से मेरा सपना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने देश का प्रतिनिधित्व करूँ। हालांकि मुझे एशियाई क्रिकेट परिषद के साथ कई अवसर मिले हैं, लेकिन उच्चतम स्तर पर अंपायरिंग करना हमेशा से मेरा सपना रहा है। अब, मेरा ध्यान द्विपक्षीय और आईसीसी मैचों में अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता के साथ प्रदर्शन करने और एक सम्मानित मैच अधिकारी के रूप में अपनी पहचान बनाने पर है।"