वो 3 खिलाड़ी जिन्होंने क्रिकेट के मैदान में दिखाया जलवा और मौत को दिया चकमा !
देश के लिए क्रिकेट खेलने का सपना लिए कई खिलाड़ी देखते हैं, जिसमें से कई खिलाड़ी मैदान में ही नहीं बल्कि जीवन के मैदान में भी सफल होते हैं, आखिर कौन हैं वो खिलाड़ी जो मौत को भी चकमा देकर क्रिकेट के मैदान में दोबारा लौटे हैं।
क्रिकेट एक ऐसा खेल है जिसे दुनियाभर में काफी पसंद किया जाता है। देश के लिए क्रिकेट खेलने का सपना ना जाने कितने युवा देखते हैं, हर क्रिकेटर चाहता है कि वो अपने देश के लिए क्रिकेट खेले, देश के लिए योगदान दे, ये सपना कई खिलाड़ियों का पूरा भी होता है और वो क्रिकेट के मैदान पर अपनी कड़ी मेहनत और लगन के लिए जाने जाते हैं। लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे भी होते हैं जिन्होंने न केवल क्रिकेट के मैदान पर अपने प्रदर्शन से फैंस का दिल जीता है, बल्कि जिंदगी के हर कठिन परीक्षा में भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी है। कुछ क्रिकेटरों ने अपने जीवन में बड़े संघर्षों का सामना किया, जानलेवा बीमारियों और हादसों से लड़ाई लड़ी और फिर से मैदान पर लौटे और दुनिया को दिखाया कि कोई भी परेशानी उनके क्रिकेट के जुनून को नहीं तोड़ सकती । इसी कड़ी में आज हम ऐसे ही तीन क्रिकेटरों की कहानी बताएंगे जिन्होंने ना सिर्फ संघर्षो का सामना किया बल्कि मौत को भी मात दी और फिर से क्रिकेट के मैदान में वापसी की।
ये हैं वो 3 ऐसे खिलाड़ी जिन्होंने मौत को भी मात देकर क्रिकेट के मैदान में की वापसी -
1. युवराज सिंह -
भारतीय क्रिकेट जगत में युवराज सिंह एक ऐसा नाम है जो साल 2011 की याद दिलाता है। युवराज सिंह ने साल 2011 में भारत को वर्ल्ड कप जिताने में अहम् भूमिका निभाई थी। यहां तक कि उन्होंने इस वर्ल्ड कप में अपनी जान की बाज़ी भी लगा दी थी। फाइनल मुकाबले में जहां भारत को जीत की धुन सवार थी वहीँ युवराज सिंह मैदान पर ही खून की उल्टियां करते दिखाई दिए थे, उन्होंने अपनी जान दांव पर लगाकर देश को खुद से पहले रखा था और भारत को जीत दिलाने में सबसे आगे खुद को खड़ा कर दिया। तब उन्होंने न केवल अपने बल्ले से बल्कि गेंदबाजी से भी बेहतरीन प्रदर्शन किया था। जिसके लिए उन्हें इस वर्ल्ड कप के दौरान मैन ऑफ द टूर्नामेंट के खिताब से नवाजा गया था। लेकिन इस गौरवशाली सफर के कुछ ही समय बाद एक ऐसी खबर आई जिसने सबको हैरान कर दिया था। पता चला कि युवराज सिंह को कैंसर जैसी बड़ी और गंभीर बीमारी है।कैंसर की खबर से उनके फैंस और पूरा देश सदमें में था। ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि इसके बाद शायद युवराज सिंह का क्रिकेट करियर खत्म हो गया। लेकिन युवराज सिंह ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अमेरिका जाकर कैंसर का इलाज कराया। किमोथेरेपी और कई कठिनाइयों के बाद उन्होंने खुद को फिर से तैयार किया और साल 2012 में भारतीय टीम में शानदार वापसी की। युवराज सिंह ने न केवल अपनी बीमारी को मात दी बल्कि अपने खेल से साबित कर दिया कि उनके अंदर क्रिकेट का जुनून अब भी बरकरार है। उनकी इस जिद और साहस के आगे पूरी दुनिया झुक गई थी ।
2. निकोलस पूरन -
वेस्टइंडीज क्रिकेट के धाकड़ बल्लेबाज निकोलस पूरन ने भी एक ऐसा संघर्ष देखा जो किसी की भी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल सकता था। साल 2015 में, महज 19 साल की उम्र में निकोलस पूरन एक भीषण कार एक्सीडेंट का शिकार हो गए थे। इस एक्सीडेंट में उनके दोनों पैर बुरी तरह से जख्मी हो गए थे। डॉक्टरों ने उनकी स्थिति को देखते हुए कहा था कि हो सकता है वह कभी क्रिकेट न खेल पाएं। ये समय पूरन के लिए बहुत कठिनाइयों वाला था। कई महीने उन्हें व्हीलचेयर पर बिताने पड़े थे और इस दौरान उनके करियर पर सवाल खड़े हो गए थे। उनकी वापसी की उम्मीद बहुत कम थी, लेकिन निकोलस पूरन ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने धीरे-धीरे अपने पैरों को मजबूत किया, फिर से चलना सीखा और इसके बाद क्रिकेट की तरफ वापसी की। उनकी मेहनत और धैर्य ने उन्हें एक बार फिर से मैदान पर लौटने में मदद की और आज वह वेस्टइंडीज के महत्वपूर्ण खिलाड़ियों में से एक हैं।
3. ऋषभ पंत -
भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत के साथ साल 2022 के अंत में एक बड़ा हादसा हुआ। वह अपनी कार खुद ड्राइव कर सफर कर रहे थे और उनकी कार सड़क दुर्घटना का शिकार हो गई। हादसा इतना भीषण था कि उनकी कार में आग लग गई, और पंत बुरी तरह से घायल हो गए। उनकी जान तो बच गई लेकिन उनके पैर और पीठ में गंभीर चोटें आईं।इस हादसे के बाद कई लोगों को लगा कि शायद ऋषभ पंत का क्रिकेट करियर यहीं खत्म हो जाएगा। लेकिन पंत ने यह साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती। उन्होंने अपनी चोटों से उबरने के लिए कई महीनों तक कड़ी मेहनत की और फिर से मैदान पर लौटे। उनकी वापसी ने उनके फैंस को उम्मीद दी और उन्होंने दिखा दिया कि असली जीत मैदान पर नहीं, बल्कि जीवन की चुनौतियों से लड़कर हासिल की जाती है।और आज पंत भारत के लिए फिर से खेलते हुए मैदान पर दिखाई देते हैं।
तो ये हैं इन तीनों क्रिकेटरों की कहानियां जो साबित करती हैं कि चाहे मुश्किलों का पहाड़ कितना भी बड़ा क्यों ना हो असली चैंपियन वही होता है जो हर कठिनाई का डटकर सामना करता है।