दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी बीजेपी, जानिए क्या है नई रणनीति
दिल्ली फ़तह करना बीजेपी के लिए आसन नहीं होगा क्योंकि सामने केजरीवाल की आम आदमी पार्टी चुनावी मैदान में होगी जो पिछले कई वर्षों से लगातार सत्ता में क़ाबिज़ है। AAP को मात देने के लिए बीजेपी विभिन्न रणनीतियों पर काम कर रही है।
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद अब सभी राजनीतिक दलों की निगाहे देश की राजधानी दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है। बीजेपी किसी भी राज्य के चुनाव को हल्के में नहीं लेती है। एक चुनाव के ख़त्म होते ही पार्टी आगामी चुनाव में राज्यों में चुनावी रणनीति बनाते हुए अपने कार्यकर्ताओं के साथ जुट जाती है। दिल्ली फ़तह करना बीजेपी के लिए आसन नहीं होगा क्योंकि सामने केजरीवाल की आम आदमी पार्टी चुनावी मैदान में होगी जो पिछले कई वर्षों से लगातार सत्ता में क़ाबिज़ है। AAP को मात देने के लिए बीजेपी विभिन्न रणनीतियों पर काम कर रही है। वही दूसरी तरफ़ इस बात की चर्चा भी ज़ोरों पर है कि भाजपा विधानसभा चुनाव बिना किसी मुख्यमंत्री चेहरे के लड़ेगी। पार्टी का यह कदम चुनावी मैदान में किस तरह का असर डालेगा, यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं कि भाजपा की इस रणनीति के पीछे क्या कारण हो सकते हैं और इसका क्या असर हो सकता है।
मोदी को आगे करने की है तैयारी
दरअसल, लम्बे समय से दिल्ली की सत्ता में राज करने वाली आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेता अभी से ही राज्य के अलग-अलग इलाक़ों में जनसम्पर्क को ज़ोर दिया है। ख़ुद पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री आतिशी, सांसद संजय सिंह समेत सभी दिग्गज नेता प्रचार अभियान में जुटे हुए है। ऐसे में दिल्ली में भाजपा के लिए यह चुनाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में, जहां पार्टी को शानदार प्रदर्शन की उम्मीद थी, उसे आम आदमी पार्टी से हार का सामना करना पड़ा। तब भाजपा को दिल्ली में मुख्यमंत्री का चेहरा प्रस्तुत करने से कोई बड़ा लाभ नहीं हुआ। इसके बजाए, भाजपा अब चुनावी रणनीतियों में बदलाव कर रही है और अपनी शक्ति को पार्टी संगठन और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मजबूत करने का प्रयास कर रही है। दिल्ली में भाजपा के पास एक से एक मजबूत नेता हैं, लेकिन इनमें से कोई भी व्यक्ति मुख्यमंत्री के रूप में पार्टी के लिए पेश नहीं किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, भाजपा ने यह फैसला लिया है कि वह आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में केंद्र सरकार के काम और योजनाओं को जनता के बीच रखेगी। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि दिल्ली के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं और उनके द्वारा किए गए कार्यों से ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं, खासकर जब बात विकास, सुरक्षा, और शिक्षा जैसे मुद्दों की हो। भाजपा ने यह भी तय किया है कि दिल्ली की जनता को बताया जाएगा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि वे बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और सड़कों की स्थिति में सुधार करेंगे, लेकिन उन्होंने इन मुद्दों को नजरअंदाज किया। भाजपा का मानना है कि मोदी सरकार की योजनाएं देशभर में सफलता प्राप्त कर रही हैं और इन्हें दिल्ली में लागू किया जाएगा।
भाजपा इस बार दिल्ली में अपनी चुनावी तैयारी को पूरी तरह से नए तरीके से कर रही है। पार्टी के नेता दावा कर रहे हैं कि भाजपा बिना सीएम फेस के भी दिल्ली में अपनी जीत सुनिश्चित कर सकती है। भाजपा की यह रणनीति पार्टी के अन्य राज्यों में भी अपनाई जा सकती है, जहां पार्टी बिना किसी चेहरे के चुनाव में उतरने की योजना बना रही है। यह रणनीति खासतौर पर उन राज्यों में अपनाई जा सकती है, जहां भाजपा का मुख्य उद्देश्य पार्टी के केंद्र सरकार के कार्यों और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व को मजबूत बनाना है।पार्टी का मानना है कि दिल्ली के लोग नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को पहचानते हैं और भाजपा का राष्ट्रीय चेहरा ही उनके लिए पर्याप्त है। इसका असर यह हो सकता है कि भाजपा का वोट बैंक आप की तरह एक मजबूत स्थानीय नेतृत्व की तलाश करने वाले मतदाताओं को आकर्षित न कर पाए। अगर भाजपा बिना किसी प्रमुख चेहरे के चुनाव लड़ती है तो यह असमंजस की स्थिति भी पैदा कर सकता है। दूसरी ओर, यह फैसला एक रणनीतिक कदम हो सकता है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिष्ठा का इस्तेमाल किया जाएगा।