दिल्ली में 27 साल बाद सत्ता परिवर्तन? एग्जिट पोल में AAP की विदाई और BJP की वापसी के संकेत!
दिल्ली में विधानसभा चुनाव के बाद आए एग्जिट पोल्स ने बड़ा उलटफेर दिखाया है! ज्यादातर सर्वे के मुताबिक, भाजपा बहुमत के करीब दिख रही है, जबकि आम आदमी पार्टी सत्ता में वापसी करने से चूक सकती है।

राजधानी दिल्ली की राजनीति एक बार फिर करवट लेती नजर आ रही है। 5 फरवरी को संपन्न हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद अब एग्जिट पोल्स के आंकड़े सामने आ गए हैं, और इनमें जो नतीजे दिख रहे हैं, वो किसी बड़े राजनीतिक भूचाल से कम नहीं। दिल्ली में जहां आम आदमी पार्टी (AAP) पिछले दो बार से मजबूत पकड़ बनाए हुए थी, वहीं इस बार कई एग्जिट पोल भाजपा (BJP) को सत्ता के बेहद करीब दिखा रहे हैं। सवाल ये उठता है कि क्या इस बार ‘मोदी मैजिक’ का असर दिल्ली की राजनीति पर पड़ेगा और आम आदमी पार्टी को सत्ता से बेदखल कर देगा? या फिर एग्जिट पोल के अनुमान गलत साबित होंगे और अरविंद केजरीवाल एक बार फिर जीत की हैट्रिक लगाएंगे?
चुनाव के बाद किसका पलड़ा भारी?
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर इस बार जबरदस्त मतदान हुआ। मतदाता चुप थे, लेकिन नतीजों को लेकर सरगर्मी तेज थी। चुनाव खत्म होते ही अलग-अलग एजेंसियों के एग्जिट पोल सामने आने लगे। इनमें से ज्यादातर ने भाजपा को मजबूत स्थिति में दिखाया, जबकि AAP को पिछली बार की तुलना में नुकसान होता नजर आ रहा है। कुछ सर्वे ऐसे भी हैं जो आम आदमी पार्टी को बढ़त देते दिख रहे हैं, लेकिन बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने का दावा बेहद कमजोर लग रहा है।
क्या कहते हैं एग्जिट पोल ?
एग्जिट पोल की रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो मैटराइज एग्जिट पोल ने भाजपा को 35-40 सीटें, जबकि आप को 32-37 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है। हालांकि पीपल्स पल्स एग्जिट पोल ने भाजपा को 51-60 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की है, जिससे ये साफ होता है कि अगर ये सर्वे सही साबित हुए तो दिल्ली में भाजपा की सरकार बनना तय है। वहीं, वी-प्रीसाइड एग्जिट पोल ने आम आदमी पार्टी को 46-52 सीटें दी हैं, जिससे AAP की सत्ता बरकरार रहने की संभावना जताई गई है।
इस पूरे राजनीतिक परिदृश्य में सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि भाजपा के लिए जो सीटें अनुमानित हैं, वो उसके लिए अब तक की सबसे बड़ी सफलता हो सकती हैं। वहीं, AAP के लिए यह चुनाव सत्ता बचाने की जंग में तब्दील हो गया है। कांग्रेस (Congress) को अधिकतर सर्वे में बेहद कमजोर स्थिति में दिखाया गया है और उसकी दयनीय हालत बनी हुई है।
दिल्ली में ‘मोदी मैजिक’ की लहर?
दिल्ली में भाजपा के लिए अब तक का चुनावी सफर आसान नहीं रहा है। पिछले दो चुनावों में आम आदमी पार्टी ने भाजपा को बुरी तरह पराजित किया था। 2015 के चुनाव में AAP ने 67 सीटों पर जीत दर्ज कर भाजपा को सिर्फ 3 सीटों पर समेट दिया था। इसके बाद 2020 के चुनाव में भी AAP ने 62 सीटों पर कब्जा किया, जबकि भाजपा को 8 सीटें ही मिल सकीं।
लेकिन इस बार तस्वीर थोड़ी अलग नजर आ रही है। नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, केंद्र सरकार की योजनाएं, दिल्ली में भाजपा का मजबूत चुनाव प्रचार और ‘राम मंदिर’ जैसे मुद्दे भाजपा के पक्ष में जाते दिख रहे हैं। दूसरी ओर, केजरीवाल सरकार की नीतियों को लेकर जनता में जोश तो है, लेकिन कुछ विवादों ने उनकी छवि पर असर डाला है। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर AAP ने अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखी, लेकिन ‘शराब नीति घोटाला’ और ‘मनी लॉन्ड्रिंग मामले में AAP नेताओं की संलिप्तता’ जैसे विवादों ने पार्टी की साख पर असर डाला है।
क्या AAP को सत्ता में वापसी का भरोसा है?
आम आदमी पार्टी के नेता और खुद अरविंद केजरीवाल दावा कर रहे हैं कि एग्जिट पोल गलत साबित होंगे और वे फिर से सरकार बनाएंगे। उनका कहना है कि दिल्ली के लोग उन्हें उनके काम की वजह से वोट देते हैं और इस बार भी ऐसा ही होगा। AAP ने अपनी चुनावी रणनीति को शिक्षा, स्वास्थ्य, मुफ्त बिजली और पानी के मुद्दों पर केंद्रित किया था, जो उनकी पिछली जीत की बड़ी वजह बने थे।
हालांकि, एग्जिट पोल्स के रुझानों से यह साफ हो रहा है कि इस बार मुकाबला कड़ा है और भाजपा अपने मत प्रतिशत में जबरदस्त बढ़त बना रही है। पिछले चुनावों में जहां भाजपा को लगभग 38% वोट मिले थे, इस बार यह आंकड़ा 42-45% तक पहुंच सकता है, जो AAP के लिए खतरे की घंटी है।
दिल्ली की राजनीति में नया मोड़?
अगर भाजपा इस बार दिल्ली की सत्ता में आ जाती है, तो यह न केवल दिल्ली की राजनीति के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए बड़ा बदलाव होगा। दिल्ली अब तक भाजपा के लिए एक मुश्किल किला रही है, लेकिन अगर यह समीकरण बदलता है, तो यह भाजपा की रणनीति की जीत होगी। दूसरी ओर, अगर AAP फिर से सरकार बना लेती है, तो यह साबित हो जाएगा कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल का करिश्मा अब भी बरकरार है।
वैसे आपको बता दें कि एग्जिट पोल केवल संभावनाएं दिखाते हैं, असली खेल 8 फरवरी को होगा जब मतगणना होगी और फाइनल नतीजे घोषित किए जाएंगे। तब ही पता चलेगा कि दिल्ली में भाजपा की सरकार बनेगी या फिर केजरीवाल सत्ता में वापसी करेंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 8 फरवरी को जनता का फैसला किस ओर जाता है। क्या दिल्ली एक बार फिर आम आदमी पार्टी को मौका देगी, या फिर भाजपा ऐतिहासिक जीत दर्ज करेगी?