Jharkhand Election : कौन है मंडल मुर्मू ? जिसने बीजेपी ज्वाइन करते ही हेमंत सोरेन की सियासी जमीन में सेंध लगाने की कर दी तैयारी
झारखंड विधानसभा चुनाव के करीब दो हफ्ते पहले हेमंत सोरेन को करारा झटका लगा है। बता दें कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रस्तावक मंडल मुर्मू भाजपा में शामिल हो गए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक मंडल मुर्मू का भाजपा में शामिल होना हेमंत सोरेन के लिए उनकी सियासी जमीन में सेंध लगाने जैसा है।
झारखंड विधानसभा चुनाव में सिर्फ 2 हफ्ते का समय बाकी है। 81 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होने है। चुनावी नतीजे 23 नवंबर को आएंगे।
बचे हुए समय में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही चुनावी मैदान में एक दूसरे के खिलाफ हल्ला बोल दिया है। एक तरफ जहां आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। तो वहीं दूसरी तरफ एक दूसरे की पार्टी से दिग्गज नेताओं का आना-जाना भी लगातार चल रहा है। सभी पार्टियां अपने कुनबे को मजबूत करने में लगी हुई है। इस बीच झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के किले में सेंध लगाने के लिए बीजेपी ने उन्हीं के सबसे भरोसेमंद खिलाड़ी को अपने पाले में लेने में बड़ी कामयाबी हासिल की है। बता दें कि रविवार देर रात भाजपा ने झारखंड मुक्ति मोर्चा को बड़ा झटका देते हुए। सिद्धू कान्हू के वंशज और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रस्तावक मंडल मुर्मू को भाजपा ज्वाइन करा लिया है। तो चलिए जानते हैं कि कौन हैं मंडल मुर्मू जिन्होंने भाजपा ज्वाइन किया है ? कैसे वह बीजेपी के लिए तुरूप का इक्का साबित होंगे और कैसे हेमंत सोरेन की सियासी जमीन में सेंध लगाने की तैयारी में है।
कौन हैं मंडल मुर्मू जिन्होंने हेमंत सोरेन को धोखा देकर भाजपा ज्वाइन की
बता दें कि मंडल मुर्मू सिद्धू-कान्हू, फूलों-झानों और चांद भैरव के वंशज हैं। सिद्धू कान्हू को लेकर कहा जाता है कि उन्होंने संथाल हूल के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका था। 1857 की क्रांति में जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना बलिदान दिया उनमें एक नाम सिद्धू कान्हू का भी आता है। सिद्धू कान्हू साहिबगंज के बरहेट विधानसभा के भोगनाडी के रहने वाले थे। ऐसा माना जाता है कि जब भी झारखंड की राजनीति में कुछ नया या बड़ा होता है। तो उसकी शुरुआत अक्सर भोगनडीह से ही की जाती है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जब भी किसी बड़े कार्य की शुरुआत करते हैं। तो वह भोगनडीह की सरजमी पर सिद्धू कान्हू को पुष्पांजलि अर्पित कर उसकी शुरुआत करते हैं। मंडल मुर्मू सिद्धू कान्हू के छठे पीढ़ी के वंशज हैं। जो हेमंत सोरेन सरकार में बतौर प्रस्तावक थे। लेकिन चुनाव के कुछ दिन पहले ही उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली है।
मंडल मुर्मू के भाजपा में शामिल होने के बाद बदल गया पूरा खेल
बरहट क्षेत्र में राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर काम कर रहे कुणाल गुप्ता का कहना है कि "मंडल मुर्मू के भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा एक संदेश देने का प्रयास जरूर करेगी कि देश का क्रांतिकारी समाज और जिस परिवार को पूरा राज्य जानता है। वह भाजपा के साथ है। हालांकि मंडल मुर्मू राजनीति में ज्यादा एक्टिव नहीं थे। इस वजह से वोट बैंक पर ज्यादा असर तो नहीं पड़ेगा। लेकिन यह भी कहना गलत नहीं होगा कि इनका भाजपा में शामिल होना हेमंत सोरेन को दिमागी रूप से चिंता में डालने जैसा है। कई लोगों का यह भी कहना है कि मंडल मुर्मू के भाजपा में होने के बाद भोगनाडीह और आसपास के कई इलाकों में क्रांतिकारी परिवार के रूप में पहचान बना चुकी संथाल परगना की राजनीति में काफी हद तक भाजपा को मजबूती प्रदान होगी। मंडल मुर्मू के भाजपा में आने के बाद झारखंड भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा है कि " मंडल मुर्मू कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं। मंडल मुर्मू सिद्धू-कान्हू, फूलों-झानों और चांद भैरव के छठे पीढ़ी के वंशज हैं। देश की आजादी में सर्वोच्च बलिदान देने वाले वंशज परिवार का एक सदस्य भाजपा के साथ है। जब प्रस्तावक ही मुख्यमंत्री को छोड़कर भाग रहा है। तो आगे क्या होगा। वह आप समझ सकते हैं।
मंडल मुर्मू के भाजपा में शामिल होने के बाद क्या बोले जेएमएम प्रवक्ता ?
बता दें कि मंडल मुर्मू के भाजपा में शामिल होने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि " इलेक्टोरल बॉन्ड का पैसा भाजपा जोड़-तोड़कर इसी में खर्च कर रही है। भाजपा दूसरे पार्टी के लोगों को पाला बदलने और नाम वापस लेने के लिए इस पैसे का इस्तेमाल कर रही है। हमें अफसोस है कि मंडल मुर्मू भी इसका शिकार हो गया है। खबरों के मुताबिक भाजपा मंडल मुर्मू को बरहेट विधानसभा से चुनावी मैदान में बतौर उम्मीदवार उतारना चाह रही थी। यही वजह है कि इस सीट पर भाजपा को प्रत्याशी की घोषणा करने में काफी समय लग गया।
हालांकि भाजपा ने इस सीट से गमालियांन हेंब्रम को उम्मीदवार बनाया आया है। ऐसे में यह तय हो गया है कि मंडल मुर्मू का इस्तेमाल किसी अन्य पद के लिए किया जाएगा या फिर उन्हें चुनावी मैदान में पार्टी कोई और बड़ी भूमिका सौंप सकती है। मंडल मुर्मू के भाजपा में शामिल होने के बाद हेमंत सोरेन के द्वारा किसी भी तरह की कोई प्रक्रिया सामने नहीं आई है।