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Maharashtra Election: मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारंगे नहीं लड़ेंगे चुनाव, अपने उम्मीदवारों को भी नाम लेने का किया अनुरोध

मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारंगे ने बीते रविवार को रात करीब 3:30 बजे तक हुई बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए। खुद यू टर्न लेते हुए अलग-अलग विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे अपने उम्मीदवारों को नाम वापस लेने का अनुरोध किया है। बता दें कि उम्मीदवारों के नाम वापस लेने की आखिरी तारीख से कुछ घंटे पहले ही यह फैसला लिया गया है।
Maharashtra Election: मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारंगे नहीं लड़ेंगे चुनाव, अपने उम्मीदवारों को भी नाम लेने का किया अनुरोध

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बागी नेताओं ने महायुति और महा विकास अघाड़ी की जो टेंशन बढ़ाई है। उससे दोनों गठबंधन की नींद उड़ी हुई है। लेकिन नामांकन वापसी की आखिरी तारीख यानि आज 4 नवंबर को कुछ घंटे पहले एक बड़ी खबर आई है। बता दें किनमराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारंगे ने चुनाव के पहले चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान किया था। लेकिन अब वह अपने फैसले से पीछे हट गए है। उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। मनोज ने अपने बाकी उम्मीदवारों को भी नाम वापस लेने का अनुरोध किया है। 

मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारंगे नहीं लड़ेंगे चुनाव 

बता दें कि मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारंगे ने बीते रविवार को रात करीब 3:30 बजे तक हुई बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए।  खुद यू टर्न लिया और अलग-अलग विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे अपने उम्मीदवारों को भी नाम वापस लेने का अनुरोध किया है। मनोज ने कहा कि, "आरक्षण के लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी। हम केवल मराठा मुद्दों पर चुनाव नहीं लड़ सकते" 

दरअसल नामांकन दाखिल करने वाले उम्मीदवारों के द्वारा नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 4 नवंबर है। यह बयान मनोज के द्वारा तब आया है। जब उन्होंने कहा था कि वह मराठा समुदाय को आरक्षण देने से इनकार करने के लिए सत्तारूढ़ महायुति से बदला लेंगे। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में जारंगे रो पड़े थे। उन्होंने महायुति पर मराठा समुदाय को "अपमानित" करने और धोखा देने का भी आरोप लगाया। 

क्या है मराठा समुदाय को आरक्षण देने का मामला ?  

आपको बता दें कि फरवरी में महाराष्ट्र विधानसभा ने एक विधेयक पारित किया गया। जिसमें यह मांग की गई कि राज्य की आबादी में 30 प्रतिशत से अधिक मराठाओं को एक अलग श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों में 10% तक का आरक्षण प्रदान किया जाए। जिसके बाद जारंगे के नेतृत्व में मराठा समुदाय के सदस्यों को प्रभावशाली जाति को ओबीसी कैटेगरी में शामिल करने का जोर दिया गया। मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मराठा आरक्षण को लेकर कई भूख हड़ताल भी कर चुके हैं। 

मराठा आरक्षण कार्यकर्ता के उम्मीदवारों के नाम वापस लेने पर बीजेपी को फायदा 

जिस तरीके से चुनाव के करीब दो हफ्ते पहले मराठा आरक्षण कार्यकर्ता के उम्मीदवारों ने नाम वापस लेने का ऐलान किया है। ऐसे में यह फैसला बीजेपी के लिए काफी फायदेमंद रहेगा। बता दें कि हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में जारंगे का आंदोलन और मराठा समुदाय का गुस्सा मराठवाड़ा में बीजेपी की हार का एक प्रमुख वजह बना था। हालांकि मराठा आरक्षण कार्यकर्ता के उम्मीदवारों का नाम वापस लेने के बाद महा विकास अघाड़ी दल को भी काफी फायदा मिल सकता है। वहीं भाजपा को भी बड़ा फायदा मिल सकता है। क्योंकि इससे बाकी वोटरों के मन में बीजेपी के प्रति किसी भी तरह का कोई मनमुटाव पैदा नहीं होगा। बता दें कि राज्य की कुल आबादी में करीब 30 से 33 प्रतिशत हिस्सेदारी मराठाओं की है। लोकसभा चुनाव में भी मराठा आरक्षण कार्यकर्ता के उम्मीदवारों को नाम वापस देने के लिए मनाया गया था। लेकिन उस दौरान किसी ने भी नाम वापस नहीं लिया था। जिसकी वजह से बीजेपी को बड़ा नुकसान हुआ था। बीते 6 अगस्त को मनोज जारंगे ने कहा था कि मराठा समुदाय को राजनीति में घुसने और मराठा आरक्षण पाने के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है। उस दौरान उन्होंने कहा था कि वह राज्य की सत्ता में आएंगे। उन्होंने राजनीति में किसी भी तरह से घुसने से इनकार किया था। लेकिन बाद में उन्होंने यह कहा था कि मराठा आरक्षण हासिल करने की मजबूरी की वजह से राजनीति में जाने की आवश्यकता पड़ी। जारंगे ने यह भी कहा कि, "अगर हम मराठा समुदाय के लिए आरक्षण चाहते हैं। तो हमारे पास राजनीति में प्रवेश करने और सत्ता में आने के अलावा कोई विकल्प नहीं है" 

Input: IANS

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