Advertisement

Modi को अपना भाई बताने वाले मौलाना ने दिया धोखा तो अब चुकानी पड़ी भारी कीमत !

Modi को अपना भाई बताने वाले मौलाना ने दिया धोखा तो अब चुकानी पड़ी भारी कीमत !
Modi को अपना भाई बताने वाले मौलाना ने दिया धोखा तो अब चुकानी पड़ी भारी कीमत !
महाराष्ट्र की चुनावी जंग जीतने के लिए असली लड़ाई तो मोदी। शिंदे।अजित पवार वाले महायुति गठबंधन और राहुल। ठाकरे। शरद पवार वाले महाविकास अघाड़ी घठबंधन के बीच है। लेकिन धर्म के लिए बनाए गये संगठन भी इस चुनाव में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। खास कर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसा बड़ा संगठन। जिनके प्रवक्ता खलील उर्रहमान सज्जाद नोमानी ने कभी पीएम मोदी। अमित शाह।और संघ प्रमुख मोहन भागवत को अपना भाई बताया था। लेकिन अब मोदी के इसी भाई ने महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा खेल कर दिया।

दरअसल मुस्लिमों के हक की बात करने वाले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता खलील उर्रहमान सज्जाद नोमानी कई मोर्चे पर मोदी का विरोध करते रहे हैं।लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब वो डंके की चोट पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और संघ प्रमुख मोहन भागवत।अपना भाई बताया करते थे। और यहां तक कहा करते थे कि अगर ये कुछ गलत करते हैं तो हम उन्हें रोकेंगे।हमारी दुश्मनी किसी से नहीं है।


मौलाना सज्जाद नोमानी का ये बयान कोई ज्यादा पुराना नहीं है। इसी साल सितंबर में उन्होंने मोदी शाह और भागवत को अपना भाई बताया था। लेकिन अब यही भाई नोमानी लगता है मोदी से गद्दारी पर उतर आये हैं। इसीलिये महाराष्ट्र चुनाव में उन्होंने मोदी का समर्थन करने की बजाए खुलकर राहुल ठाकरे शरद पवार वाले गठबंधन महाविकास अघाड़ी को समर्थन देने का ऐलान कर दिया। और 260 से ज्यादा उम्मीदवारों की लिस्ट भी जारी करते हुए मुसलमानों से अपील कर दी कि। इस चुनाव में मोदी शिंदे। अजीत पवार वाले गठबंधन को नहीं। राहुल ठाकरे शरद पवार वाले गठबंधन को वोट डालो। मौलाना सज्जाद नोमानी की इसी अपील से महाराष्ट्र की राजनीति में बवाल मचा हुआ है। क्योंकि उन्होंने अपने ही कथित भाई मोदी और शाह को महाराष्ट्र में धोखा तो दे दिया। लेकिन इसी धोखे के चक्कर में उन्होंने सीधे ओवैसी के समर्थकों से पंगा ले लिया। और अब ओवैसी के समर्थक उनके पीछे पड़ गये हैं।

नोमानी से क्यों नाराज ओवैसी के समर्थक ?


दरअसल AIMPLB के प्रवक्ता सज्जाद नोमानी ने जिन महाराष्ट्र की जिन सीटों पर मुसलमानों से महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवारों का समर्थन करने की अपील की है।उसमें एक औरंगाबाद ईस्ट विधानसभा सीट भी है। जहां असली टक्कर। सपा। बीजेपी। कांग्रेस और AIMIM के उम्मीदवारों के बीच है।

औरंगाबाद ईस्ट विधानसभा सीट। BJP ने अतुल मोरेश्वर सावे को टिकट दिया है। कांग्रेस ने लाहू हनमंतराव शेवाले को उतारा है। सपा ने अब्दुल गफ्फार कादरी को टिकट दिया है। AIMIM ने इम्तियाज जलील को टिकट दिया है

इंडिया गठबंधन में एक साथ होने के बावजूद सपा और कांग्रेस दोनों ने औरंगाबाद ईस्ट पर उम्मीदवार उतारा है। तो वहीं ओवैसी ने महाराष्ट्र AIMIM के अध्यक्ष इम्तियाज जलील को टिकट दिया है। यानि ये सीट सीधे ओवैसी के नाक का सवाल बन गई है। लेकिन इसके बावजूद मौलाना सज्जाद नोमानी ने AIMIM के इम्तियाज जलील का समर्थन करने की बजाए सपा उम्मीदवार अब्दुल गफ्फार कादरी को समर्थन कर दिया। बस इसी बात से ओवैसी के समर्थक नाराज हैं। और नोमानी के पीछे पड़ गये हैं। इम्तियाज जलील के समर्थक एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा। " सज्जाद नोमानी साहब को आज मैं खुलकर अनफॉलो कर रहा हूं, किसी भी शख्स की इज्जत उसके कामों से होती है और मौलाना साहब ने जो घटिया हरकतें की हैं, वे माफी के काबिल नहीं हैं, सज्जाद नोमानी साहब मोहन भागवत, अमित शाह और मोदी को अपना भाई मान सकते हैं, उनकी इसलाह की बातें करते हैं, लेकिन अपनी कयादत को मजबूत करने की हिम्मत नहीं रखते, इम्तियाज जलील जैसे सांसद के खिलाफ जाकर उन पार्टियों का समर्थन कर रहे हैं, जो मुस्लिम मुद्दों पर कभी दो शब्द नहीं कहतीं, मौलाना साहब मुस्लिम बहुल इलाकों में दूसरे मजहब के लोगों का समर्थन कर रहे हैं, क्या ऐसे हम अपनी आबादी के एतबार से अपनी कयादत को आगे बढ़ा सकते हैं? अगर राजनीति करनी है, तो खुले तौर पर एमआईएम के खिलाफ आकर मैदान में उतरें, ये दो जगह पर समर्थन देकर एहसान जताने की कोशिश न करें, आपके पास 272 सीटें थीं समर्थन के लिए, लेकिन निशाना एमआईएम पर ही साधा, अवाम बेवकूफ नहीं है, आपकी ये चालें सब समझ रही है, इंशाअल्लाह, फैसला करने वाले दिन आपको जवाब देना पड़ेगा "

तौफीक अंसारी नाम के एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा "औरंगाबाद पूर्व में इम्तियाज जलील को समर्थन न देकर डॉक्टर गफ्फार कादरी यानी समाजवादी पार्टी को समर्थन देना सही नहीं है, इस पर फिर से विचार किया जाना चाहिए"

इम्तियाज जलील के समर्थक अरशद अंसारी नाम के एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा। " वो दौर गया मौलाना साहब जब जामा मस्जिद की सीढ़ियों पर खड़े होकर फरमान जारी कर दिया जाता था कि फल फलां नाम निहाद पार्टीओं को वोट कर दो आवाम कर देती थी, अब कौम जागरूक हो गई है और वो देख रही है कौन उनके लिए लड़ रहा है और कौन उनका वोट लेकर AC मे सो रहा है"

मौलाना सज्जाद नोमानी ने महाराष्ट्र AIMIM के अध्यक्ष इम्तियाज जलील के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले सपा उम्मीदवार अब्दुल गफ्फार कादरी का समर्थन कर दिया तो सोशल मीडिया पर ओवैसी के समर्थक कुछ इसी तरह से नोमानी की क्लास लगा रहे हैं। लेकिन एक बात आपको जरूर बता दें। ये वही अब्दुल गफ्फार कादरी हैं। जिन्हें साल 2014 और 2019 में खुद ओवैसी लड़ाया करते थे। लेकिन इस बार टिकट नहीं दिया तो सपा में चले गये। और अब उन्हीं का समर्थन करने की वजह से सज्जाद नोमानी की खूब फजीहत हो रही है। यानि मोदी को अपना भाई बताने वाले सज्जाद नोमानी चले तो थे राहुल और ठाकरे के उम्मीदवारों का समर्थन करने। लेकिन अब उन्हीं की फजीहत हो रही है। 
Advertisement

Related articles

Advertisement