यूपी उपचुनाव: संजय निषाद ने बीजेपी की बढ़ा दी टेंशन, नड्डा की मीटिंग में भी नहीं निकला निष्कर्ष
यूपी में एक तरफ जहां सपा और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रही है तो वहीं दूसरी तरफ सत्ताधारी बीजेपी की बात करें तो एनडीए में शामिल घटक दलों के बीच तालमेल बनता नजर नहीं आ रहा है।
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ-साथ चुनाव आयोग ने देश के कई राज्यों के अलग-अलग विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव का एलान भी किया है। ऐसे में बात अगर देश के सबसे बड़े सियासी राज्य उत्तर प्रदेश की करें तो उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने है। जिसको लेकर राज्य का सियासी पर इस वक्त आसमान छू रहा है। यूपी में एक तरफ जहां सपा और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रही है तो वहीं दूसरी तरफ सत्ताधारी बीजेपी की बात करें तो एनडीए में शामिल घटक दलों के बीच तालमेल बनता नजर नहीं आ रहा है। यूपी चुनाव में घटक दल अलग-अलग सीटों को लेकर दावा कर रहे हैं जिसको लेकर पेंच लगातार फसता जा रहा है। 9 में से 2 सीटों की मांग पर निषाद पार्टी अड़ी हुई है। इसको लेकर मंगलवार की देर रात तक बीजेपी मुख्यालय में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बीच बड़ी बैठक भी हुई।वही पार्टी सूत्रों के हवाले से यह जानकारी निकाल के सामने आई है कि इस बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल भी मौजूद रहे, हालांकि उपचुनाव को लेकर करीब एक घंटा चली इस बैठक के बाद भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला।
कौन संभालेगा मोर्चा
यूपी उपचुनाव से पहले एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर उभरा हुआ यह नया मामला गंभीर होता हुआ दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पूरे मसले को निस्तारित करने के लिए जिम्मेदारी पार्टी के महासचिव और उत्तर प्रदेश के पूर्व संगठन मंत्री सुनील बंसल के सौंपी है। खबर है कि एक बार फिर पार्टी मुख्यालय में संजय निषाद और सुनील बंसल के बीच बैठक होगी। जिसमें इस बात का निष्कर्ष निकाला जाएगा कि एनडीए में जो यह खींचतान सीट को लेकर शुरू हुई है वह खत्म हो। निषाद पार्टी उत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में से 2 सीटों की मांग कर रही है। उसका कहना है कि उत्तर प्रदेश के कटहरी और मझवां विधानसभा सीट पर निषाद पार्टी अपना प्रत्याशी चाहती है। वही राजनीतिक सूत्रों से यह भी बात निकल के सामने आ रही है कि बीजेपी की ओर से निषाद पार्टी को मझवां सीट का ऑफर दिया गया है हालांकि यह सीट भी सशर्त दी जा रही है और वह शर्त यह है कि निषाद पार्टी का प्रत्याशी बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़ेगा। जिसे संजय निषाद मानने को तैयार नहीं हो रहे हैं। अब यह क़यास लगाए जा रहे हैं कि जब सुनील बंसल संजय निषाद के साथ बैठक करेंगे तो यह मसाला खत्म होगा और कोई बीच का रास्ता निकलेगा।
बीजेपी नहीं करना चाहती कोई गलती
भारतीय जनता पार्टी इस चुनाव में कोई गलती नहीं करना चाहती है, यही वजह है कि एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर उठे इस नए बवाल को पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा में तुरंत गंभीरता से लेते हुए इसके समाधान करने के लिए सुनील बंसल को जिम्मेदारी सौंपी है। बीजेपी इस कोशिश में है कि लोकसभा चुनाव में मिले निराशाजनक परिणाम को इस बार खत्म किया जाए क्योंकि डबल इंजन की सरकार के विकास कार्य के बावजूद हालिया लोकसभा चुनाव में जिस तरीके से सपा-कांग्रेस गठबंधन ने बीजेपी और एनडीए को इस चुनाव में पीछे छोड़ा था। उससे कहीं ना कहीं भाजपा के कार्यकर्ता हताश हुए थे और अब इस चुनाव में एक बार फिर समाजवादी पार्टी के मुखिया ने दावा किया है कि 9 विधानसभा सीटों में से सबसे ज्यादा सपा इस चुनाव में फिर से प्रचंड जीत हासिल करेगी।
ग़ौरतलब है कि यूपी के 10 विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने थे लेकिन मिल्कीपुर को छोड़कर चुनाव आयोग ने 9 सीटों के लिए मतदान की तारीख़ का एलान किया था। इन विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को वोटिंग होगी जबकि इसके परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए जायेंगे।