Mahakumbh 2025: 97 प्रतिशत तक दोनों फेफड़े डैमेज, 3 शाही स्नान तक रहेंगे! महाकुंभ में ऑक्सीजन सपोर्ट पर पहुंचे इंद्र गिरी महाराज
महाकुंभ 2025 में हरियाणा के हिसार से महंत इंद्र गिरी महाराज पहुंचे हैं। उनके इस मेले में आने से हर कोई हैरान है। दरअसल, 4 साल पहले ही इंद्र गिरी महाराज के दोनों फेफड़े करीब 97 प्रतिशत तक खराब हो चुके हैं। वह डॉक्टर के सलाह पर ऑक्सीजन पर चल रहे हैं। उनको सलाह दी गई है कि वह कहीं भी बाहर न जाए। लेकिन उसके बावजूद अपनी आस्था और इच्छा शक्ति से यहां पहुंचे हैं।
दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला महाकुंभ 2025 पूरी तरीके से सज धज कर तैयार हो चुका है। देश के 4 महाकुंभों में सबसे बड़े प्रयागराज महाकुंभ में देश और दुनिया से लाखों साधु-संत आने शुरू हो चुके हैं। 13 जनवरी से इस मेले की शुरुआत हो जाएगी। यह महाकुंभ अब तक के सभी महाकुंभों में सबसे बड़ा और सबसे महंगा होने जा रहा है। करीब 5000 करोड़ के खर्चे के साथ इस महाकुंभ को भव्य बनाने की पूरी तैयारी चल रही है। यहां लाखों संतों में कई ऐसे रहेंगे जो आकर्षण का केंद्र रहेंगे। इनमें नागा साधुओं से लेकर कई तपस्वी और अलग-अलग रूप में यह सभी साधु-संत नजर आएंगे। इस मेले में अखाड़े सबसे ज्यादा चर्चाओं में रहते हैं। देश के सभी 13 बड़े अखाड़े यहां नज़र आएंगे। इन अखाड़ों के शिविर में अभी से ही साधु-संतों का आना-जाना शुरू हो चुका है। इस बीच 13 अखाड़ों में से एक आवाहन अखाड़े के शिविर में महंत इंद्र गिरी महाराज पहुंचे हैं। जिनका यहां आना सभी को चौंका दिया। दरअसल, महंत इंद्र गिरी महाराज के दोनों फेफड़ों 97% तक डैमेज हो चुके हैं। वह हमेशा ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहते हैं। लेकिन सांस लेने की परेशानी के बावजूद भी वह इस मेले में पहुंचे हैं। उनकी इस आस्था और तपस्या को देखकर हर कोई नतमस्तक हो गया। बता दें कि महंत इंद्र गिरी महाराज हरियाणा के हिसार से प्रयागराज पहुंचे हैं।
दोनों फेफड़े डैमेज फिर भी ऑक्सीजन सपोर्ट से महाकुंभ पहुंचे महंत इंद्र गिरी महाराज
महाकुंभ 2025 13 जनवरी से शुरू हो रहा है। करीब 45 दिन से ज्यादा समय तक इस मेले में करीब 40 से 45 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद जताई जा रही है। इस मेले में आपको कुछ ऐसे दृश्य दिखाई देंगे। जो आपने अपने जीवन में शायद ही कभी देखा हो। सनातन धर्म के साधु संतों का वह रूप आपको दिखाई देगा। जो किसी देवता के समान नजर आएगा। इस बीच महाकुंभ में हरियाणा के हिसार से महंत इंद्र गिरी महाराज पहुंचे हैं। उनके इस मेले में आने से हर कोई हैरान है। दरअसल, 4 साल पहले ही इंद्र गिरी महाराज के दोनों फेफड़े करीब 97 प्रतिशत तक खराब हो चुके हैं। वह डॉक्टर के सलाह पर ऑक्सीजन सपोर्ट पर चल रहे हैं। उनको सलाह दी गई है कि वह कहीं भी बाहर न जाए। लेकिन देश और दुनिया के तमाम साधु-संत हर एक परेशानी को पीछे छोड़ते हुए इस मेले में पहुंच रहे हैं। यह सभी साधु-संत मेले की शुरुआत से लेकर आखिरी समय तक नजर आएंगे। ऐसे में महंत इंद्र गिरी महाराज जी ने भी अपनी इच्छा शक्ति और आस्था के बल पर यहां आने का बड़ा फैसला लिया। उनका कहना है कि "यह कुंभ मेरे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। चाहे कुछ भी हो जाए वह तीनों शाही स्नान के पहले वापस नहीं जाएंगे।" इंद्र गिरी महाराज बीते 4 दशकों से देश के 13 अखाड़ों में से एक आवाहन अखाड़े से जुड़े हैं।
महंत इंद्र गिरी महाराज साल 2020 पंच अग्नि धुनि तपस्या करते हैं
बता दें कि महंत इंद्र गिरी महाराज साल 2020 से पंच अग्नि धुनि तपस्या करते हैं। उन्होंने इसी साल 5 तरफ कंडों से बने हवन कुंड के पास बैठकर तपस्या की। यहां तक कि भीषण गर्मी में भी उनकी तपस्या जारी रही। जिसकी वजह से हवन कुंड से निकलती लपटों की वजह से उनका शरीर तपने लगा। दरअसल, जब वह तपस्या कर रहे थे। तभी उन पर अनजाने में एक शिष्य ने उनके शरीर पर बाल्टी भरकर ठंडा पानी डाल दिया। उसके बाद उन्हें बुखार आ गया। डॉक्टर ने जब उनका चेकअप किया तो बताया कि उनके दोनों फेफड़े खराब हो चुके हैं। उनको सांस लेने में दिक्कत आने लगी। इसके बाद उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर लगाया गया। महंत इंद्र गिरी महाराज साल 1989 से ही कुंभ में आ रहे हैं। वह इस अखाड़े के शिविर में अपनी देखरेख में लाखों लोगों के लिए भंडारा चलाते हैं। हालात कैसे भी क्यों ना हो वह महाकुंभ में आना कभी नहीं भूलते। उनकी यह परंपरा लगातार जारी है। वह अखाड़े में पहुंचने वाले हर एक साधु-संत और भक्तों से पूछ-पूछ कर उन्हें भोजन कराते हैं। वह भोजन कराने के बाद अपने हाथों से दक्षिणा भी देते हैं। उनका कहना है कि प्रयागराज के संगम तट पर अगर उनका प्राण भी चला जाए। तो उनके लिए मोक्ष द्वार खुल जाएंगे।