Brand Modi: क्या ब्रांड मोदी अपने अवसान की ओर है?
Brand Modi: 2013 के बाद से एक दशक तक मोदी के आसपास सिर्फ और सिर्फ़ पॉजिटिव खबरें थी, बुलेट ट्रेन, स्मार्ट सिटी, फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर । 370, सर्जिकल स्ट्राइक और राम मंदिर ब्रांड मोदी का पिक था।
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Brand Modi: MBA में हमें पढ़ाया गया था "ब्रांड वैल्यू या तो बढ़ती है या घटती है, वो कॉन्स्टेंट नहीं रहती" ब्रांड मोदी 2013 के बाद से लगातार बढ़त की ओर था । उनके पास भारत के नवनिर्माण के लिए दर्जनों नए ideas थे - स्टार्ट अप इंडिया, स्किल इंडिया, स्वच्छ भारत आदि। लोग मोदी को सुनना चाहते थे। देश हो या विदेश, उनकी सभाएं लोगों से खचाखच भरी होती थीं। टेलीविजन चैनल्स की TRP मोदी को दिखाते ही ऊपर की ओर भागने लगती। 2013 के बाद से एक दशक तक मोदी के आसपास सिर्फ और सिर्फ़ पॉजिटिव खबरें थी, बुलेट ट्रेन, स्मार्ट सिटी, फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर । 370, सर्जिकल स्ट्राइक और राम मंदिर ब्रांड मोदी का पिक था।
मोदी ने "बेटी के साथ सेल्फी" लगाने को बोला तो सोशल मीडिया पर तस्वीरों की बाढ़ आ गई। मोदी ने जलाने बोला तो देश में दीपावली सा माहौल हो गया। मोदी ने थाली बजाने बोला तो करोना के दुःख में भी लोग थाली और ताली बजाने लगे। मोदी ने घर- घर तिरंगा अभियान चलाया तो 15 अगस्त से पहले ही घरों पर तिरंगा लग गए।
"मोदी है तो मुमकिन है" ये महज नारा नहीं, लोगों का विश्वास था। मोदी ने बोला है तो होगा। मोदी करेगा। लेकिन हर ब्रांड का एक ascent phase होता है, फिर उसका peak आता है, उसके बाद ब्रांड decline करने लगता है ।
तो क्या ब्रांड मोदी decline phase में आ गया है ? (Brand Modi)
इस सवाल के पीछे कुछ ठोस कारण हैं। मोदी की सीटें घटी, इस 15 अगस्त से पहले भी "हर घर तिरंगा" का नारा दिया। लेकिन बीजेपी से जुड़े लोगों ने तो तिरंगा लगाया, लेकिन आम जनता में इस बार उत्साह नहीं था। मोदी के भाषणों में भी surprise elements न के बराबर हैं। बातें रिपीट होती हैं। अब मोदी समझौता करते दिखते हैं। कृषि कानून, वक़्फ़ कानून, NRC, SC- ST पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला। ऐसा लगता है कि मोदी सरकार को भी ब्लैकमेल किया जा सकता है। ‘Strong Leader’ वाली छवि पीछे छुटने लगी है । नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक वाले मोदी समझदार "भाईजान" मोदी दिखने लगे हैं।
अमित शाह अब चाणक्य से अधिक लोगों की नजरों में साज़िश करने वाले सिपहसालार दिखते हैं। पार्टी के अंदर भी साज़िश और दूसरी पार्टी तोड़ने वाले भी साजिशकर्ता। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की छवि अमित शाह की परछाईं (या उनके बड़ा बाबू) की है। अमित शाह और नड्डा के बारे में पैसे को लेकर भी अपुष्ट खबरें हैं। योगी के साथ रिश्तों को लेकर भी मीडिया में बहुत कुछ लिखा जा चुका है।।
भाजपा की सबसे बड़ी ताक़त उसका IT सेल था। लेकिन हाल के दिनों में IT सेल प्रमुख अमित मालवीय "दरबारी" या नेता तो लगते हैं, लेकिन क्रिएटिव नहीं।
इन सब को मिलाकर ही कह रहा हूं कि "brand erosion" का प्रोसेस शुरू हो चुका है। अभी देखिएगा, आने वाले समय में कई decisions को रोलबैक करना होगा।
मोदी 73 साल के हो चुके हैं। 75 साल का बेंचमार्क उन्हीं का बनाया हुआ है। Brand Modi is declining
ऐसे वक्त में कंपनियां बाजार में नया ब्रांड introduce करती हैं। पर वो नया ब्रांड कौन होगा, जो बाज़ार और लोगों का sentiments Capture कर सके?