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महाराष्ट्र में महायुति पर संकट: मुख्यमंत्री पद पर नहीं बन पा रही सहमति, बैठक रद्द

महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल जारी है। महायुति की आज होने वाली बैठक अचानक रद्द कर दी गई, क्योंकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सतारा स्थित अपने गांव के लिए रवाना हो गए। दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह के साथ तीन घंटे लंबी बैठक के बावजूद मुख्यमंत्री पद और विभागों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई।
महाराष्ट्र में महायुति पर संकट: मुख्यमंत्री पद पर नहीं बन पा रही सहमति, बैठक रद्द
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। महायुति की आज होने वाली अहम बैठक अचानक रद्द कर दी गई, क्योंकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने गृहनगर सतारा जाने का फैसला किया। इस घटनाक्रम ने न केवल राजनीतिक गलियारों में खलबली मचाई, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया कि क्या मुख्यमंत्री पद को लेकर महायुति के भीतर सब कुछ ठीक है?

महायुति के तीन बड़े नेता—मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी नेता अजित पवार बीते दिन दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह के साथ एक मैराथन बैठक करके लौटे थे। तीन घंटे चली इस बैठक के बाद उम्मीद की जा रही थी कि आज मुंबई में महायुति के नेताओं के बीच सीएम पद और विभागों के बंटवारे को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

लेकिन अचानक एकनाथ शिंदे ने अपने गृहनगर सतारा जाने का निर्णय लिया, जिसके चलते बैठक स्थगित कर दी गई। शिंदे के करीबी सूत्रों के अनुसार, वह अपने गांव में कुछ पारिवारिक और व्यक्तिगत कारणों से जा रहे हैं। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम अंदरूनी मतभेदों और सीएम पद को लेकर गहराते विवाद का संकेत हो सकता है।
दिल्ली बैठक का सार
दिल्ली में अमित शाह के आवास पर हुई बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल और सांसद सुनील तटकरे भी मौजूद थे। यह बैठक महाराष्ट्र में सरकार के अगले पांच साल के रोडमैप और मुख्यमंत्री पद पर अंतिम निर्णय को लेकर बुलाई गई थी। बैठक के बाद तीनों नेता मुंबई लौट आए और इसे सकारात्मक और फलदायी बताया गया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, "यह पहली बैठक थी। महायुति के नेता जल्द ही मुंबई में दूसरी बैठक करेंगे, जिसमें मुख्यमंत्री पद पर फैसला लिया जाएगा।"

लेकिन दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली की इस बैठक में भी मुख्यमंत्री पद पर कोई सहमति नहीं बन सकी। इससे स्पष्ट है कि भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) के बीच कुछ गंभीर मुद्दे अब भी अनसुलझे हैं।
सीएम पद का विवाद
महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति को हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में 280 में से 233 सीटों का विशाल बहुमत मिला। भाजपा ने 132 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को 57 और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को 41 सीटें मिलीं। इतने बड़े जनादेश के बावजूद मुख्यमंत्री पद को लेकर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। भाजपा, जो सबसे बड़े सहयोगी के रूप में उभरी है, अपने नेता देवेंद्र फडणवीस को सीएम पद के लिए उपयुक्त मानती है। वहीं, शिवसेना और एनसीपी भी अपने नेताओं के नाम आगे बढ़ा रही हैं।

इस पूरे विवाद के बीच एकनाथ शिंदे का बयान भी चर्चा में है। उन्होंने कहा, "मेरे लिए 'लाडला भाई' का टाइटल किसी भी पद से बड़ा है।" शिंदे का यह बयान न केवल उनके समर्थकों के लिए सुकूनदायक है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वह मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई बाधा नहीं बनने देना चाहते। लेकिन सवाल यह है कि क्या उनकी यह स्पष्टता महायुति के भीतर असमंजस को खत्म कर पाएगी?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महायुति के भीतर मुख्यमंत्री पद और विभागों के बंटवारे को लेकर असंतोष है। शिवसेना और एनसीपी दोनों ही अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना चाहते हैं, जबकि भाजपा अपने बहुमत और केंद्रीय नेतृत्व के प्रभाव का फायदा उठाने के मूड में है। 

वहीं, शिंदे का सतारा जाना और बैठक का स्थगित होना, इस बात का संकेत है कि महायुति के भीतर कहीं न कहीं विश्वास की कमी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि शिंदे के गांव से लौटने के बाद बैठक में क्या निर्णय लिया जाता है।

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