मदरसों में बच्चे राम भी पढ़ेंगे, रामायण भी पढेंगे, माडर्न पढ़ाई भी पढ़ेंगे-शादाब शम्स

अब तक वोटों के ठेकेदारों ने मुस्लिम समाज के बच्चों को जिस तरह से शिक्षा के अधिकार से दूर रखा गया उसी के नतीजे में मंडल कमीशन की रिपोर्ट में कहा गया कि देश में मुस्लिमों का जीवन स्तर दलितों के भी खराब है और यह कोई उपलब्धि नहीं है बल्कि शर्मनाक बात है। और इस समाज के ठेकेदारों ने अपनी दुकान चलाने के लिए, मुस्लिम बच्चों को शिक्षा से दूर रखने के लिए ताबड़तोड़ मदरसे खोले गए। उत्तराखंड जो छोटा सा राज्य है, मुस्लिमों की आबादी 14 लाख के करीब है जो उत्तराखंड का दस प्रतिशत के आसपास है।
अंदाजा लगाइए उत्तराखंड में 415 मदरसे चलते हैं जबकि वक्फ बोर्ड के अधीन सिर्फ 117 मदरसे आते हैं। बाकी के मदरसे किसके हैं, जानते हैं आप, लोगों ने अपनी दुकान चलाने के लिए खोले हैं। लेकिन अब इस धंधे पर सरकार लगाम लगाने की दिशा में काम कर रही है। इसीलिए उत्तराखंड में कुरान के साथ रामायण भी पढ़ाई जाएगी, राम को भी पढ़ाया जाएगा। इस देश का अब तक दुर्भाग्य रहा है कि यहां अब तक अकबर को ही महान पढ़ाया गया है। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा कि अपने पूर्वजों की परंपरा को बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है। इसीलिए विकसित भारत की तर्ज पर मदरसों में बदलाव लाने का काम किया जा रहा है ताकि सभी धर्म और जाति के छात्र-छात्राएं मदरसों में शिक्षा ले सकें।
यहां देश के मुस्लिम समाज को भी यह समझना होगा कि देश की मुख्यधारा से जुड़ना है, देश को अगर आगे लेकर जाना है तो शिक्षा जरूरी है।
वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने इंडोनेशिया का हवाला देते हुए कहा कि मुस्लिम देश होने के बावजूद वहां के लोग श्रीराम को आदर्श के रूप में पूजते हैं। भारत में रहने वाले मुसलमानों को भी इंडोनेशिया से सीख लेनी चाहिए। लेकिन इस देश के एक तबके को यह बात समझ नहीं आती, लेकिन कोशिशें की जा रही हैं, तो देखना होगा क्या कुछ नतीजा निकलकर आता है।