शिवराज को आंख दिखाने वाली निशा बांगरे अब मांग रही है नौकरी की भीख
आज हर कोई नेता बनना चाहता है। कोई निर्दलीय चुनावी ताल ठोक रहा है तो कोई किसी ना किसी पार्टी से चुनावी मैदान में उतकर जीत की आस लगा रहा है। एक ऐसी ही आस एक व्यकित की टूटी है जिन्होंने अपनी सरकारी नौकरी को लात मारकर राजनीति में उतरने का मन बनाया था लेकिन अब वापस अपनी नौकरी मांग कर रही हैं ।
राजनीति में उतर कर चुनाव लड़ने की हर किसी की इच्छा होती है,,आज हर कोई नेता बनना चाहता है। कोई निर्दलीय चुनावी ताल ठोक रहा है तो कोई किसी ना किसी पार्टी से चुनावी मैदान में उतकर जीत की आस लगा रहा है। एक ऐसी ही आस एक व्यकित की टूटी है जिन्होंने अपनी सरकारी नौकरी को लात मारकर राजनीति में उतरने का मन बनाया था लेकिन अब वापस अपनी नौकरी मांग कर रही हैं। पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे आपको याद ही होंगी। जिन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड दी थी। निशा बांगरे ने कांग्रेस से चुनाव लड़ने के लिए अपना इस्तीफा दे दिया था। इस इस्तीफे को स्वीकार कराने के लिए उन्होंने राज्य सरकार से भी लड़ाई लड़ी थी,,लेकिन अब निशा बांगरे अपनी नौकरी वापस मांग रही है। जी हां आपने बिल्कुल सही सुना। निशा बांगरे अब सरकारी नौकरी पर फिर से जाना चाहती है। इसका खुलासा खुद निशा बांगरे ने किया है।
"कांग्रेस ने मुझे लोकसभा टिकट देने का वादा किया था, लेकिन पार्टी अपने वादे से मुकर गई।" ये पूछे जाने पर कि क्या ऑफर मिलने पर वह बीजेपी में शामिल होंगी, उन्होंने कहा, "मुझे बीजेपी से कोई ऑफर नहीं मिला है। मैंने जनवरी में ही सामान्य प्रशासन विभाग को मुझे सेवा में वापस लाने के लिए लिखा था। मुझे वापस लेने का मेरा आवेदन सरकार के पास पेंडिंग है।"
आपको बता दें पिछले साल नंवबर में विधानसभा चुनाव के दौरान निशा बांगरे कांग्रेस के टिकट पर आमला से चुनाव लड़ना चाहती थी । हालांकि जब तक सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार किया कांग्रेस ने इस सीट से उम्मीदवार की घोषणा कर दी थी। हाल ही में निशा बांगरे को कांग्रेस में नई जिम्मेदारी भी मिली थी। उन्हें मुख्य प्रवक्ता बनाया गया था। लेकिन अब खबर है कि बांगरे अपनी सरकारी नौकरी वापिस चाहती है उनका कहना है कि
"मेरा परिवार चाहता है कि मैं सेवा में वापस आ जाऊं। मप्र सेवा नियम में इसका प्रावधान है। ऐसे भी उदाहरण हैं जहां सरकारी कर्मचारियों ने इस्तीफा दे दिया, चुनाव लड़ा और चुनाव हारने के बाद सेवा में वापस आ गए।"
कौन हैं निशा बांगरे?
निशा बांगरे छतरपुर जिले के लवकुश नगर में एसडीएम पद पर थी। उन्हें पूरी उम्मीद थी कि कांग्रेस बैतूल जिले की आमला विधानसभा सीट से उम्मीदवार घोषित करेगी। आमला क्षेत्र में सरकारी नौकरी में रहते हुए उन्होंने अपने कामों से खूब सुर्खियां बटोरी थीं। इसी को भुनाने के लिए उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले इस्तीफा भेज दिया लेकिन सरकार ने इस्तीफा मंजूर नहीं किया।
इसके बाद वो सरकार से सीधे टक्कर लेने के लिए खड़ी हो गईं। उन्होंने पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया.
उन्होंने आमला से भोपाल तक सरकार के खिलाफ पदयात्रा भी की और आखिरकार कोर्ट के आदेश के बाद 23 अक्टूबर को सरकार ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया था।
अब देखना होगा कि उन्हें वापस सरकार नौकरी मिलती है या नहीं।