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अब बिहार पुलिस बनेगी डॉक्टर, सीपीआर देकर बचाएगी लोगों की जान

Bihar Police:अब बिहार पुलिस डायल 112 के पुलिसकर्मियों को सीपीआर यानी कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन की ट्रेनिंग दे रही इससे ऐसे लोगों को मदद दी जा सके।
अब बिहार पुलिस बनेगी डॉक्टर, सीपीआर देकर बचाएगी लोगों की जान
Photo by:  Google

Bihar Police: आपने हंसते-गाते, खेलते-कूदते और सामान्य दिखने वाला शख्स के अचानक गिर जाने और उसकी मौत हो जाने की घटना देखी और सुनी होगी। बताया जाता है कि ऐसी घटना सडन कार्डियक अरेस्ट से होती है। ऐसे में अब बिहार पुलिस डायल 112 के पुलिसकर्मियों को सीपीआर यानी कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन की ट्रेनिंग दे रही इससे ऐसे लोगों को मदद दी जा सके।आइए जानते है इस खबर को विस्तार से ....

पुलिस के डॉयल 112 के सभी पुलिसकर्मियों को सीपीआर का प्रशिक्षण दिया गया

पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) और गोपालगंज जिला पुलिस के डॉयल 112 के सभी पुलिसकर्मियों को सीपीआर का प्रशिक्षण दिया गया है। मोतिहारी के पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात आईएएनएस को बताते हैं कि एम्स पटना के पूर्व चिकित्सक डॉ. अभिषेक रंजन द्वारा सभी पुलिसकर्मियों को सीपीआर का प्रशिक्षण दिलाया गया है। उन्होंने कहा कि सडन कार्डियक अरेस्ट पुलिसकर्मियों के अलावा आम लोगों को भी हो सकता है और अगर तत्काल सीपीआर मिले तो उस शख्स की जान बचाई जा सकती है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि कुछ ही दिन पूर्व पुलिस लाइन में तैनात कांस्टेबल पूनम कुमारी अचानक बेहोश होकर गिर गई थीं। उन्हें तत्काल सीपीआर दिया गया और अस्पताल ले जाया गया। आज वह स्वस्थ हैं और सीपीआर प्रशिक्षित हैं। उस समय चिकित्सकों ने माना भी था कि सीपीआर के कारण पूनम को बचाया जा सका।

एक पुलिस अधिकारी का मानना है कि डायल 112 तत्काल सुविधा है

पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात सभी लोगों को सीपीआर का प्रशिक्षण देने की वकालत करते है। उन्होंने बताया क‍ि प्रशिक्षण प्राप्त पुलिसकर्मियों को प्रमाण पत्र भी दिया जाता है। गोपालगंज जिले में भी डॉयल 112 में तैनात पुलिसकर्मियों को इसका प्रशिक्षण दिया गया है। एक पुलिस अधिकारी का मानना है कि डायल 112 तत्काल सुविधा है। आम लोग भी इसका लाभ उठा सकेंगे। डॉ. अभिषेक रंजन कहते हैं कि कार्डियक अरेस्ट आने की स्थिति में तीन से 10 मिनट का समय बहुत अहम होता है। एक स्टडी से सामने आया है कि अगर ट्रेंड व्यक्ति पीड़ित की जान बचाने की कोशिश करता है, तो करीब साढ़े तीन लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है। सीपीआर में बीमार व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने से पहले जीवित रखने के लिए हृदय की मांसपेशियों पर दबाव डालने के लिए एक विशेष तकनीक का उपयोग किया जाता है। कार्डियक अरेस्ट होने पर हृदय, मस्तिष्क और फेफड़ों सहित शरीर के बाकी हिस्सों में खून पंप नहीं कर सकता है। ऐसी स्थिति में इस तकनीक से मरीज की जान बचाई जा सकती है। 

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