Rahul Gandhi को Sambhal जाने की नहीं मिली अनुमति, क्या है वजह जानिए
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) उत्तर प्रदेश के संभल जाना चाहते हैं लेकिन जानकारी सामने आ रही है कि उन्हें वहां पर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। मुरादाबाद कमिश्नर ने कहा, "हम उनसे संभल न आने की गुजारिश कर रहे हैं, अगर ऐसा नहीं होता है तो आगे कदम उठाए जाएंगे. हम किसी को रोकना नहीं चाहते, खास तौर पर संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को, लेकिन हम स्थिति को नियंत्रण में रखना चाहते हैं."
हाल के दिनों में संभल विवाद को लेकर राजनीति खुब गरमायी हुई है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष औऱ वरिष्ठ कांग्रेसी नेता राहुल गांधी संभल जाना चाहते थे। लेकिन ताजा अपडेट्स के अनुसार उन्हों वहां जाने की इजाज़त नहीं मिली। संभल डीएम की तरफ से लगाए गए प्रतिबंध के कारण राहुल संभल नहीं जा पाएंगे। डीएम के आदेश के कारण प्रतिबंध जारी है और ये राहुल गांधी पर भी लागू रहेंगे।
मुरादाबाद कमिश्नर औंजनेय सिंह ने स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि हम किसी को रोकना नहीं चाहते लेकिन संभल की स्थिति को और खराब होने नहीं दे सकते। जिस तरह से सपा के डेलिगेशन को रोक दिया गया, उसी करह से ये कार्रवाई की जा रही है। कानून के अनुसार राहुल को रोकने के लिए पुरी ताकत झोंक दी जाएगी। पुलिस कमिश्नर ने आगे कहा कि हम राहुल से गुजारिश कर रहें है कि वो संभल न आए, और अगर राहुल इस बात को नहीं मानते तो हम आगे कदम उठाएंगे। हम संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को रोकना नहीं चाहेते, लेकिन स्थिति को नियंत्रण में रखना जरूरी है। 10 दिसंबर तक प्रतिबंध है और आगे स्थिति की समीक्षा की जाएगी।
क्या है संभल की शाही जामा मस्जिद का विवाद?
विवाद संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर हो रहा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि एक मंदिर को तोड़कर इस मस्जिद को बनाया गया था हिंदू पक्ष मस्जिद को हरिहर मंदिर बता रहा है। इस तरह के दावे कई धार्मिक स्थानों पर किया गया है। मुस्लिम पक्ष का मानना है कि ये धार्मिक स्वरूप को बदलने की कोशिश है। किसी धार्मिक स्थान के धार्मिक स्वरूप को बदलने से 1991 का प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट रोकता है। संभल की जिला अदालत में एक याचिका दायर की गई। इसमें दलील दी गई है कि संभल की शाही जामा मस्जिद एक हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाई गई है। संभल की जिला एवं सत्र अदालत के सिविल जज (सीनियर डिविजन) आदित्य सिंह ने 19 नवंबर को वकील हरिशंकर जैन और अन्य की ओर से दायर याचिका को स्वीकार कर लिया। इन याचिकाओं में मस्जिद में प्रवेश करने की इजाजत मांगी गई है। याचिका दायर किए जाने के कुछ घंटे बाद ही अदालत ने सर्वे के लिए अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त करने का आदेश दिया। उसी दिन मंदिर का पहला सर्वे भी कर लिया गया।
कब हुआ विवाद?
चंदौसी कोर्ट के आदेश के बाद ASI की टीम 24 दिसंबर को शाही जामा मस्जिद का दौरा करने पहुंची। इसी दौरान मुस्लिम पक्ष ने विरोध शुरू कर दिया। पुलिस और स्थानीय लोगों की झड़प हपई। पत्थरबाजी की गई, चप्पलें फेंकी गई यहां तक की गोलीबारी भी हई। पुलिस ने बचाव में आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। इस झड़प में 5 लोगों की मौत हो गई और पुलिसकर्मियों के साथ साथ कई स्थानीय लोग घायल है। जिनका इलाज चल रहा है।