Sambhal के 24 कोसी परिक्रमा मार्ग का होगा विकास, DM ने पैदल परिक्रमा कर लिया जायजा
जामा मस्जिद के सर्वे के बाद चर्चा में आने वाला संभल अब धार्मिक नगरी के रूप में डेवलप होगा. संभल के 24 कोसी परिक्रमा मार्ग पर लाइटिंग के साथ टूट-फूट को सही किया जाएगा. DM राजेंद्र पेंसिया ने अपनी टीम के साथ किलोमीटर पैदल परिक्रमा की.

यूपी का संभल जिला जो जामा मस्जिद में सर्वे के बाद पूरे देश के केंद्र में आ गया था। मस्जिद में सर्वे से शुरू हुई लड़ाई खुदाई तक पहुंची और संभल का सनातनी इतिहास बाहर आने लगा। सनातन के नए नए प्रमाण मिलने लगे। धरती ने खुद राज उगले तो योगी सरकार भी संभल को फिर एक बार तीर्थ नगरी के रूप में विकसित करने पर जुट गई।
पहले मंदिर, फिर बावली और प्राचीन सिक्के। संभल की धरती में सनातन के कितने सबूत? अब 24 कोसी परिक्रमा मार्ग का होगा विकास।धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संजोने की कवायद तेज।
संभल को वापस उसके प्राचीन स्वरूप में लौटाने की कवायद तेज हो गई है। यहां कई ऐतिहासिक धरोहरों के प्रमाण मिलने के बाद उन स्थानों को सजाने संवारने पर काम तेज हो गया। इसी कड़ी में संभल की 24 कोसी परिक्रमा मार्ग के विकास का काम भी तेज हो गया।
DM राजेंद्र पेंसिया ने खुद परिक्रमा कर इसका जायजा लिया। इस मार्ग पर राजेंद्र पेंसिया ने करीब 11 किलोमीटर की पदयात्रा की।
संभल के वंश गोपाल तीर्थ से शुरू हुई परिक्रमा। SP केके विश्नोई और अधिकारी रहे मौजूद। गाड़ियों को रास्ते में छोड़ अधिकारियों ने की पैदल परिक्रमा । DM ने परिक्रमा मार्ग की दिक्कतों को समझा।वंश गोपाल तीर्थ से भोलेशेवर पुलिस चौकी तक की परिक्रमा ।
दरअसल, DM राजेंद्र पेंसिया को परिक्रमा मार्ग पर टूट फूट की शिकायत मिली थी। साथ ही बताया गया कि 72 किलोमीटर की यात्रा केवल 48 किलोमीटर ही रह गई। फिर क्या था DM राजेंद्र पेंसिया अपनी टीम को लेकर निकल पड़े। वे टीम के साथ करीब सात से आठ गांवों के बीच से गुजरे और रास्ते में टूट फूट कमी पर भी ध्यान दिया गया।
परिक्रमा करने के बाद राजेंद्र पेंसिया ने रास्ते में लाइट लगाने और टूट फूट ठीक करने के निर्देश दिए। साथ ही गोपाल वंश तीर्थ के डैमेज बोर्ड को भी जल्द ही सही करने का आश्वासन दिया।
24 कोसी परिक्रमा का इतिहास ?
संभल महात्म्य में 24 कोसी परिक्रमा का जिक्र। 68 तीर्थों और 19 कूपों की परिक्रमा का महत्व। 72 किलोमीटर तक है परिक्रमा मार्ग। देशभर से परिक्रमा करने पहुंचते हैं श्रद्धालु। वंश गोपाल तीर्थ से शुरू होती है परिक्रमा। वंश गोपाल तीर्थ पर कदंब के पेड़ की खास है मान्यता। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मणी के साथ यहां विश्राम किया था ।
प्रशासन का दावा है कि संभल में 68 तीर्थों में से 41 को प्रशासन ने खोज निकाला। वहीं, 19 प्राचीन कुएं भी खोजे गए हैं। इसके साथ ही चंदौसी में डेढ़ सौ साल पुरानी बावली की खोज भी की गई। प्रशासन की कोशिश है कि इन सभी धरोहरों को पुनर्जीवित कर उनके पुराने स्वरूप में लौटाया जाए। इन्हें संवारकर सजाकर संभल में टूरिज्म के द्वार भी खोले जाएंगे। एक एक कर यहां संभल महात्म्य में वर्णित तीर्थ स्थानों की खोज तेजी से पूरी हो रही है। ऐसे में संभल की वास्तविक तस्वीर को सामने आने लगी है जो दर्शाती है कि ये सनातनी आस्था और सांस्कृतिक धरोहरों की नगरी रही है। यहां मिले महात्माओं, महर्षियों के आश्रम भी साबित करते हैं कि संभल हिंदुओं का महातीर्थ रहा है।