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यूपी में आंधी-तूफान और बिजली का कहर, 22 लोगों की मौत, CM योगी ने की राहत की घोषणा

10 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में आए अचानक तूफान और आकाशीय बिजली से हुई तबाही, इस भीषण प्राकृतिक आपदा में 22 लोगों की जान गई, 45 पशुओं की मौत हुई और 15 मकानों को नुकसान पहुंचा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की और अधिकारियों को तत्काल राहत पहुंचाने के निर्देश दिए।
यूपी में आंधी-तूफान और बिजली का कहर, 22 लोगों की मौत, CM योगी ने की राहत की घोषणा
उत्तर प्रदेश एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गया। बुधवार की शाम अचानक मौसम का मिजाज बदला और आसमान से तबाही बरसने लगी। तेज़ आंधी, तूफान और बिजली गिरने की घटनाओं ने पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा दिया। न सिर्फ इंसानी जानें गईं, बल्कि पशु संपत्ति और मकानों को भी भारी नुकसान हुआ। इस भीषण आपदा में अब तक 22 लोगों की मौत, 45 पशुओं की जान और 15 मकानों को नुकसान की पुष्टि हो चुकी है।

राज्य सरकार और जिला प्रशासन अलर्ट मोड में हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुरंत राहत कार्य शुरू करने के निर्देश दिए हैं और मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है।

कैसे अचानक आई यह तबाही?

यह घटना अचानक नहीं थी, लेकिन जिस गति और तीव्रता से यह मौसम बदला, वह हैरान करने वाला था। 10 अप्रैल की दोपहर तक मौसम सामान्य था, लेकिन शाम होते-होते पूर्वांचल और मध्य यूपी के आसमान में काले बादल घिर आए। कई जगहों पर धूलभरी आंधी चली, पेड़ और बिजली के खंभे गिर पड़े। फिर शुरू हुई तेज़ बारिश के साथ आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं, जो कई लोगों के लिए मौत का कारण बन गईं।

बिजली गिरने से जान जाने की घटनाएं भारत के ग्रामीण इलाकों में आम हैं, लेकिन एक ही दिन में इतनी बड़ी संख्या में जानें जाना प्रशासन और मौसम विभाग, दोनों के लिए चेतावनी है।

कौन-कौन से जिले हुए सबसे ज्यादा प्रभावित?

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सबसे अधिक मौतें फतेहपुर और आजमगढ़ में दर्ज की गईं, जहाँ 3-3 लोगों की जान गई। कानपुर देहात, फिरोजाबाद, और सीतापुर में 2-2 लोगों की मौत हुई। गाजीपुर, गौंडा, अमेठी, संतकबीरनगर, और सिद्धार्थनगर में 1-1 व्यक्ति की मौत दर्ज की गई। तेज़ आंधी के चलते बलिया, कन्नौज, बाराबंकी, जौनपुर, और उन्नाव में भी एक-एक मौत हुई। ये आंकड़े सिर्फ एक दिन की आपदा के हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि यह कोई सामान्य मौसम परिवर्तन नहीं था, बल्कि एक आपात स्थिति थी। प्राकृतिक आपदा का असर केवल इंसानों तक ही सीमित नहीं रहा। गाजीपुर जिले में सबसे ज्यादा, यानी 17 पशुओं की मौत हुई। 

CM योगी का निर्देश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरा दुख जताते हुए तत्काल राहत पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि "जो लोग इस आपदा से प्रभावित हुए हैं, उनके लिए राज्य सरकार पूरी तरह से खड़ी है। कोई भी पीड़ित व्यक्ति बिना मदद के न रह जाए।" उन्होंने स्पष्ट किया कि मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता, पशु हानि पर सरकारी नियमानुसार मुआवजा, और मकान क्षति की भरपाई जल्द से जल्द सुनिश्चित की जाए।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि घायलों के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में विशेष व्यवस्था की जाए और सभी ज़िलों के आपदा प्रबंधन अधिकारी मौके पर जाकर निरीक्षण करें। इसके अलावा सरकार की प्राथमिकता है कि मुआवज़ा जल्द से जल्द सीधे पीड़ितों के खातों में भेजा जाए।

उत्तर प्रदेश की जलवायु में अप्रैल से जून के बीच आंधी-तूफान और बिजली गिरने की घटनाएं आम हैं। लेकिन चिंता की बात यह है कि समय रहते सतर्कता और जागरूकता न होने के कारण हर साल सैकड़ों जानें जाती हैं। मौसम विभाग अक्सर चेतावनी जारी करता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इन चेतावनियों का समय पर लोगों तक न पहुंचना या उन्हें गंभीरता से न लेना, जानलेवा साबित होता है। राज्य सरकार को अब ज़मीनी स्तर पर जागरूकता फैलाने की ज़रूरत है।

10 अप्रैल की घटना एक बार फिर बता गई कि प्रकृति के आगे हम कितने असहाय हो सकते हैं। लेकिन अगर तैयारी सही हो, तकनीक का इस्तेमाल बेहतर हो और प्रशासन सक्रिय रहे तो जान-माल की हानि को काफी हद तक रोका जा सकता है।
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