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बिहार सीएम नीतीश कुमार वक्फ बिल पर आखिर क्यों है साइलेंट? जानिए नीतीश के चुप्पी साधने की पूरी कहानी?

देश भर में वक्फ बिल को लेकर सियासी घमासान जारी है। वक्फ बोर्ड और कई विपक्षी दल लगातार इसका विरोध जता रहे हैं। लेकिन इस कानून को मोदी सरकार के सहयोगी दल जेडीयू के मुखिया नीतीश कुमार लगातार चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसे में नीतीश की चुप्पी साधने की 3 बड़ी वजहें सामने आ रही हैं।
बिहार सीएम नीतीश कुमार वक्फ बिल पर आखिर क्यों है साइलेंट? जानिए नीतीश के चुप्पी साधने की पूरी कहानी?
इस समय देश भर में वक्फ बिल को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है। वक्फ बिल को लेकर लगातार बैठकें जारी हैं। लेकिन  मोदी सरकार के सहयोगी दल के नेता नीतीश कुमार इस बिल पर लगातार चुप्पी साधे हुए हैं। बिहार विधानसभा सत्र में भी नीतीश के इस बिल पर चुप्पी साधने के मुद्दे को विपक्ष  उठा चुकी है। विपक्षी दलों के साथ सत्ता दल के भी कई नेताओं के मन में यह सवाल कई दिनों से गूंज रहा हैं कि जो नेता 3 महीने पहले इस बिल पर अपने पार्टी के मुस्लिम नेताओं को विरोध जताने को कहते थे। आज वही नीतीश बाबू इस मामले पर साइलेंट क्यों हैं ? क्या वह मोदी सरकार के दल के साथ होने के नाते चुप हैं या उनके साइलेंट होने की कोई और कहानी है ?

वक्फ बोर्ड कानून के समर्थन में उतरे नीतीश पार्टी में मची खलबली 

बता दें कि जब मानसून सत्र में नीतीश कुमार ने वक्फ बिल कानून को समर्थन देने की बात कही थी। तो उस दौरान उनकी पार्टी के अंदर खलबली मच गई थी। पार्टी के सभी अल्पसंख्यक नेता नीतीश कुमार के पास पहुंच गए थे। इनमें अल्पसंख्यक नेता के अगुआ जमा खान भी थे। सभी मुस्लिम नेताओं ने अपनी-अपनी बात नीतीश को सुनाई। जिसके बाद उन्होंने सभी को किसी भी तरह से परेशान और आहत न होने को कहा था। उन्होंने कहा था कि वह खुद इस मुद्दे पर ध्यान रखेंगे। 

तो फिर नीतीश कुमार ने क्यों साध ली चुप्पी ? 

दरअसल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीतिक पारी जनता पार्टी से शुरू हुई थी। वह महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानते हैं। वह सेक्युलर राजनीति में विश्वास रखते हैं। 

नीतीश कुमार के वक्फ बिल पर चुप्पी साधने की 3 बड़ी वजह 

1 - हाल ही में नीतीश कुमार के करीबी और उनकी पार्टी के बड़े नेता ललन सिंह ने एक बयान के जरिए कहा था कि मुसलमान उनकी पार्टी को वोट नहीं करते हैं। यह जानकारी नीतीश कुमार को भी है। लेकिन फिर भी वह मुसलमानों के लिए लगातार काम करते हैं। ललन सिंह के इस बयान पर मुजफ्फरपुर में  शिकायत भी दर्ज कराई गई थी। ऐसा कहा गया था कि यह बयान 2020 विधानसभा चुनाव और 2024 लोकसभा चुनाव के लिए था। यह भी कहा जाता है कि ललन सिंह के इस बयान का असर बिहार की कई लोकसभा सीटों पर पड़ा। इनमें बिहार की मुस्लिम बहुल सीटों में शामिल किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार में जेडीयू को हार का सामना करना पड़ा था। वहीं 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी का एक भी मुस्लिम विधायक सदन नहीं पहुंचा था। जबकि नीतीश ने कुल 11 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। यहां पर मुस्लिमों मतदाताओं के रुझान और नतीजों की वजह से नीतीश का मुस्लिमों के इस बिल पर चुप्पी साधने की पहली वजह हो सकती है। 

2 - 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी मजबूत  
बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। नीतीश कुमार की पार्टी इस वक्त एनडीए गठबंधन का हिस्सा है। नीतीश जानते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भले ही बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। लेकिन इस पार्टी से उन्हें बिहार के चुनाव में कोई खतरा नहीं है। हरियाणा,महाराष्ट्र के चुनाव के नतीजों ने बीजेपी को और भी मजबूत किया है। यही वजह है कि एनडीए में शामिल अन्य दलों के भीतर बीजेपी को लेकर एक भरोसा बना हुआ है। बीजेपी की अगली नजर दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनाव पर हैं। इनमें सबसे ज्यादा पैनी नजर बिहार पर है। नीतीश को लेकर भाजपा ने पहले ही कह दिया है कि  2025 के विधानसभा चुनाव में वह फिर से मुख्यमंत्री चेहरा होंगे। ऐसे में नीतीश कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। उनके वक्फ बिल पर चुप्पी साधने की यह दूसरी बड़ी वजह हो सकती है। 

3 - जेडीयू में कोई मजबूत मुस्लिम नेता नहीं 
एक दौर था। जब नीतीश कुमार सेक्युलर पॉलिटिक्स खेला करते थे। उस दौरान उनकी पार्टी में कई दिग्गज मुस्लिम चेहरे हुआ करते थे। इनमें अली अनवर अंसारी, गुलाम गौस, मंजर आलम, मोनाजिर हसन और शाहिद अली खान जैसे नेता थे। लेकिन तब में और अब में बहुत फर्क है। वर्तमान में जेडीयू में मुस्लिम नेताओं का अकाल दिखाई दे रहा है। कोई बड़ा चेहरा नहीं है। हालांकि ऐसा नहीं है कि कोई मुस्लिम चेहरा इनकी पार्टी में नहीं है।1 या 2 लोग हैं। लेकिन उनका पार्टी के फैसलों से कोई लेनदेना नहीं है। नीतीश के साइलेंट होने की यह तीसरी वजह हो सकती है। 

वक्फ बिल किसके पास है ? 

बता दें कि वर्तमान में वक्फ बिल संयुक्त संसदीय कमेटी (JPC) के पास है। इसमें सुपौल के एक सांसद के रिश्तेदार भी हैं। जेपीसी की सिफारिश के बाद ही सरकार इस संशोधित वक्फ बिल को संसद में पेश करेगी। जो एक नया वक्फ कानून बनेगा।
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