फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाए जाने के पीछे कौन से है महत्वपूर्ण बिंदु, आप भी जानिए
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद इतने दिनों तक चले मुख्यमंत्री के नाम पर मंथन के बावजूद भी देवेंद्र फडनवीस के नाम पर ही मुहर लगी। ऐसे में आइए इस रिपोर्ट में आपों बताते है कि कौन से वो महत्वपूर्ण बिंदु है जिसके चलते बीजेपी आलाकमान फडनवीस के नाम पर अंतिम फ़ैसला लिया।
महाराष्ट्र की जनता के लिए बुधवार का दिन बेहद खास रहा क्योंकि राज्य के नए मुख्यमंत्री के नाम के लिए लगभग 11 दिनों से चल रहे मंथन का नतीजा सामने आ गया है। बीजेपी विधायक दल की बैठक में देवेंद्र फडणवीस को नेता चुना गया। अब महाराष्ट्र की नई सरकार के मुख्यमंत्री के तौर पर फडणवीस 5 दिसंबर की शाम 5:30 बजे मुंबई के ऐतिहासिक आजाद मैदान में शपथ लेंगे। यह तीसरा मौका होगा जब फडणवीस के हाथ में राज्य की सत्ता आ रही है। हालांकि इससे पहले चर्चा इस बात की भी थी कि बीजेपी महाराष्ट्र में इस बार कुछ परिवर्तन कर सकती है।यही वजह है कि देवेंद्र फडणवीस के नाम का ऐलान होने में इतना समय लगा। क़यास इस बात के लगाए जा रहे थे कि इस बार मराठा या ओबीसी चेहरे पर पार्टी दांव लगा सकती है क्योंकि फडणवीस अगड़े वर्ग से आते है। इस विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन को ओबीसी और मराठा वर्ग का बड़ा समर्थन प्राप्त हुआ है।
दरअसल, चुनावी नतीजे सामने आने के बाद भी जिस तरीके से मुख्यमंत्री के नाम को लेकर लगातार देरी हो रही थी। उसको लेकर लगातार विपक्ष भी महायुति को घेर रहा था। कुछ अटकलें तो यह भी लगाई जा रही थी कि बीजेपी महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के नाम के अलावा अन्य नाम पर भी विचार कर रही थी। ऐसे में अब यह सवाल भी उठाना शुरू हो गया है कि क्या बीजेपी राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा वाला फॉर्मूला महाराष्ट्र में क्यों नहीं अपनाई। ज्ञात होगा कि मध्य प्रदेश में बीजेपी ने जीत के बाद ओबीसी चेहरे पर दांव खेलते हुए मोहन यादव को कमान सौंपी थी। इसी तरह राजस्थान में प्रयोग करते हुए पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की जगह ब्राह्मण चेहरे भजन लाल को कमान सौंपी थी। इसके बाद हरियाणा में भी पार्टी ने विधानसभा चुनाव से पांच महीने पहले मुख्यमंत्री पद की ज़िम्मेदारी मनोहर लाल खट्टर की जगह नायाब सिंह सैनी को दी थी। इन सबके बावजूद पार्टी की ओर से एक बार फिर देवेंद्र फडणवीस पर भरोसा जताना ये बताता है कि महाराष्ट्र में पार्टी को पार्टी ज़मीनी मज़बूती बनाए रखने के लिए फडणवीस कितना ज़रूरी है।
इन बिंदुओं के चलते फडणवीस के नाम पर लगी मुहर
*महाराष्ट्र की राजनीति में फडणवीस एक ऐसा नाम है, जो हर वर्ग और क्षेत्र में अपने आप को स्थापित किया है। फडणवीस को सरकार से लेकर संगठन तक काम करना का बेहतर अनुभव है और वो पार्टी से छह बार के विधायक है। फडणवीस पूर्व में भी राज्य की सत्ता संभाल चुके है। ऐसे में इस राज्य में जहा महाविकास अघाड़ी पार्टी के सामने एकजूट है। उस राज्य में पार्टी के लिए नए चेहरे पर दांव लगाना थोड़ा मुश्किल दिखाई दे रहा था।
*देवेंद्र फडणवीस का व्यक्तिव बेहद शांत और धैर्य वाला माना जाता है, उनकी राजनीतिक सफलता के पीछे की यह सबसे बड़ी वजह है। इसका पार्टी को फ़ायदा भी मिला है। वो विपरीत परिस्थिति में घबराते नहीं है। यही वजह है की साल 2019 में फडणवीस को असली राजनीतिक परीक्षा का सामना करना पड़ा था। जब विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत हुई लेकिन बाद में बड़ा उलटफेर हुआ और उद्धव ठाकरे ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया। तब फडणवीस ने काफ़ी सहनशीलता का परिचय दिया और ये साबित करने में सफल रहे कि बीजेपी की तरफ़ से उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद कोलेकर कोई वादा नहीं किया गया था। इसके बाद उन्होंने जनता के बीच और पार्टी सगठन के लिए हमेशा लगे रहे । इसी का नतीजा रहा है इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी के अकेले 132 सीट मिलना मुमकिन हुआ।
*महाराष्ट्र में जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व महाविकास अघाड़ी ने सरकार बनाई तब देवेंद्र फडणवीस ने ख़ुद को बेहतर विपक्ष के नेता के तौर पर स्थापित किया। फडणवीस ने उद्धव सरकार के ख़िलाफ़ कई भ्रष्टाचार के मुद्दों पर मोर्चा खोला। इसके चलते कई मुद्दों पर महाराष्ट्र की तत्कालीन सरकार को बैकफूट भी जाना पड़ा। इससे महाराष्ट्र विधानसभा विपक्ष की मज़बूती स्थिति बनी रही।
*देवेंद्र फडणवीस ने जिस तरह से पार्टी के लिए अहम ज़िम्मेदारी निभाई, शिवसेना के दो गुट होने के बाद उन्होंने राज्य में सरकार बनने पर अपना फ़ोकस बनाए रखा। एनडीए की मज़बूती के लिए उन्होंने ख़ुद को पीछे रखा और तमाम विधायकों को एकसूत्र में बाँधने में लगे रहे और कार्यकर्ताओं से हमेशा संवाद स्थापित किया। जिसका विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी को लाभ मिला।
* पार्टी आलकमान के हर फ़ैसले को फडणवीस ने हमेशा स्वीकार किया। महाराष्ट्र में जब राजनीतिक उलटफेर हुआ तब एकनाथ शिंदे की सरकार में जब फडणवीस को डिप्टी सीएम बनने के लिए कहा तब ख़ुद शिंदे से बड़े नेता होने के बावजूद उन्होंने उनके नीचे काम करने के लिए फैसला लेने में देरी नहीं की और डिप्टी सीएम के काम के साथ-साथ संगठन के हर काम और ज़िम्मेदारी को भी बख़ूबी निभाते रहे।
*पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 105 सीट मिली थी लेकिन बाद में जब राज्य में बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हुआ और शिंदे सरकार में बीजेपी से सिर्फ़ 10 और 40 विधायकों वाली शिंदे गुट से भी दस मंत्री बनाए गये थे और उन्हें उप मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारी मिली तो उन्होंने अपने पार्टी के विधायकों को साध कर रखा। उन्हें टूटने नहीं दिया। इसलिए भी फडणवीस की पार्टी में भूमिका और भी ज़्यादा मज़बूत हुई।
*फडणवीस ने साल 2023 में अधिक सीट वाली पार्टी होने के बावजूद सरकार में बड़ा त्याग किया था। दरअसल अजीत पवार 42 विधायकों के साथ जब एनडीए में शामिल हुए थे । उस वक़्त फडणवीस ने ही मौजूदा सरकार में पावर शेयरिंग का मसला हल किया था। इसके बाद अजीत गुट के 9 विधायकों को राज्य के कैबिनेट में जगह मिली थी। अजीत गुट को राज्य की सत्ता में हिस्सा देने के लिए फडणवीस के कहने पर ही पार्टी ने छह मंत्रालय छोड़े थे तो वही शिंदे गुट ने सिर्फ़ पांच मंत्रालय से अपना हाथ वापिस लिया था।
*फडणवीस की भूमिका सबसे ज़्यादा इस विधानसभा चुनाव में अहम देखी गई क्योंकि इस चुनाव में महायुति के सामने एक तरफ़ जहाँ महाविकास अघाड़ी मज़बूती से खादी थी, तो वही कई ऐस्से मुड़े भी थे जो महायुति के लिए बड़ी चुनौती बन सकते थे। चुनाव से ठीक पहले राज्य में मराठा बनाम ओबीसी आरक्षण का मुद्दा भी मौजूदा सरकार को टेंशन में डाल रहा था। वही शिवसेना बीजेपी और एनसीपी के बीच सीट शेयरिंग का फ़ॉर्म्युला निकालना में भी फडणवीस ने क्षेत्रीय से लेकर जातीय समरीकरण से जुड़े एक-एक पहलुओं को पार्टी आलाकमान तक सही तरीक़े से पहुँचाया। जिस नतीजा चुनावी परिणाम के रूप में सामने आया है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन की सबसे ज्यादा 230 सीट आई थी। जिसमें अकेले भारतीय जनता पार्टी के खाते में 132 सीटें थी। वही एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 57 और अजीत पवार गुट की एनसीपी को 41 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। भारतीय जनता पार्टी की इस बड़ी जीत के पीछे देवेंद्र फडणवीस की कड़ी मेहनत थी। महायुति गठबंधन में जब इस बात का फैसला हुआ कि अगला मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी से होगा, तभी से देवेंद्र फडणवीस का नाम सबसे आगे चल रहा था। बताते चले कि देवेंद्र फडणवीस पूर्व में भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं वहीं एकनाथ शिंदे की सरकार में उन्होंने उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी भी संभाली थी।