चोरी का पाप धोने के लिए Apple चुकाएगा 8 अरब, 14 करोड़, 78 लाख 20 हजार 31 रुपये !
एपल समाज में स्टेटस सिंबल है।अच्छी और उन्नत तकनीकी का प्रतीक है। लेकिन वो भी अनैतिक काम करता है। समाज में जब भी कोई तकनीकी आए,हमे उसके इस्तेमाल से पहले ये समझना होगा कि वो हमारी नौकर है या फिर मालिक।और कहीं नौकर बनकर आयी तकनीकी कलको हमे ही गुलाम न बना ले!
17 सितंबर 2014 के बाद एपल फोन या एपल से जुड़े उपकरण लेने वालों के लिए जानकारी है।डिवाइस में मौजूद सिरी नाम की AI बिना कमांड के आपको सुन रही थी। HEY SIRI कहे बिना ही सिरी सबकी बातें सुन रही थी। सिरी को ऐसा करने के लिए उनके इंजीनियर्स ने कहा था। इसकी जानकारी तब हुई जब एप्पल कंपनी के मैनेजर सिरी की चोरी के टेप बाजार में सुना रहे थे। आपक कहेंंगे कोई अपनी चोरी का डंका क्यों पीटेगा? तो उसकी वजह भी जानिए। एपल के मैनेजर ऐसी कंपनियों से मिल रहे थे जो रोजमर्रा का सामान बनाती हैं। उनको वो रिकॉर्डिंग सुना रहे थे जो सीरी ने चोरी से रिकॉर्ड की है। ऐसा करने के पीछे उनका एक प्रोडक्ट था। प्रोडक्ट क्या था? प्रोडक्टर ये था कि- जैसे ही मैंने अपने फोन के सामने किसी चीज को खऱीदने।जानने या कुछ और करने की बात की। इसकी जानकारी उन कंपनियों को दे दी जाएगी जो उस चीज का उत्पादन करती हैं। फिर वो सामान बेंचने के लिए आपके पीछे पड़ जाएंगी।रातदिन-सोतेजागते सपने की तरह आपके जीवन में प्रविष्ट हो जाएंगी। और जरूरत हुई तो आप झक्क मारके माल खरीद लोगे।
ये तो क्लियर नहीं है कि सीरी ने कितने मूल्य का,कितना डेटा चुराया लेकिन अब अमेरिका में अगर कोई चोरी का हर्जाना मांगेगा तो उसे प्रति डिवाइस 20 डॉलर मिलेंगे।ये अमेरिका की बात है।भारत में भी हम लोग अक्सर ये बात करते हैं। कि जिसके बारे में बात करो फोन पर वही दिखने लगता है। उसी चीज के विज्ञापन,फोनकॉल,ईमेल आने शुरू हो जाते है। तो क्या भारत में भी एपल की सिरी चोरी छिपे हमारी बातें सुन रही है? अगर ऐसा है तो क्या भारत में भी 17 सितंबर 2014 के बाद से 2023 तक जो एपल डिवाइस बेची गयी हैं उनके खरीददारों को हर्जाना मिलेगा? क्योंकि भारत में सिरी चोरी से आपकी बात नहीं सुन रही थी इसकी क्या गारंटी है?
टेक कंपनियों की दादागीरी बहुत बड़ी समस्या है।गूगल,एपल,फेसबुक सहित न जाने कितनी कंपनियां डेटा के गलत इस्तेमाल के मुकदमों में फंसी हैं।ऐप या डिवाइस को चलाने के लिए एकमुश्त ली जाने वाली इजाजत में कितनी सही हैं कितनी गलत किसको पता है? उनका इस्तेमाल कहां कौन कर रहा है ये भी किसे पता है?इसलिए AI का जयघोष करने वाले समाज अलर्ट रहें। क्योंकि आपकी बातें और क्रियाकलाप ही इनकी ऑक्सीजन हैं। ये आपको सुनेंगे और फिर आपको ही बेंच देंगे।कमाई अपनी जेब में रख लेंगे।
एपल समाज में स्टेटस सिंबल है।अच्छी और उन्नत तकनीकी का प्रतीक है। लेकिन वो भी अनैतिक काम करता है। समाज में जब भी कोई तकनीकी आए,हमे उसके इस्तेमाल से पहले ये समझना होगा कि वो हमारी नौकर है या फिर मालिक।और कहीं नौकर बनकर आयी तकनीकी कलको हमे ही गुलाम न बना ले!
भारत में ये बात का इंतजाम हो रहा है कि नाबालिग बच्चे मां-बाप की सरपरस्ती में सोशलमीडिया का इस्तेमाल करें। लेकिन क्या इस बात की भी पहरेदारी का इंतजाम होगा कि हमारे बच्चों की बातें न सुनी जाएं,उनकी मासूमियत और सपनों को प्रोडक्ट में न बदल दिया जाए। माइक्रोफोन तो आवाज चोरी करता है। लेकिन अगर कैमरा वीडियो या फोटो चोरी करने लगा तो सोचिए कितना खतरनाक होगा?