रतन टाटा के निधन के बाद किसके पास जाएगी उनकी अरबों की विरासत? जानें उनके परिवार के बारे में सब कुछ
रतन टाटा का निधन न केवल भारतीय उद्योग जगत के लिए एक गहरा सदमा है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि उनकी संपत्ति और टाटा साम्राज्य का भविष्य किसके हाथों में जाएगा।
Ratan Tata, जिनकी उद्यमशीलता की मिसाल और मानवीय दृष्टिकोण ने उन्हें एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व बनाया, आज अचानक उनके निधन की खबर से भारतीय उद्योग जगत में शोक की लहर फैल गई है। इस दुखद खबर के साथ ही एक और महत्वपूर्ण सवाल भी खड़ा हो गया है, कि आखिर कौन होगा रतन टाटा का उत्तराधिकारी? रतन टाटा जिन्होंने न तो कभी शादी की और न ही उनके अपने बच्चे थे। ऐसे में उनकी लगभग 3800 करोड़ रुपये की संपत्ति किसके पास जाएगी? क्या उनके सौतेले भाई नोएल टाटा इस संपत्ति के हकदार होंगे? यह सवाल सिर्फ उनकी संपत्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि दोनों भाइयों के बीच के रिश्ते और टाटा साम्राज्य के भविष्य पर भी केंद्रित है।
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कितनी बड़ी है टाटा साम्राज्य की विरासत?
टाटा समूह की कुल संपत्ति का सटीक अनुमान लगाना मुश्किल है क्योंकि यह एक निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में फैली हुई कंपनी है। हालाँकि, टाटा ग्रुप की मार्केट कैप 2024 में लगभग 350 अरब डॉलर आंकी गई थी, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े कॉर्पोरेट समूहों में से एक बनाती है। इसमें से एक बड़ा हिस्सा टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज का है, जिसका बाजार मूल्य सबसे अधिक है।
रतन टाटा की व्यक्तिगत संपत्ति की बात करें तो उनकी व्यक्तिगत संपत्ति का बड़ा हिस्सा दान और समाज कल्याण में निवेश होता है। उनकी व्यक्तिगत संपत्ति लगभग 3800 करोड़ रुपये हैं, लेकिन इसका अधिकांश हिस्सा परोपकार के लिए समर्पित है। आज टाटा समूह की 100 से अधिक देशों में 30 से ज्यादा कंपनियां हैं। टाटा स्टील जो दुनिया की सबसे बड़ी स्टील उत्पादक कंपनियों में से एक। टाटा मोटर्स, जिसमें जैगुआर और लैंड रोवर जैसे प्रतिष्ठित ब्रांड शामिल हैं। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), आईटी क्षेत्र में दुनिया की अग्रणी कंपनियों में से एक। टाइटन, टाटा केमिकल्स, और टाटा पावर जैसी कंपनियां भी हैं, जो घरेलू और वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
टाटा संपत्ति की संरचना और ट्रस्ट का महत्व:
रतन टाटा और टाटा परिवार की व्यक्तिगत संपत्ति के बजाय, टाटा साम्राज्य का बड़ा हिस्सा टाटा ट्रस्ट के अधीन आता है। जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित ये ट्रस्ट सामाजिक कल्याण, शिक्षा, स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास के लिए कार्य करते हैं। टाटा परिवार की संपत्ति का लगभग 66% हिस्सा इस ट्रस्ट में जाता है, जो इसे एक विशिष्ट कंपनी बनाता है। इसका मतलब है कि समूह की अधिकांश संपत्ति टाटा परिवार के सदस्यों के पास व्यक्तिगत रूप से नहीं होती, बल्कि समाज के लाभ के लिए इस्तेमाल की जाती है।
रतन टाटा की विरासत का उत्तराधिकारी कौन होगा?
यह सवाल बेहद महत्वपूर्ण हो गया है, खासकर तब जब रतन टाटा ने अपने जीवनकाल में कोई स्पष्ट उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया। टाटा समूह, जो भारत का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित औद्योगिक घराना है, अब अपने अगले नेतृत्व की दिशा में देख रहा है। ऐसे में रतन टाटा के छोटे भाई जिमी टाटा भी इस चर्चा में शामिल होते हैं, क्योंकि वह टाटा परिवार के सदस्य हैं। हालाँकि, जिमी टाटा ने हमेशा से एक बहुत ही निजी जीवन जीया है और टाटा समूह के व्यवसायों में सक्रिय भूमिका नहीं निभाई, और सबसे अहम बात की जिमी टाटा करीब 25 साल पहले रिटायर हो चुके। इसके अलावा जिमी ने कभी भी कंपनी के संचालन या सार्वजनिक जीवन में भागीदारी नहीं दिखाई, जिसके कारण उन्हें विरासत के संभावित उत्तराधिकारियों की सूची में सीधे तौर पर नहीं गिना जा रहा।
टाटा समूह की सबसे बड़ी कंपनी टाटा संस है, जिसके चेयरमैन फिलहाल एन चंद्रशेखरन हैं। लेकिन असली ताकत टाटा ट्रस्ट के पास होती है, जो समूह की अधिकांश संपत्ति को नियंत्रित करता है। टाटा ट्रस्ट का नेतृत्व पिछले कई वर्षों से टाटा परिवार के सदस्यों द्वारा किया जाता रहा है। ऐसे में रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा को संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है। नोएल टाटा ने लंबे समय तक समूह के विभिन्न व्यवसायों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और वह समूह के संचालन को बखूबी समझते हैं। उनके पास व्यवसाय का व्यापक अनुभव है, ऐसे में यह माना जा रहा है कि उन्हें टाटा की संपत्ति और उत्तराधिकार का जिम्मा सौंपा जा सकता है।
रतन टाटा और उनके सौतेले भाई नोएल टाटा के बीच संबंधों की बात करें तो यह हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। नोएल टाटा, जो टाटा समूह के कई महत्वपूर्ण हिस्सों का संचालन कर चुके हैं, रतन टाटा के सौतेले भाई हैं। हालांकि, दोनों भाइयों के बीच संबंधों को लेकर बाहरी दुनिया में कई सवाल उठते रहे हैं, लेकिन अंदरूनी तौर पर दोनों के रिश्ते में एक विशेष सम्मान और समझदारी रही है।
हालांकि, टाटा ट्रस्ट का भी इस संपत्ति पर महत्वपूर्ण अधिकार हो सकता है, क्योंकि रतन टाटा का अधिकांश योगदान और निवेश ट्रस्ट के अंतर्गत ही आता है। टाटा ट्रस्ट, जो विभिन्न सामाजिक कार्यों में लगा हुआ है, इस संपत्ति का बड़ा हिस्सा देख रेख कर सकता है।
नोएल टाटा, टाटा समूह के एक प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं, लेकिन उनके बच्चों का भी इस साम्राज्य में महत्वपूर्ण स्थान हो सकता है। खासकर माया टाटा, जिनकी टाटा समूह में वर्तमान भूमिका ने उन्हें पहले से ही इस परिवार की अगली पीढ़ी के रूप में स्थापित किया है। इसके अलावा 32 साल के नेविल टाटा भी वर्तमान में टाटा समूह की ट्रेंट लिमिटेड कंपनी में अहम भूमिका निभा रहे हैं। वे प्रमुख हाइपरमार्केट चेन स्टार बाजार को लीड कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में, स्टार बाजार ने खुदरा क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति दर्ज की है। नेविल टाटा ने न केवल बिजनेस को बेहतर ढंग से समझा है, बल्कि उसे नए युग के ग्राहकों की जरूरतों के अनुसार ढाला भी है। वहीं बात करें 39 साल की लिया टाटा की, तो टाटा समूह के हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को संभाल रही हैं। उन्होंने प्रतिष्ठित ताज होटल्स रिसॉर्ट्स एंड पैलेसेस की बागडोर अपने हाथों में ली है और टाटा समूह की इंडियन होटल कंपनी की देखरेख भी करती हैं। लिया टाटा की नेतृत्व क्षमता ने न केवल होटल और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में टाटा समूह की प्रतिष्ठा को बनाए रखा है, बल्कि उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद की है।
नेविल, माया और लिया टाटा तीनों ने अपने-अपने क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी है। उनका अनुभव और दृष्टिकोण, टाटा समूह की भविष्य की दिशा को तय करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। हालांकि टाटा ट्रस्ट के प्रभाव से यह निर्णय और भी पेचीदा हो सकता है।
रतन टाटा के निधन के बाद उत्तराधिकार का सवाल टाटा समूह के भविष्य को लेकर उठ खड़ा हुआ है। नोएल टाटा, उनके सौतेले भाई, इस संपत्ति के मुख्य दावेदार माने जा रहे हैं, लेकिन टाटा ट्रस्ट की भूमिका भी अहम होगी। अब देखना यह होगा कि कौन इस महान विरासत को आगे बढ़ाएगा और टाटा साम्राज्य की स्थिरता को बनाए रखेगा।