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Indian Railway: दिव्यांग कोच में अगर भूल से भी बैठें, तो खानी पड़ सकती है जेल की हवा

Indian Railway: रिजर्वेशन वाले यात्री तो अपनी जगह पर आराम से बैठ जाते है। लेकिन जर्नल कोच में ऐसा नहीं है , वहा भीड़ के चक्कर में हमेशा मारा मारी होती ही रहती है।ज्यादा भीड़ होने पर अक्सर जर्नल डिब्बों के यात्री पास के दिव्यांगजनों के कोच में जाकर बैठ जाते है।
Indian Railway: दिव्यांग कोच में अगर भूल से भी बैठें, तो खानी पड़ सकती है जेल की हवा
Photo by:  Google

Indian Railway: रेलवे एकमात्र ऐसा पब्लिक ट्रांसपोर्ट है जो गरीब से गरीब और अमीर से अमीर इस्तेमाल करता है। वहीं रेलवे में अक्सर टिकट को लेकर हमेशा मारा- मारी रहती ही। रिजर्वेशन वाले यात्री तो अपनी जगह पर आराम से बैठ जाते है।  लेकिन जर्नल कोच में ऐसा नहीं है , वहा भीड़ के चक्कर में हमेशा मारा मारी होती ही रहती है।ज्यादा भीड़ होने पर अक्सर जर्नल डिब्बों के यात्री पास के दिव्यांगजनों के कोच में जाकर बैठ जाते है। लेकिन ऐसा करना कानून की नजर में ठीक है ? बहुत से लोगो के मन में सवाल आता है की जर्नल डिब्बों में जगह न हो तो क्या हम दिव्यांगजनों के कोच में जाकर सफर कार सकते है।  आइए जानते है ....

क्या सफर कर सकते है दिव्यांगजनों की कोच में (Indian Railway)

सरकार विकलांग लोगो को सुविधा देने के लिए तरह तरह की व्यवस्था बनाती रही है। लेकिन कई बार इन व्यवस्थाओं का फायदा जिन्हे मिलना चाहिए उन्हें नहीं मिलता है , और दिव्यांग लोग इस सुविधा से दूर हो जाते है। वहीं रेलवे में दिव्यांगों के लिए बोगी को आरक्षित कर रखा है , जिसे ट्रेन के दोनों किनारों पर लगाया जाता है।  छोटे स्टेशनो पर प्लेटफार्म छोटा होने के कारण दिव्यांग वह तक पहुंच ही नहीं पाते है। वहीं अगर कभी कबार पहुंच भी जाते है तो दूर वर्ग के यात्री पहले से उस बोगी पर कब्ज़ा बनाये होते है। 

ये है नियम (Indian Railway)

वहीं आपको बात दें , दिव्यांगों की बोगियों खाली होने पर उसमे जर्नल यात्रियों का जाना स्वीकार्य नहीं है। रेलवे ने नियम के अनुसार इन बोगियों में केवल दिव्यांग या उनके सहयोगी ही बैठ सकते है।  वहीं इसके आलावा किसी दूसरे को इसमें जान की इजाजत बिलकुल भी नहीं है।  वहीं अगर कोई और इस बोगी में बैठा हुआ पाया जाता है तो टीटीई उसपर चालान काट सकता है । 

इस तरह की जाती है कार्यवाही (Indian Railway)

रेल मंडल के उच्च अधिकारी का कहना है की दिव्यांग बोगियों में सामान्य यात्रियों को बैठा अपराध के रूप में माना जाता है  वहीं दिव्यांग बोगियों की जिम्मेदारी ट्रेन के गार्ड की होती है।  गार्ड जैसे ही आरपीएफ को मेमो देता है तो , तुरंत आरपीएफ दिव्यांग बोगियों में बैठे सामान्य यात्रियों पर कार्यवाही शुरू कर देती है।   

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