Rent Agreement: घर रेंट पर लेते वक्त इन बातों का जरूर रखे ध्यान, वर्ना हो सकता है नुक्सान
Rent Agreement: आज लोग अपने घर से दूर रहते है चाहे वो पढाई को लेकर हो या नौकरी को लेकर अपने घर से दूर जा कर रहना पड़ता है। दूसरे शहर में जाकर दुसरो के घर में रेंट में रहना पड़ता है। किराए का घर अच्छा और कम बजट वाला ढूंढ़ना बहुत मुश्किल काम है। इसलिए लोग बहुत देख रेख कर के दूसरे सिटी में किराए पर घर लेते है। अच्छी लोकेशन और अफोर्डेबल किराया घर देखते वक्त लोगो के ध्यान में होता है। लेकिन लोग जब घर फाइनल करते है उसके बाद ध्यान नहीं देते। आज हम आपको बताएंगे की घर को किराए पर लेते वक्त आपको इन बातों का धयान रखना चाहिए ताकि आगे होने वाले नुक्सान से बच सके।
रेंट एग्रीमेंट बनवाएं (Rent Agreement)
हम अगर कभी घर रेंट पर लेते है तो हमे सबसे पहले उसको लीगल यानी रेंट एग्रीमेंट बनवाना होगा।कई कई जगहों पर रेंट एग्रीमेंट करवाना अनिवार्य कर दिया है। वही अभी कई लोग ऐसे है की बिना रेंट एग्रीमेंट बनवाएं रहते है।अभी तो नहीं लेकिन आगे चल कर आपको परेशानी हो सकती है।रेंट एग्रीमेंट को 11 महीने एक लिए मान्य दिया जाता है। रेंट एग्रीमेंट एक तरह से लीगल डॉक्यूमेंट होता है। रेंट एग्रीमेंट में दी गयी शर्ते को किरायेदार और मकान मालिक दोनों को ही मानना होता है। रेंट एग्रीमेंट के अवधि के दौरान मकान मालिक किरायेदार को घर खाली करवाने को भी नहीं बोल सकता।और वहीं अगर माकन मालिक और किराएदार में लड़ाई होती है तो उसमे भी रेंट एग्रीमेंट कोर्ट में दिखाने के काम आ सकता है।
कितना लगेगा मेंटेनस चार्ज (Rent Agreement)
जब कोई रेंट पर रहता है तो उसको मेन्टेन्स चार्ज देना होता है। वही अलग अलग जगह पर इसके अलग अलग रेंट होते है। लेकिन इसके आलावा घरों में मकान मालिक द्वारा लगाई गयी चीज़े जैसे - पंखा ,लाइट, ऐसी इसमें अगर कोई खराबी आए तो कौन ठीक करवाएंगे इस बात को आप घर रेंट लेने से पहले क्लियर कर लेनी चाहिए। घर में अगर कोई दिवार या पेंट ख़राब होता है तो इसका कितना प्रतिशत अमाउंट देना होता है।