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पत्थर बाज़ी करने वालों को मिलती है इतनी सजा, जमानत भी मिलना हो जाता है मुश्किल

Stone Pelting Crime: पत्थरबाजो की भीड़ ने पुलिसवालो पर भी पत्थर फेके और पुलिस वाहनों को भी जला दिया है। इस हिंसा में अबतक चार लोगो की मौत हो चुकी है। पथरबाज़ी करना क़ानूनी जुर्म है।
पत्थर बाज़ी करने वालों को मिलती है इतनी सजा, जमानत भी मिलना हो जाता है मुश्किल
Photo by:  Google

Stone Pelting Crime: अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल जिले में मस्जिद सर्वे को लेकर हुए विवाद में जमकर पथरबाज़ी देखने को मिली थी। पथरबाज़ी ने प्रशाशनिक अधिकारियों पर भी पत्थरबाज़ी की है।पत्थरबाजो की भीड़ ने पुलिसवालो पर भी पत्थर फेके और पुलिस वाहनों को भी जला दिया  है। इस हिंसा में अबतक चार लोगो की मौत हो चुकी है।  पथरबाज़ी करना क़ानूनी जुर्म है।  वही अगर पत्थर बाज़ी के केस में पुलिस किसी को पकड़ती है तो उसपर कठोर कार्यवाही की जाती है।  आपको बताते है पथरबाज़ी में किसी का नाम आता है तो कितनी मिलती है सजा , आइये जानते है इस खबर को विस्तार से .....

पत्थर बाज़ी करने पर इस कानून के तहत होगा मुकदमा 

वही आपको बता दे, अगर कोई शख्स पत्थर बाज़ी करना पाया गया तो और उसे पुलिस पकड़ लेती है तो ऐसी सिचुएशन में उस पर दंगा करने के कानून के तहत मुकदमा दायर किया जा सकता है और इस तरह के व्यक्तियो को हिंसा और दंगो में शामिल होने के जुर्म में धारा 147 , धारा 323 , धारा 148 और धारा 427 के तहत केस दर्ज किया जा सकता है।  वही जैसे उत्तर प्रदेश के संभल जिले में पथरबाज़ो ने प्रशानिक काम में और पुलिस के काम में पत्थर बाज़ी की घटना में बाधा पहुचायी है।  अगर कोई ऐसे केस में पथरबाज़ी करते हुए पाया जाता है तो उसपर लोक सेवाओं के कार्य में बाधा डालने के आरोप में धारा 152 के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है।  इसके आलावा  UAPA और राष्ट्रिय सुरक्षा कानून के तहत भी मुकदमा दर्ज होता है।  

मिलती है इतनी कड़ी सजा 

पथरबाज़ी करना क़ानूनी जुर्म है।  ऐसे केस में धारा 147 के तहत २ साल तक की सजा सुनिआई जाती है या फिर दोनों ही सजा सुनाई जाती है।  तो वही धारा 152 के तहत 3 साल तक की सजा हो सकती है।  इसके अलावा धारा 323 के तहत 1 साल की सजा हो सकती है। तो वही इसी के साथ धारा 427 के तहत 2 साल की सजा सुनाई जाती है।  इतना ही नहीं अगर मामला UAPA यानी गैर क़ानूनी गतिविधियों रोकथाम अधिनियम के तहत दर्ज किया गया है या फिर क़ानूनी NSA के तहत दर्ज किया गया है।  तोह ऐसे में क़ानूनी जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है।  

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