9 महीने 14 दिन बाद धरती लौटी सुनीता विलियम्स, 23 साल पहले इसी मिशन पर हुई थी कल्पना चावला की मौत!
केंद्र की मोदी सरकार पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना के अंतर्गत आपके काम को लेकर कुछ दिनों का प्रशिक्षण देती है। इस प्रशिक्षण में आपको बताया जाता है कि कैसे किस तरीके से आप अपने काम को बेहतर कर सकते हैं और कैसे उसके जरिए इनकम सोर्स जुटा सकते हैं।

9 महीने 14 दिन बाद भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स पृथ्वी पर लौट आई हैं। उन्होंने भारतीय समयानुसार 19 मार्च को सुबह 3:27 बजे फ्लोरिडा के तट पर लैंड किया। स्पेस स्टेशन से पृथ्वी पर लौटने में कुल 17 घंटे लगे। आपको बता दें कि सुनीता विलियम्स सिर्फ 8 दिन के लिए स्पेस स्टेशन में रिसर्च और एक्सपेरिमेंट करने के लिए गई थी। लेकिन थ्रस्टर में आई गड़बड़ी की वजह से उन्हें 9 महीने से ज्यादा समय तक रुकना पड़ा। इस दौरान उन्होंने कई वैज्ञानिक प्रयोग और स्पेस स्टेशन में काम किए। सुनीता विलियम्स की वापसी के साथ दुनिया को 23 साल पुरानी एक घटना भी याद आ गई। जब भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट कल्पना चावला की पृथ्वी पर वापसी के करीब 16 मिनट पहले ही मौत हो गई थी। उस दौरान कल्पना के साथ 6 और एस्ट्रोनॉट थे। स्पेस स्टेशन से वह पृथ्वी तक लौट आई थी। लेकिन पृथ्वी पर लौटने के करीब 16 मिनट पहले ही स्पेसक्राफ्ट में अचानक से धमाका हुआ। जिसके बाद कल्पना कभी लौट नहीं पाई। इस स्टोरी में जानते हैं कि स्पेस स्टेशन में भारतीय मूल की दोनों एस्ट्रोनॉट का सफर कैसा रहा। कैसे 23 साल पहले की उस घटना ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था।
धरती पर पहुंचने से 16 मिनट पहले ही स्पेसक्राफ्ट में हुआ धमाका
1 फरवरी साल 2003, जगह थी अमेरिका की टेक्सास सिटी। उस दौरान नासा का अंतरिक्ष यान कोलंबिया शटल STS-107 अंतरिक्ष से काफी तेजी से लौट रहा था। उस शटल में भारतीय मूल की पहली अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला भी मौजूद थी। कल्पना का यह दूसरा स्पेस मिशन था। जिसे वह पूरा कर लौट रही थी। धरती से करीब 2 लाख फीट दूर इस यान की स्पीड 20,000 किलोमीटर प्रति घंटे की थी। लेकिन इसी बीच नासा का इस यान से कनेक्शन टूट गया। जब कनेक्शन टूटा तो उस दौरान पृथ्वी पर पहुंचने के लिए सिर्फ 16 मिनट लगने थे। अचानक से स्पेसक्राफ्ट में एक बड़ा धमाका हुआ। यह धमाका आग के बदलते गोले में तब्दील हो गया। कुछ ही देर में खबर आई कि कोलंबिया शटल स्पेस में यान क्रैश हो गया। उसमें मौजूद कल्पना चावला समेत 6 एस्ट्रोनॉट की भी मौत हो गई। साल 2003 की घटना ने हर किसी को रोने पर मजबूर कर दिया। पूरे देश की आंखें नम थी। बता दें कि इससे पहले भी कल्पना चावला ने पहली बार 19 नवंबर साल 1997 में स्पेस स्टेशन की उड़ान भरी थी। उस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में कुल 372 घंटे बिताए थे। साल 1997 के बाद साल 2003 में उन्हें दूसरी बार स्पेस स्टेशन जाने का मौका मिला। लेकिन दूसरी बार वह सफलतापूर्वक नहीं लौट सकी और घटना का शिकार हो गई।
कैसे हुआ था धमाका ?
बताया जाता है कि कल्पना चावला के स्पेसक्राफ्ट के टेकऑफ के दौरान यह हादसा हुआ था। उस दौरान यान के फ्यूल टैंक से निकले इंसुलेटिंग फोम के टुकड़े उनके शटल के बाएं पंख से टकरा गए थे। जिसकी वजह से टाइलों को नुकसान पहुंचा था। जो यान को पृथ्वी के वायुमंडल में पहुंचाने के लिए एंट्री के वक्त तेज गर्मी से बचाती है। जैसे ही कल्पना चावला का स्पेसक्राफ्ट धरती के वायुमंडल में पहुंचा। उसी दौरान हवा के तेज घर्षण की गर्मी की वजह से एक बड़ा धमाका हुआ। जिसकी वजह से सभी अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई।
कैसा था कल्पना चावला का एस्ट्रोनॉट बनने का सफर ?
नासा के एस्ट्रोनॉट कल्पना चावला का जन्म 1 जुलाई 1962 को हरियाणा की करनाल जिले में हुआ था। अपने चार भाई-बहनों में वह सबसे छोटी थी। कल्पना बचपन से उड़ान की दुनिया में अपना करियर बनाना चाहती थी। उन्होंने शुरुआती शिक्षा करनाल से प्राप्त की। उसके बाद पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल से बीटेक किया। बीटेक के बाद साल 1982 में वह अमेरिका चली गई। साल 1984 में टेक्सास यूनिवर्सिटी से उन्होंने एयरोस्पेस में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। फिर 1986 में इसी विषय पर दूसरी डिग्री और उसके बाद पीएचडी की डिग्री हासिल की। कल्पना ने साल 1983 में फ्रांस के जॉन पियर से शादी की। साल 1991 में उन्हें अमेरिका की नागरिकता मिल गई। उसके बाद वह नासा से जुड़ी। पहली बार वह साल 1997 के शटल प्रोग्राम में चुनी गई। वह अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला नागरिक हैं।
सुनीता विलियम्स ने स्पेस स्टेशन के 9 महीने के सफर में क्या कुछ किया ?
भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने स्पेस स्टेशन में 9 महीने से ज्यादा का समय बताया। इस दौरान उन्होंने कई तरह के एक्सपेरिमेंट किए। इसमें स्पेस स्टेशन का मेंटेनेंस भी शामिल था। सुनीता विलियम्स ने इन 9 महीनों के अंदर 62 घंटे और 6 मिनट तक का स्पेसवॉक किया। किसी भी महिला अंतरिक्ष यात्री के द्वारा सबसे ज्यादा स्पेसवॉक करने का यह एक बड़ा रिकॉर्ड है। उन्होंने कुल दो स्पेसवॉक किया। पहला जनवरी 2025 में 5 घंटे और 26 मिनट का दूसरा 6 घंटे का।
वैज्ञानिक प्रयोग,स्पेस स्टेशन का मेंटेनेंस और योगा किया
सुनीता विलियम्स ने अपने अंतरिक्ष साथियों के साथ स्पेस स्टेशन में कुल 150 से ज्यादा वैज्ञानिक प्रयोग किए। इनमें जैव चिकित्सा अनुसंधान,पर्यावरणीय अध्ययन और इसके अलावा कई नई तकनीक शामिल रही। इन सभी प्रयोग में कुल 900 से ज्यादा घंटे लगे।
इसके अलावा सुनीता ने ISS की सफाई भी की। इनमें पुराने उपकरणों को बदला। हार्डवेयर का निरीक्षण किया। ISS जो एक फुटबॉल के आकार का होता है। इसको सुचारू रूप से बेहतर करने के लिए मेंटेनेंस की काफी ज्यादा जरूरत होती है। अंतरिक्ष में सुनीता विलियम्स ने हड्डियों की कमजोरी से बचने के लिए नियमित व्यायाम किया। इनमें वेट ट्रेनिंग और कई अन्य तरह के योग शामिल रहे। इन सब के अलावा सुनीता ने कई अन्य कार्यों को भी संभाला।