भारत-चीन रिश्तों पर पीएम मोदी के बयान से गदगद हुआ चीन, जानें पूरा मामला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया इंटरव्यू में भारत-चीन संबंधों पर की गई टिप्पणी से चीन बेहद खुश नजर आ रहा है। बीजिंग ने इसे 'सकारात्मक' बताते हुए भारत के साथ सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई है। पीएम मोदी ने इंटरव्यू में कहा कि भारत और चीन के बीच मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन उन्हें संघर्ष में बदलने से बचाना चाहिए।

भारत और चीन के बीच संबंधों में बीते कुछ वर्षों से तनाव बना हुआ है, लेकिन हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणियों ने एक नया संकेत दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने पीएम मोदी की 'सकारात्मक टिप्पणियों' की सराहना करते हुए कहा कि दोनों देशों को एक-दूसरे का समर्थन करना चाहिए और परस्पर सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि क्या भारत और चीन के रिश्तों में कोई नया मोड़ आने वाला है?
पीएम मोदी ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ एक विशेष बातचीत में भारत-चीन संबंधों पर अपने विचार साझा किए। इस इंटरव्यू में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत और चीन के बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन यह जरूरी है कि ये मतभेद संघर्ष में न बदलें। उन्होंने वैश्विक स्थिरता और समृद्धि के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग को अहम बताया और कहा कि भारत हमेशा स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का पक्षधर रहा है, न कि टकराव का।
पीएम मोदी ने कहा, "एक स्थिर और सहयोगात्मक संबंध बनाने के लिए संवाद महत्वपूर्ण है, जिससे दोनों देशों को लाभ हो। पड़ोसियों के बीच कुछ मतभेद स्वाभाविक होते हैं, लेकिन हमें विवादों को बढ़ाने के बजाय उन्हें सुलझाने पर ध्यान देना चाहिए।"
चीन की प्रतिक्रिया, दोस्ती का नया संकेत?
बीजिंग में आयोजित एक नियमित मीडिया ब्रीफिंग के दौरान, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, "हम चीन-भारत संबंधों पर प्रधानमंत्री मोदी की हाल की सकारात्मक टिप्पणियों की सराहना करते हैं। पिछले अक्टूबर में, राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने संबंध सुधारने के लिए एक रणनीतिक दिशा दी थी।"
माओ निंग ने आगे कहा कि दोनों देशों ने अपने संबंधों को सुधारने के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए हैं और विभिन्न स्तरों पर संवाद बढ़ाया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और चीन को एक-दूसरे को समझने और सहयोग करने की जरूरत है, क्योंकि यह न केवल उनके अपने देशों के हित में है, बल्कि पूरे एशिया और दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण है।
क्या भारत-चीन संबंधों में बदलाव संभव है?
भारत और चीन के रिश्ते पिछले कुछ वर्षों में काफी उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से दोनों देशों के संबंधों में तनाव बना हुआ है। हालांकि, इस दौरान कई बार बातचीत के जरिए स्थिति को सुधारने की कोशिश की गई है। भारत ने हमेशा शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की है, जबकि चीन ने भी व्यापार और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने का प्रयास किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पीएम मोदी का बयान किसी नई रणनीति का संकेत हो सकता है, जिसमें भारत अपने कूटनीतिक रुख को संतुलित रखने की कोशिश कर रहा है। वहीं, चीन की प्रतिक्रिया भी यह दर्शाती है कि वह भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए इच्छुक है।
क्या यह बयान सिर्फ कूटनीतिक औपचारिकता है?
कूटनीति में शब्दों का चुनाव बेहद अहम होता है। कई बार बयान सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अच्छी छवि बनाए रखने के लिए दिए जाते हैं, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और होती है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में भारत और चीन के संबंधों में कोई वास्तविक सुधार देखने को मिलता है या नहीं। भारत-चीन संबंधों को लेकर कई सवाल अब भी अनुत्तरित हैं, जैसे क्या चीन सीमा विवाद पर लचीला रवैया अपनाएगा? क्या भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंधों में कोई नया समझौता होगा? क्या दोनों देशों की सेनाएं वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव कम करने के लिए नए कदम उठाएंगी?
अभी के लिए, पीएम मोदी और चीन की प्रतिक्रिया दोनों ही सकारात्मक संकेत दे रहे हैं, लेकिन यह केवल समय ही बताएगा कि क्या वाकई इन रिश्तों में कोई ठोस सुधार होगा या यह सिर्फ एक औपचारिक बयान भर था।