ट्रंप की चाल से चीन की हालात खराब, दोनों देशों के बीच हो गई पंगे की शुरुआत
जिस बात की चर्चा सबसे ज्यादा चल रही थी। आखिरकार वह बात सच साबित हो गई। डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने के बाद दुनिया के कई देशों की हालात खराब है। लेकिन इनमें चीन सबसे ज्यादा डरा और सहमा हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी वापसी होते ही चीन से पंगे की शुरुआत कर दी है। अमेरिका और चीन के बीच इस पंगे को लेकर भारत पर किसी भी तरह का कोई असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते काफी अच्छे हैं। बता दें कि दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में से एक अमेरिका की कमान संभालते ही डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी टीम बनानी शुरू कर दी है। ट्रंप ने 3 बड़े पदों पर चयन प्रक्रिया पूरी कर ली है। इनमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ( एनएसए ), विदेश मंत्री और वित्त मंत्री जैसे तीन अहम पदों पर मंत्रियों के नाम की घोषणा कर दी है। ट्रंप के इस फैसले पर चीन पर काफी गहरा असर पड़ेगा। वहीं भारत के लिए कई तरह की संभावनाओं के रास्ते खुल सकते हैं। तो चलिए जानते हैं कि कौन है वह तीनों नाम ? जिनके आने से चीन की हालात खराब है। तो वही भारत खुशी से झूम रहा है। तीनों ही मंत्रियों के रिश्ते चीन और भारत के साथ किस तरह हैं ? इसके साथ चीन पर कितना गहरा असर पड़ेगा ?
माइक वॉल्ट्ज होंगे अमेरिका के नए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
बता दें कि अफगानिस्तान के साथ मिडिल ईस्ट और अफ्रीका युद्ध के मोर्चों में शामिल हो चुके। माइक वॉल्ट्ज अमेरिका के नए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार होंगे। इन्हें डोनाल्ड ट्रंप ने चुना है। वॉल्ट्ज काफी लंबे समय तक अमेरिका की मजबूत डिफेंस स्ट्रैटजी की वकालत कर चुके हैं। देश की सुरक्षा को मजबूत करने का इनके पास में अच्छा खासा अनुभव है।
वॉल्ट्ज के चुने जाने से चीन खौफ में तो भारत खुशी से झूमा
माइक वॉल्ट्ज अमेरिकी सीनेट में इंडिया कॉकस के प्रमुख हैं। इनका भारत के प्रति रवैया काफी नरम है। जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अमेरिका दौरे पर गए थे। तो कैपिटल हिल में पीएम मोदी के भाषण की पूरी जिम्मेदारी वॉल्ट्ज ने ही संभाली थी। इन्होंने कई मौके पर भारत के साथ व्यापार बढ़ाने को लेकर के भी चर्चा की है। साल 2023 में वॉल्ट्ज की पीएम मोदी के साथ गर्मजोशी के साथ मुलाकात हुई थी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का पद संभालने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि भारत और अमेरिका के रिश्ते काफी मजबूत होंगे। वहीं चीन को लेकर वॉल्ट्ज बड़े आलोचक माने जाते हैं। इन्होंने इससे पहल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ-साथ चीन की भी कड़ी आलोचना की है। पहली बार जब डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभाली थी। उस दौरान चीन पर ट्रंप के टैरिफ लगाने के फैसले पर इन्होंने अपना समर्थन जताया था। ट्रंप की हर एक बयानबाजी का समर्थन किया था। यह चीन के कट्टर आलोचक माने जाते हैं। चीन के द्वारा ताइवान को लेकर कड़े रुख पर भी वह विरोध जता चुके हैं। उनके आने से चीन को व्यापार से लेकर डिफेंस में बड़ा नुकसान हो सकता है।
विदेश मंत्री मार्को रूबियो भी बढ़ाएंगे चीन की टेंशन
डोनाल्ड ट्रंप ने लैटिन अमेरिकन मार्को रूबियो को अगले विदेश मंत्री के लिए चुना है। मार्को रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के दौड़ में भी शामिल थे। लेकिन ट्रंप ने इस पद के लिए किसी और का नाम चुन लिया था।
मार्को रूबियो को लेकर कहा जाता है कि वह एंटी चाइना रुख के लिए जाने जाते हैं। एक समय में रूबियो ने खुले मंच से कहा था कि इंडिया में पैसेफिक अशांति फैलाने में चीन की भूमिका है। वह सीनेट में कई बार चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर मानवाधिकारों के हनन और दक्षिण चीन सागर पर उसकी आलोचना कर चुके हैं। मार्को ने उन सभी नीतियों का भी समर्थन किया है। जिससे चीन पर आर्थिक दबाव बढ़ाया जा सके। भारत के प्रति संबंधों को लेकर मार्को मुखर समर्थक रहे हैं। हिंद- प्रशांत इलाके में इन्हें एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में जाना जाता है। बीते कई सालों में भारत और अमेरिका के रिश्तों को और भी गहरा करने के लिए कई बार वकालत कर चुके हैं। खास तौर से रक्षा और व्यापार मसले पर इन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है। मार्को का यह भी मानना है कि एशिया में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए भारत बड़ी भूमिका निभा सकता है। इन्होंने आर्थिक हितों को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियों की वकालत की है।
ट्रंप के सबसे खास वित्त मंत्री करेंगे चीन की हालात खराब
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के बिजनेसमैन और निवेशक स्कॉट बेटेंस को अमेरिका के नए वित्तमंत्री के रूप में चुना है। ट्रंप के द्वारा वित्त मंत्री घोषित किए जाने से पहले स्कॉट ने मार- ए-लागो में उनसे मुलाकात की थी। स्कॉट को भी चीन की नीतियों के खिलाफ माना जाता है। ऐसे में वह चीन के लिए सिरदर्द बन सकते हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने से पहले ही प्रचार-प्रसार में इस बात का ऐलान कर दिया है कि वह अमेरिका के सबसे पहले हितों को और घरेलू प्रोडक्शन पर काम करेंगे। स्कॉट का भारत के प्रति रुख काफी मुखर है। भारत को बड़े बाजार के तौर पर देखते हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने पर जोर दे सकते हैं।