Guyana के President Irfan Ali का UP से है 186 साल पुराना रिश्ता, जानिये कहां के रहन वाले थे उनके पूर्वज ?
India से Guyana का है बहुत गहरा रिश्ता जहां की 40 फीसदी आबादी भारतीय मूल की है तो वहीं राष्ट्रपति इरफान अली का भी योगी के यूपी से है गहरा रिश्ता !
गयाना। दक्षिण अमेरिका में बसा एक ऐसा देश है। जहां भारी संख्या में हिंदू समुदाय के लोग रहते हैं। लेकिन इसके बावजूद 56 साल तक भारत का कोई भी प्रधानमंत्री गयाना की धरती पर कदम नहीं रख सका। 56 साल का ये इंतजार उस वक्त खत्म हुआ। जब 20 नवंबर को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गयाना पहुंचे.।
भारत के प्रधानमंत्री का गयाना की धरती पर कदम रखना। वहां के लोगों के लिए कितना बड़ा ऐतिहासिक पल था। ये इसी बात से समझ सकते हैं कि पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए खुद गयाना के राष्ट्रपति इरफान अली अपने मंत्रियों की फौज के साथ पहुंचे।और बड़े ही गर्मजोशी के साथ पीएम मोदी को गले लगाकर उनका स्वागत किया।
करीब दस सेकेंड तक इरफान अली और पीएम मोदी एक दूसरे को बड़ी ही आत्मीयता के साथ गले लगाते रहे। जिससे देख कर लग रहा था जैसे वर्षों बाद कोई अपना मिलने आया हो।
भारत के प्रधानमंत्री के लिए ये भाव। ये प्यार। ये सम्मान यूं ही नहीं है। इरफान अली आज भले ही गयाना के राष्ट्रपति हों। जन्म से इसी गयाना के नागरिक हों। लेकिन उनकी जड़ें सनातन धर्म। संस्कृति और परंपराओं वाले देश हिंदुस्तान से जुड़ी है। वो भी हिंदुस्तान के उस राज्य उत्तर प्रदेश से। जहां की सत्ता योगी आदित्यनाथ संभाल रहे हैं।
दरअसल दक्षिण अमेरिका में बसा गयाना एक ऐसा देश है। जहां की आबादी आठ लाख है। और इनमें भी चालीस फीसदी से ज्यादा आबादी हिंदुस्तानियों की है। जिनमें राष्ट्रपति इरफान अली भी शामिल हैं। जिनके पूर्वज भारत के रहने वाले थे। 186 साल पहले गिरमिटिया मजदूर के तौर पर गयाना भेजे गये थे। और वहीं के होकर रह गये।
कैसे पहुंचे गयाना ?
भारत पर जब अंग्रेजों का राज था। तब भारी संख्या में भारत के लोगों को दूसरे देशों में मजदूरी करने के लिए भेजा जाता था। 1834 के दशक में भी ऐसा ही हुआ जब भारत से बड़ी संख्या में लोगों को पांच साल के कॉन्ट्रैक्ट पर अमेरिका। अफ्रीका और यूरोपीय देशों में मजदूरी करने के लिए भेजा गया। जिन्हें काम के बदले बहुत ही कम वेतन दिया जाता था। और कठिन शर्तें थोप दी जाती थीं। जिसकी वजह से ये गिरमिटिया मजदूर कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बावजूद कभी वापस हिंदुस्तान नहीं लौट पाए। क्योंकि उनके पास वापस लौटने के लिए पैसे नहीं होते थे। जिसकी वजह से मजबूरी में उन्हें हमेशा के लिए वहीं बसना पड़ा। और आज इन्हीं गिरमिटिया मजदूरों की पीढ़ी गयाना के विकास में अहम योगदान दे रही है। तो वहीं यहां की राजनीति में इनकी पकड़ इतनी मजबूत हो गई है कि।
गयाना: भारतीय मूल के राष्ट्रपति
1992 में पहली बार एक हिंदू छेदी जगन गयाना के राष्ट्रपति बने। 1997 में छेदी जगन की पत्नी जेनेट जगन गयाना की राष्ट्रपति बनीं। जेनेट जगन गयाना की प्रधानमंत्री पहली उप राष्ट्रपति भी रह चुकी हैं। 1999 में अमेठी के रहने वाले भरत जगदेव भी गयाना के राष्ट्रपति बने।
साल 2020 में इरफान अली गयाना के राष्ट्रपति बने। और सबसे बड़ी बात ये है कि उनकी जड़ें भी भारत से जुड़ी हुई हैं। राष्ट्रपति इरफान अली का जन्म भले ही गयाना में हुआ हो। लेकिन उनके माता पिता जहां इंडो गयाना परिवार से थे। तो वहीं परदादा-परदादी का नाम उजियारी और बुझावन थे जो उत्तर प्रदेश के जिला बस्ती के रहने वाले थे, साल 1894 में राइन जहाज से बंधुआ मजदूर के तौर पर परदादी उजियारी और दिलदार समेत उनके चार बच्चे और बहू को अंग्रेजों ने तत्कालीन ब्रिटिश गयाना भेजा दिया था। और फिर वे कभी वापस भारत नहीं लौट सके। यहीं गयाना में बस गये। इरफान अली इन्हीं में से एक दिलदार के वंशज हैं। जो आज गयाना के राष्ट्रपति का पद संभाल रहे हैं। इतना ही नहीं चालीस फीसदी आबादी हिंदुस्तानी मूल की होने के नाते गयाना में होली और दिवाली भी जोर शोर से मनाई जाती है। यहां तक कि होली और दिवाली पर राष्ट्रीय छुट्टी भी होती है। इसी बात से समझ सकते हैं भारत और गयाना की संस्कृति एक दूसरे से कितनी मिलती जुलती है। लेकिन इसके बावजूद 56 साल तक कोई भारतीय प्रधानमंत्री गयाना नहीं गया। 20 नवंबर को जब पीएम मोदी पहुंचे तो ये इंतजार खत्म हुआ। और राष्ट्रपति इरफान अली ने भी पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत करने के साथ ही उन्हें गयाना के सर्वोच्च राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित भी किया। …