कैसे देता है पोप अपने पद से इस्तीफा? जानिए पूरी प्रक्रिया और इतिहास
क्या पोप फ्रांसिस अपने पद से इस्तीफा देंगे? यह सवाल इन दिनों चर्चा में है क्योंकि 88 वर्षीय पोप फ्रांसिस की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही है। दोहरे निमोनिया से जूझ रहे पोप के स्वास्थ्य को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि वे जल्द ही अपना पद छोड़ सकते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि पोप कैसे इस्तीफा देते हैं और फिर नया पोप कैसे चुना जाता है?

वेटिकन सिटी में हलचल तेज़ है। 88 वर्षीय पोप फ्रांसिस की तबीयत पिछले कुछ समय से ठीक नहीं चल रही। उन्हें दोहरा निमोनिया हुआ है और उन्हे सांस लेने में परेशानी की खबरें लगातार आ रही हैं। वे रोम के अस्पताल में भर्ती हैं, और वेटिकन लगातार उनके स्वास्थ्य को लेकर अपडेट दे रहा है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि वे कब ठीक होकर लौटेंगे।
इसी बीच एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है, क्या पोप फ्रांसिस अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं? पोप का इस्तीफा कोई साधारण घटना नहीं होती। यह पूरे कैथोलिक चर्च और दुनिया के 1.3 अरब कैथोलिक ईसाइयों के लिए एक ऐतिहासिक घटना होती है। अगर पोप फ्रांसिस इस्तीफा देते हैं, तो कैसे और किस प्रक्रिया के तहत नए पोप का चुनाव होगा? इस पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।
कैथोलिक चर्च के 2000 साल के इतिहास में पोप का इस्तीफा देना बहुत ही दुर्लभ घटना रही है। हालांकि, ऐसा पहले भी हुआ है, लेकिन यह कोई सामान्य परंपरा नहीं है। यदि कोई पोप स्वयं को शारीरिक या मानसिक रूप से असमर्थ महसूस करता है, तो वह स्वेच्छा से अपने पद से इस्तीफा दे सकता है। पोप का पद एक आजन्म कार्यकाल माना जाता है, यानी कि जब तक वे जीवित हैं, तब तक वे इस पद पर बने रहते हैं। लेकिन इतिहास में कुछ विशेष परिस्थितियों में पोपों ने खुद ही यह पद छोड़ने का फैसला लिया है।
कब-कब पोप ने इस्तीफा दिया?
इतिहास में अब तक केवल चार पोपों ने स्वेच्छा से अपना पद छोड़ा है, और हर बार इसके पीछे की परिस्थितियाँ अलग-अलग रही हैं। सबसे हालिया उदाहरण पोप बेनेडिक्ट XVI का है, जिन्होंने 2013 में अपने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया था। उनका इस्तीफा चर्च के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि इससे पहले 600 सालों तक किसी भी पोप ने अपना पद नहीं छोड़ा था। उनके इस्तीफे के बाद उन्हें "पोप एमेरिटस" की उपाधि दी गई, जिसका अर्थ है कि वे भले ही पोप न रहे हों, लेकिन उन्हें सम्मानपूर्वक पोप के रूप में पहचाना जाएगा।
इसके पहले 1415 में पोप ग्रेगरी XII ने चर्च में उस समय चल रहे 'वेस्टर्न स्किज्म' (Western Schism) यानी पोप पद को लेकर चल रहे विवाद को खत्म करने के लिए इस्तीफा दिया था। उस समय एक से अधिक लोग खुद को पोप घोषित कर रहे थे, जिससे चर्च में भारी उथल-पुथल मची हुई थी। ग्रेगरी XII ने एकता स्थापित करने के लिए अपने पद का त्याग कर दिया। 1294 में पोप सेलस्टाइन V ने केवल पांच महीने पोप रहने के बाद ही इस्तीफा दे दिया था। उनका झुकाव संन्यासी जीवन की ओर था, और उन्हें प्रशासनिक जिम्मेदारियों को संभालना कठिन लग रहा था। उन्होंने खुद को इस पद के लिए अयोग्य मानते हुए त्यागपत्र दे दिया।
सबसे विवादास्पद इस्तीफे की बात करें तो वह पोप बेनेडिक्ट IX का था, जिन्होंने 1045 में पोप पद से इस्तीफा दिया था। उन पर आरोप लगे थे कि उन्होंने पोप पद को बेच दिया है, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को गहरा झटका लगा। यह घटना चर्च के इतिहास में सबसे विवादास्पद इस्तीफों में गिनी जाती है।
पोप कैसे देते हैं इस्तीफा?
अगर पोप फ्रांसिस अपने पद से इस्तीफा देने का निर्णय लेते हैं, तो यह प्रक्रिया चर्च के कानूनों के अनुसार होगी। इसे "रेन्यूंसिएशन" (Renunciation) कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है स्वेच्छा से अपने पद का त्याग करना। इस्तीफा देने से पहले पोप को औपचारिक घोषणा करनी होगी, जो वे लिखित या मौखिक रूप से चर्च के उच्चतम अधिकारियों (कार्डिनल्स) के समक्ष कर सकते हैं। यह घोषणा कैथोलिक चर्च के कानून "Canon 332 §2" के तहत होनी चाहिए, जिसमें साफ तौर पर उल्लेख है कि कोई भी पोप स्वतंत्र इच्छा से इस्तीफा दे सकता है, लेकिन उस पर कोई बाहरी दबाव नहीं होना चाहिए।
पोप के इस्तीफे की घोषणा के बाद, यह तय तारीख से प्रभावी मानी जाएगी। उस दिन से वेटिकन में पोप का पद औपचारिक रूप से खाली हो जाएगा। इसके बाद चर्च की अगली सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया शुरू होगी, जो है नए पोप का चुनाव।
नए पोप का चुनाव कैसे होता है?
पोप के इस्तीफे के बाद या उनके निधन के बाद वेटिकन सिटी में एक विशेष बैठक आयोजित की जाती है, जिसे "कॉन्क्लेव" (Conclave) कहा जाता है। इस बैठक में कैथोलिक चर्च के सबसे वरिष्ठ अधिकारी, जिन्हें "कार्डिनल्स" कहा जाता है, भाग लेते हैं। दुनियाभर में चर्च के कुल 230 कार्डिनल्स होते हैं, लेकिन केवल 80 वर्ष से कम उम्र के कार्डिनल्स को वोटिंग का अधिकार दिया जाता है। यह चुनाव वेटिकन के सिस्टीन चैपल (Sistine Chapel) में होता है और इसे पूरी तरह गोपनीय रखा जाता है। चुनाव प्रक्रिया के दौरान कार्डिनल्स को बाहरी दुनिया से पूरी तरह अलग-थलग रखा जाता है, ताकि उन पर किसी भी तरह का राजनीतिक या सामाजिक दबाव न पड़े।
नए पोप को चुनने के लिए 2/3 बहुमत आवश्यक होता है। मतदान कई दौरों तक चलता है, और जब तक बहुमत प्राप्त नहीं होता, तब तक प्रक्रिया जारी रहती है। हर मतदान के बाद मतपत्रों (Ballot Papers) को जलाया जाता है, और इससे निकलने वाले धुएं के रंग से जनता को संकेत दिया जाता है। अगर चिमनी से काला धुआं निकलता है, तो इसका मतलब है कि नया पोप नहीं चुना गया। लेकिन जब सफेद धुआं निकलता है, तो इसका अर्थ होता है कि नया पोप चुन लिया गया है।
लेकिन अब आप सोच रहे होंगे कि पोप के चुनाव की आधिकारिक घोषणा कैसे होती है? तो हम आपको बता दें कि जैसे ही नया पोप चुना जाता है, वेटिकन के संत पीटर बेसिलिका (St. Peter’s Basilica) की बालकनी से घोषणा की जाती है। लैटिन भाषा में यह शब्द कहे जाते हैं "Habemus Papam", जिसका अर्थ होता है, "हमारे पास नया पोप है।" इसके बाद नव-निर्वाचित पोप बालकनी पर आते हैं और दुनिया को अपना पहला आशीर्वाद देते हैं।
क्या पोप फ्रांसिस इस्तीफा देंगे या नहीं?
फिलहाल पोप फ्रांसिस ने अपने इस्तीफे को लेकर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, उनकी उम्र और गिरती सेहत को देखते हुए यह संभावना जताई जा रही है कि वे अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। अगर वे ऐसा करते हैं, तो यह इतिहास में केवल पांचवीं बार होगा जब किसी पोप ने स्वेच्छा से पद छोड़ा हो।
अब सभी की नजरें वेटिकन पर टिकी हुई हैं कि आने वाले दिनों में पोप फ्रांसिस क्या निर्णय लेते हैं। क्या वे अपने पद पर बने रहेंगे, या फिर चर्च के इतिहास में एक और नया अध्याय जोड़ेंगे?