जम्मू-कश्मीर में सेना ने टैंकों से किया आतंकियों का सफ़ाया, तस्वीरें देखकर कांप उठे दुश्मन !
एलओसी के पास जम्मू के भट्टल इलाके में सुबह करीब 7 बजकर 26 मिनट पर आतंकियों ने सेना की एंबुलेंस पर हमला किया था। उसका बदले लेने और आतंकियों के सफ़ाए के लिए सेना ने BMP - 2 टैंक को उतार दिया।
ये तस्वीरें ना तो इज़रायल हमास जंग की है ना ही रूस यूक्रेन जंग की। बल्कि ये नजारा भारत के कश्मीर का है। जहां वैसे तो बर्फ़ पड़ने वाली है लेकिन उससे पहले वहाँ टैंकों की गड़गड़ाहट ने तापमान बढ़ा दिया है। आतंकियों को खोजकर ठोकने वाली भारतीय सेना अब उनपर टैंक लेकर ऐसी टूट पड़ी मानों भूचाल आ गया हो। आतंकी जिस बिल में भी छुपे बैठे हो अब उनको बाहर निकालने की जगह उनकी कब्र उसी बिल में बनाने की तैयारी है। भारत के दुश्मनों को ऐसी ख़ौफ़नाक मौत दी जा रही है कि उसके बारे में सुनकर भी पानी गले से नीचे नहीं उतरेगा। आतंकियों को पालने वालों की पैंट गीली हो जाएगी। दरअसल, ये तस्वीरें उस ऑपरेशन की है जिसमें सेना की एम्बुलेंस पर हमला कर भागने वाले आतंकियों को जहान्नुम पहुँचाया गया। बीते सोमवार को एलओसी के पास जम्मू के भट्टल इलाके में सुबह करीब 7 बजकर 26 मिनट पर आतंकियों ने सेना की एंबुलेंस पर हमला किया था, इसमें जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन हमले के बाद आतंकी जंगल में जाकर छिप गए। जिनकी तलाश में सुरक्षाबलों ने सर्च ऑपरेशन चलाया और 27 घंटे की मुठभेड़ के बाद तीन आतंकवादियों को जहन्नुम पहुंचाने में सफल रहे।
सुरक्षाबलों ने जम्मू के अखनूर में दहशतगर्दों को घेरने के लिए बीएमपी कॉम्बैट व्हीकल्स उतार डाले. बीएमपी कॉम्बैट व्हीकल्स आमतौर पर जंग के मैदान में देखे जाते हैं। आसमान से सेना के हेलिकॉप्टर जंगल में छिपे आतंकवादियों की टोह ले रहे थे। नदी के दोनों ओर पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों ने मोर्चा ले रखा था। खेतों-खलिहानों से होकर सेना के बख्तरबंद वाहन दहशतगर्दों के करीब पहुंचने की कोशिश कर रहे थे। जंगलों और झाड़ियों के बीच पूरी तैनाती के बाद। जब ऑपरेशन चालू हुआ तो पूरा इलाका धमाकों से गूंज उठा। इस बड़े ऑपरेशन में भारतीय सेना के 32 फील्ड रेजिमेंट के जवानों से लेकर 9 पैरा एसएफ, एनएसजी कमांडो, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान शामिल रहे। इतना ही नहीं ऑपरेशन में AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की भी मदद ली गई। और आख़िरकार तीनों आतंकियों को ठिकाने लगा दिया गया। आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन खत्म होने के बाद सेना के मेजर जनरल, समीर श्रीवास्तव ने बताया कि इस ऑपरेशन में हमने अपने एक जाँबाज़ आर्मी डॉग फैंटम खो दिया। वहीं उन्होंने ये भी बताया कि आख़िर ऑपरेशन में बीएमपी टैंक का इस्तेमाल क्यों किया गया।
आतंकियों को उनकी सही जगह पहुँचा दिया गया। लेकिन अब आप भारतीय सेना के उस BMP - 2 के बारे में भी जान लीजिए जिसे इस ऑपरेशन में आतंकियों के सफ़ाये के लिए उतरा गया। अखनूर में आतंकियों के खिलाफ भारतीय सेना ने अपने जिस बख्तरबंद वाहन BMP-2 का इस्तेमाल किया. इसे सोवियत रूस ने बनाया था। रूसी भाषा में इंफैन्ट्री कॉम्बैट व्हीकल के लिए, BMP शॉर्ट फॉर्म का इस्तेमाल होता है। यह पैदल सेना का लड़ाकू वाहन है, जो सैनिकों को लाने और ले जाने के अलावा रणभूमि में भी काम आता है। इसमें 30 मिमी की ऑटोमैटिक तोप लगी होती है। इसके अलावा एक मशीन गन और जरूरत पड़ने पर इसमें एंटी-टैंक मिसाइलें भी लगाई जा सकती हैं। फायर पावर के अलावा इसकी एक खूबी ये भी है कि ये जमीन के अलावा पानी में भी चल सकता है। अखनूर के पास से बहने वाली चिनाब नदी के किनारे मौजूद आतंकियों का सफाया करने के लिए BMP - 2 ने नदी को पार किया और फिर कार्रवाई की। ये बख्तरबंद वाहन कुल 10 सैनिकों को जंग और आतंक प्रभावित इलाके में सुरक्षित ले जा सकता है ।इन 10 सैनिकों में तीन चालक दल के सदस्य होते हैं- एक कमांडर, दूसरा गनर और तीसरा ड्राइवर इनके अलावा 7 सशस्त्र जवान सवार हो सकते हैं। जम्मू-कश्मीर में इन लड़ाकू वाहनों का इस्तेमाल कई दशकों के बाद किया जा रहा है। और अब ये नज़ारा देखकर हर कोई हैरान है।