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2025 में ट्रम्प की वापसी से भारत को मिल सकती हैं ये बड़ी सौगात

भारत ट्रम्प की वापसी को सकारात्मक दृष्टि से देख रहा है, क्योंकि इससे भारत-अमेरिका के मजबूत रिश्तों को नया बल मिलेगा। "हाउडी मोदी" और "नमस्ते ट्रम्प" जैसे भव्य आयोजनों में ट्रम्प ने भारतीय समुदाय का जो सम्मान दिखाया, उससे उनकी भारतीयों के प्रति सद्भावना स्पष्ट होती है। जनवरी में जब वे सत्ता में आएंगे, तब से भारत को अमेरिका के साथ सहयोग के कई नए अवसर मिल सकते हैं।
2025 में ट्रम्प की वापसी से भारत को मिल सकती हैं ये बड़ी सौगात
डोनाल्ड ट्रम्प की आगामी वापसी को लेकर भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार और भारतीय जनता में बड़ी उम्मीदें हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में ट्रम्प के आने से भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक और सुरक्षा संबंधों में अधिक मजबूती आएगी। दोनों देशों के बीच पिछले कुछ वर्षों में व्यापारिक तनाव के बावजूद, पीएम मोदी और ट्रम्प के बीच एक गहरा संबंध है, जो भारत-अमेरिका के साझेदारी को और भी मजबूत बना सकता है।

हाल ही में, प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति-निर्वाचित ट्रम्प से संपर्क किया। दोनों नेताओं के बीच लगभग 30 मिनट की गर्मजोशी भरी बातचीत हुई, जिसमें ट्रम्प ने भारत और मोदी को अमेरिका के सच्चे दोस्त बताया। मोदी ने ट्रम्प की जीत पर उन्हें बधाई दी और सोशल मीडिया पर भी उनकी तारीफ की। यह बातचीत भारत-अमेरिका के बीच मित्रता को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत और अमेरिका की साझा प्राथमिकताएं
ट्रम्प का "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" नारा और मोदी का "इंडिया फर्स्ट" सिद्धांत एक जैसी प्राथमिकताओं पर आधारित हैं। दोनों नेता अपने देशों की सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई में विश्वास रखते हैं। यह समानता भारत और अमेरिका के बीच सहयोग को और बढ़ावा दे सकती है।

ट्रम्प के पिछले कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फैसले हुए जो भारत के हित में रहे। उन्होंने 2017 में QUAD (भारत, अमेरिका, जापान, और ऑस्ट्रेलिया का समूह) की शुरुआत की ताकि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शक्ति संतुलन बना रहे। इसके अलावा, जब 2020 में पूर्वी लद्दाख में PLA का अतिक्रमण हुआ, तो ट्रम्प ने भारत का समर्थन किया। उन्होंने भारतीय नौसेना के लिए दो सी गार्जियन ड्रोन की लीज को मंजूरी दी और प्रीडेटर ड्रोन की बिक्री के लिए भी हरी झंडी दिखाई। इसी के साथ ही ट्रम्प ने 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को भी समझा और उसका समर्थन किया। उन्होंने भारत की संप्रभुता का सम्मान किया और पाकिस्तान के साथ किसी भी अप्राकृतिक हस्तक्षेप से बचते रहे।

व्यापारिक हित और सहयोग

भले ही ट्रम्प और भारत के बीच व्यापारिक करों को लेकर असहमति रही हो, लेकिन उन्होंने हमेशा भारत में अधिक निवेश की वकालत की है। उनकी अमेरिका-प्रथम नीति के तहत, वे चाहते हैं कि अमेरिका में निर्माण और रोजगार बढ़े, लेकिन इसके बावजूद, वे भारत के साथ गहरे निवेशिक संबंध बनाए रखने में रुचि रखते हैं।

ट्रम्प की आतंकवाद के प्रति सख्त नीति

ट्रम्प ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। उनके पिछले कार्यकाल में अमेरिका ने ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के प्रमुख कासिम सुलेमानी को निशाना बनाया था, जो वेस्ट एशिया में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल थे। ट्रम्प की सख्त नीति से भारत को भी लाभ हो सकता है क्योंकि वे आतंकवाद के खिलाफ भारत के संघर्ष को समझते हैं।

यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में अमेरिकी दृष्टिकोण

ट्रम्प ने अपने चुनावी प्रचार के दौरान यह संकेत दिया था कि वे रूस-यूक्रेन युद्ध का समाधान चाहते हैं ताकि अमेरिकी संसाधनों का उपयोग देश में हो सके। इस दिशा में, ट्रम्प राष्ट्रपति पुतिन से बातचीत करके यूक्रेन युद्ध में शांति स्थापित करने की कोशिश कर सकते हैं। इसके अलावा, पश्चिम एशिया में, गाजा में चल रही हिंसा को खत्म करने के लिए वे इजरायल को समर्थन देंगे, लेकिन ईरान के खिलाफ भी सख्त कदम उठाएंगे।
भारतीय दृष्टिकोण से ट्रम्प की वापसी
भारत ट्रम्प की वापसी को सकारात्मक दृष्टि से देख रहा है, क्योंकि इससे भारत-अमेरिका के मजबूत रिश्तों को नया बल मिलेगा। "हाउडी मोदी" और "नमस्ते ट्रम्प" जैसे भव्य आयोजनों में ट्रम्प ने भारतीय समुदाय का जो सम्मान दिखाया, उससे उनकी भारतीयों के प्रति सद्भावना स्पष्ट होती है। जनवरी में जब वे सत्ता में आएंगे, तब से भारत को अमेरिका के साथ सहयोग के कई नए अवसर मिल सकते हैं।

ट्रम्प का दूसरा कार्यकाल भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकता है। दोनों देशों के पास एक दूसरे के साथ सहयोग करने के लिए कई आर्थिक, सामरिक, और सांस्कृतिक क्षेत्र हैं। भारत को उम्मीद है कि ट्रम्प का नेतृत्व अमेरिका को एक शक्तिशाली और विश्वसनीय साझेदार के रूप में प्रस्तुत करेगा, जिससे भारत की अपनी वैश्विक स्थिति को भी लाभ होगा।
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