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ईरान पर हमले के लिए इजरायल को चुकानी पड़ेगी कीमत, ईरान के विदेश मंत्री का कड़ा संदेश

ईरान के विदेश मंत्री सैय्यद अब्बास अराघची ने इजरायल को कड़ी चेतावनी दी है कि अगर उसने ईरान पर हमला किया तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। तेहरान में एक उच्चस्तरीय बैठक में अराघची ने कहा कि इजरायल और उसके समर्थक हमले के लिए कानूनी और राजनीतिक रूप से जवाबदेह हैं। उन्होंने अमेरिका को भी इजरायल की आक्रामकता में भागीदार ठहराते हुए कहा कि ईरान अपनी सुरक्षा के लिए हर कदम उठाने को तैयार है। इस बढ़ते तनाव से मध्य पूर्व में स्थिरता को खतरा हो सकता है।
ईरान पर हमले के लिए इजरायल को चुकानी पड़ेगी कीमत, ईरान के विदेश मंत्री का कड़ा संदेश
मध्य पूर्व में हालिया तनाव के बीच ईरान के विदेश मंत्री सैय्यद अब्बास अराघची ने एक सख्त बयान जारी करते हुए कहा है कि अगर इजरायल ने ईरान पर हमला किया तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। यह बयान तेहरान में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान आया, जिसमें ईरानी राजदूतों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख शामिल थे। विदेश मंत्री अराघची ने साफ कहा कि ईरान पर हमला करने के लिए इजरायल और उसके सहयोगी कानूनी और राजनीतिक जिम्मेदारियों से नहीं बच सकते।
ईरान का सख्त संदेश
ईरानी विदेश मंत्री अराघची ने यह स्पष्ट किया कि ईरान अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है और अगर कोई आक्रमण होता है तो वह उसका उचित जवाब देने के अपने अधिकार को सुरक्षित रखता है। उन्होंने यह भी बताया कि ईरानी सशस्त्र बल और वायु रक्षा तंत्र पूरी तरह सतर्क हैं और किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम हैं। अराघची के अनुसार, "हम अपने देश की संप्रभुता और सुरक्षा के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं और कोई भी हमला ईरान के लिए एक कड़ा जवाब लेकर आएगा।" इस बयान ने ईरान की दृढ़ता को और भी स्पष्ट किया कि वह अपनी सुरक्षा को लेकर किसी भी प्रकार की चुनौती से पीछे नहीं हटेगा।

इजरायल का जवाबी हमला और ईरान की प्रतिक्रिया

कुछ दिनों पहले इजरायल रक्षा बलों ने यह घोषणा की थी कि उन्होंने ईरान के कुछ ठिकानों पर सटीक और टारगेटेड हवाई हमले किए हैं, जो उनके अनुसार हाल ही में इजरायल पर हुए हमलों का जवाब थे। हालांकि, ईरानी वायु रक्षा मुख्यालय ने इस बात का दावा किया कि उन्होंने इन इजरायली हमलों को सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया, जिससे उन्हें केवल मामूली नुकसान हुआ। इस प्रतिक्रिया के बाद से ईरान में सुरक्षा को और भी मजबूत कर दिया गया है, और यह कहा जा रहा है कि यदि अगली बार हमला हुआ तो ईरान अपनी शक्ति का उपयोग करने से बिल्कुल नहीं हिचकिचाएगा।

इस मामले में ईरान ने इजरायल के साथ-साथ अमेरिका को भी दोषी ठहराया है। विदेश मंत्री अराघची का कहना है कि अमेरिका द्वारा इजरायल को समर्थन देने से स्थिति और भी बिगड़ रही है। ईरान का मानना है कि अमेरिकी समर्थन के कारण ही इजरायल की आक्रामकता बढ़ी है, और इसके चलते क्षेत्र में अस्थिरता का खतरा बढ़ रहा है। अराघची ने कहा कि, "हम मानते हैं कि इजरायल के किसी भी आक्रामक कदम में अमेरिका उसका भागीदार है, और हम इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते।" उन्होंने यह भी कहा कि कुछ यूरोपीय देश भी इस संघर्ष में इजरायल का परोक्ष समर्थन कर रहे हैं, जो क्षेत्र में शांति के लिए खतरा है।

ईरान की रक्षा ताकत और तैयारियाँ

ईरान की सेना ने हाल ही में अपनी वायु रक्षा और मिसाइल तंत्र में कई सुधार किए हैं, जिससे उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली और भी मजबूत हुई है। यह भी बताया गया है कि ईरान ने अपने मिसाइल सिस्टम को उस स्तर तक उन्नत कर लिया है कि वह किसी भी दुश्मन देश के मिसाइल हमले को आसानी से निष्क्रिय कर सकता है।

अराघची ने यह भी बताया कि ईरान ने अपने रक्षा बलों को पहले से अधिक मजबूत किया है, जिससे अब वह किसी भी प्रकार की घुसपैठ या हमला का जवाब तेजी से और सटीकता से दे सकेगा।

तेहरान में उच्च स्तरीय बैठक: क्या है रणनीति?

इस विषय पर राजधानी तेहरान में एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें ईरान के राजदूत, अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि और संयुक्त राष्ट्र कार्यालयों के प्रमुख उपस्थित थे। इस बैठक में अराघची ने साफ किया कि यदि इजरायल या उसके किसी सहयोगी देश ने ईरान पर हमला किया, तो वह उसे अंतरराष्ट्रीय अदालतों में ले जाकर भी जवाबदेह ठहराएंगे।

ईरान का कहना है कि उसकी कूटनीतिक रणनीति केवल हमलों का जवाब देने तक सीमित नहीं है, बल्कि वह वैश्विक मंचों पर भी इन हमलों की निंदा करेगा और न्याय की मांग करेगा। अराघची ने अपने बयान में यह भी जोड़ा कि ईरान शांति और स्थिरता का पक्षधर है, लेकिन इस शांति को बरकरार रखने के लिए हर देश का सहयोग जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि इजरायल ने अपने आक्रामक रुख में बदलाव नहीं किया तो इसके परिणाम बहुत गंभीर हो सकते हैं और इससे क्षेत्रीय शांति को भी खतरा हो सकता है। उन्होंने अन्य देशों से भी अपील की कि वे इस संघर्ष में मध्यस्थता करें ताकि सैन्य तनाव को कम किया जा सके और मध्य पूर्व में स्थिरता बनी रहे। हालांकि इजरायल-ईरान के बीच बढ़ते इस तनाव को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भी चिंता जताई जा रही है। कुछ देशों का मानना है कि इजरायल और ईरान का सैन्य संघर्ष पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में स्थिरता को खतरे में डाल सकता है। वहीं संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी शांति बनाए रखने के लिए बातचीत का प्रस्ताव कर रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इजरायल और ईरान के बीच इस संघर्ष का समाधान कूटनीतिक बातचीत में ही निहित है, क्योंकि सैन्य हमले से न केवल इन दोनों देशों के नागरिकों का जीवन प्रभावित हो सकता है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र में अस्थिरता का कारण बन सकता है।

ईरान और इजरायल के बीच यह तनाव मध्य पूर्व में एक बड़ा संकट पैदा कर सकता है। दोनों देशों का सैन्य बल और उनके समर्थन वाले गुट इस तनाव को और भी जटिल बना रहे हैं। ईरान के विदेश मंत्री द्वारा जारी यह चेतावनी स्पष्ट संकेत देती है कि अगर कोई हमला हुआ, तो ईरान उसका जोरदार जवाब देगा। अब देखने वाली बात यह है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस विवाद को शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में कैसे ले जाता है, क्योंकि यह टकराव न केवल इन देशों के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक गहरा असर छोड़ सकता है।
Source- IANS
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