लाहौर का असली नाम था लवपुर! भगवान राम के पुत्र से जुड़ा है इसका ऐतिहासिक
हाल ही में कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने एक चौंकाने वाला दावा किया है कि पाकिस्तान के लाहौर में भगवान राम के पुत्र लव की समाधि स्थित है। उन्होंने एक्स (Twitter) पर कुछ तस्वीरें साझा कीं और कहा कि लाहौर का नाम पहले ‘लवपुर’ था, जो बाद में लाहौर बना।

क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान के लाहौर शहर का नाम भगवान राम के पुत्र लव के नाम पर पड़ा है? यह दावा किसी आम इतिहासकार का नहीं, बल्कि कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला का है। उन्होंने हाल ही में एक्स (Twitter) पर कुछ तस्वीरें साझा करते हुए बताया कि लाहौर किले के अंदर भगवान राम के बेटे लव की समाधि स्थित है। उनके इस दावे के बाद सोशल मीडिया पर सनसनी फैल गई और इतिहास में रुचि रखने वाले लोग इस दावे को लेकर गहन चर्चा कर रहे हैं। लेकिन क्या सच में पाकिस्तान के लाहौर शहर की नींव भगवान राम के बेटे लव ने रखी थी? क्या यह सिर्फ एक लोककथा है, या फिर इसके पीछे कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण मौजूद हैं? आइए, इस रहस्य से पर्दा उठाते हैं और जानते हैं कि लवपुर से लाहौर बनने की कहानी क्या है?
लव और कुश की ऐतिहासिक विरासत
प्राचीन हिंदू ग्रंथों के अनुसार, भगवान राम के दो पुत्र थे – लव और कुश। ये दोनों ही राजकुमार अपने पिता की ही तरह वीर, बुद्धिमान और कुशल शासक थे। कई इतिहासकारों का मानना है कि लव ने लाहौर (Love-Pur) और कुश ने कासुर (Kush-Pur) शहर बसाया था। कालांतर में ये दोनों शहर विभाजन के बाद पाकिस्तान का हिस्सा बन गए। भारतीय महाकाव्य रामायण में यह वर्णित है कि लव और कुश ने अयोध्या से अलग होकर अपनी-अपनी राजधानियों की स्थापना की। माना जाता है कि लव ने लाहौर में अपने साम्राज्य की नींव रखी और वहीं उन्होंने अपना शासन स्थापित किया। हालांकि, इस ऐतिहासिक दावे पर मतभेद भी हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि लाहौर का मूल नाम ‘लवपुर’ था, जो समय के साथ बदलकर लाहौर बन गया। लेकिन पाकिस्तान में इस कथा को अधिक मान्यता नहीं दी जाती।
राजीव शुक्ला का दावा
राजीव शुक्ला ने लाहौर किले के अंदर स्थित एक प्राचीन संरचना की तस्वीरें साझा करते हुए दावा किया कि यह भगवान राम के पुत्र लव की समाधि है। उनके अनुसार, यह स्थान विभाजन के बाद से उपेक्षित रहा और इसकी ऐतिहासिक महत्ता को भुला दिया गया। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा: "पाकिस्तान में भगवान राम के पुत्र लव की समाधि है। लाहौर का नाम पहले लवपुर था, जो बाद में बदलकर लाहौर बन गया। यह समाधि लाहौर किले के अंदर स्थित है, लेकिन बहुत कम लोग इसके बारे में जानते हैं।" उनके इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। कुछ लोगों ने इस दावे का समर्थन किया, तो कुछ ने इसे एक मिथक करार दिया।
क्या कहते हैं इतिहासकार?
इतिहासकारों के बीच इस विषय को लेकर मतभेद हैं। कई ऐतिहासिक दस्तावेजों में इस बात का जिक्र मिलता है कि लाहौर का प्राचीन नाम ‘लवपुर’ था। हालांकि, इस बात के ठोस प्रमाण कम ही मिलते हैं। प्रसिद्ध इतिहासकार हाफ़िज़ महमूद शीरानी ने अपनी किताब पंजाब इन ऐंशिएंट टाइम्स में लिखा है कि लाहौर का नाम संस्कृत शब्द 'लव' से लिया गया है। उनकी रिसर्च के अनुसार, यहां पर प्राचीन हिंदू सभ्यता का प्रभाव था और इसका नामकरण भी उसी आधार पर हुआ। वही दूसरी ओर, कुछ मुस्लिम इतिहासकारों का मानना है कि लाहौर का नाम अरबी या फारसी भाषा से आया है और इसका हिंदू इतिहास से कोई संबंध नहीं है।
लाहौर किले की रहस्यमयी संरचना
लाहौर किला, जिसे शाही किला भी कहा जाता है, पाकिस्तान का एक ऐतिहासिक स्मारक है, जो 16वीं शताब्दी में मुगलों द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था। लेकिन इस किले के कुछ हिस्से मुगलों से भी पहले के बताए जाते हैं। इसी किले के भीतर एक प्राचीन संरचना मौजूद है, जिसे राजीव शुक्ला ने लव की समाधि बताया है। हालांकि पाकिस्तानी पुरातत्व विभाग इस स्थान को एक रहस्यमयी संरचना मानता है और इसे ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा मानता है। लेकिन वे इसे लव की समाधि मानने से इनकार करते हैं।
हालांकि राजीव शुक्ला के इस दावे के बाद सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है। कुछ लोग इसे भारत और पाकिस्तान के साझा इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं, तो कुछ इसे एक धार्मिक मिथक करार देते हैं। भारतीय यूजर्स ने इस खबर को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दीं एक यूजर ने लिखा "अगर यह सच है, तो यह हमारी विरासत की बड़ी खोज होगी। पाकिस्तान को इसे संरक्षित करना चाहिए।" वही दूसरे यूजर ने कहा "यह सिर्फ एक लोककथा है, इसे ऐतिहासिक तथ्य नहीं माना जा सकता।" पाकिस्तानी यूजर्स में से कुछ ने इस दावे को खारिज किया, जबकि कुछ ने कहा कि इस पर और शोध किया जाना चाहिए।
पाकिस्तान में भारतीय इतिहास के छिपे खजाने
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान में भारतीय इतिहास से जुड़ी कोई संरचना चर्चा में आई हो। इससे पहले टकसिला विश्वविद्यालय (Taxila University), जो प्राचीन भारत का सबसे बड़ा शिक्षा केंद्र था, वह आज पाकिस्तान में स्थित है। कटासराज मंदिर (Katas Raj Temple) जो भगवान शिव से जुड़ा है, वह भी पाकिस्तान में है। हिंगलाज माता मंदिर (Hinglaj Mata Temple) भी पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है। इससे साफ होता है कि विभाजन से पहले का भारत एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर से समृद्ध राष्ट्र था।
राजीव शुक्ला के इस दावे ने इतिहासकारों, पुरातत्वविदों और शोधकर्ताओं के लिए एक नया विषय खोल दिया है। अगर वास्तव में लव की समाधि पाकिस्तान में मौजूद है, तो यह हिंदू धर्म और भारतीय इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण खोज हो सकती है। अब सवाल यह उठता है कि क्या पाकिस्तान सरकार इस पर कोई आधिकारिक शोध कराएगी? क्या इस दावे को लेकर कोई पुरातत्व अध्ययन किया जाएगा?
इस रहस्य से पर्दा हटाने के लिए गहन शोध की जरूरत है। लेकिन इतना तो तय है कि भगवान राम के पुत्र लव और उनके द्वारा बसाए गए शहर लाहौर की कहानी ने फिर से इतिहास के पन्नों को खोल दिया है।