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सोशल मीडिया पर एक गलती और अमेरिका में आपकी एंट्री बैन! डोनाल्ड ट्रंप ने जारी किया नया फरमान

अमेरिका में स्टडी या जॉब का सपना देखने वाले लोगों को अब ख़ासा ध्यान रखने की ज़रूरत है. अपने सोशल मीडिया पर अगर कुछ ऐसा किया तो अमेरिका में होगी No Entry… जानिए क्या है ये पॉलिसी
सोशल मीडिया पर एक गलती और अमेरिका में आपकी एंट्री बैन! डोनाल्ड ट्रंप ने जारी किया नया फरमान

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप ने जबसे राष्ट्रपति की गद्दी संभाली है तभी से वो कई नीतियों में बदलाव कर रहें है. अमेरिका फ़र्स्ट का नारा देकर सत्ता हासिल करने वाले ट्रंप अब अपने फैसले के कारण चर्चाओं में बने हुए हैं. इसी कड़ी में उन्होंने प्रवासियों से जुड़े नियमों में बदला किया है. नीति में बदलाव करने का सीधा असर उन लाखों लोगों पर पड़ रहा है, जो अमेरिका में स्टडी या जॉब का सपना देखते हैं. इमिग्रेशन पॉलिसी को ट्रंप ने पहले से काफ़ी ज़्यादा सख़्त बना दिया है. प्रवासियों के लिए अब ये नासूर बनता जा रहा है.


अब अपने एक और नियम से ट्रंप ने हड़कंप मचा दिया है. ये नया नियम भी प्रवासियों के लिए ही है. इसके तहत सोशल मीडिया पर की गई गतिविधियों को भी वीजा और इमिग्रेशन फैसलों में ध्यान में रखा जाएगा. अगर किसी व्यक्ति ने यहूदी विरोधी विचार जाहिर किए हैं या आतंकी संगठनों का समर्थन किया है, तो उसका अमेरिका में प्रवेश वर्जित हो जाएगा. चाहे वह छात्र हो, नौकरी की तलाश में आया यूवा हो, या स्थायी निवास के लिए आवेदन कर रहा व्यक्ति हो. हर किसी पर नए नियम के तहत रोक लगाई जा सकेगी.


क्या कहता है नया नियम? 

अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (USCIS) के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति की सोशल मीडिया गतिविधियों में यहूदी विरोधी विचार, इजराइल के खिलाफ नफरत या ऐसे पोस्ट पाए गए जो उनके खिलाफ नफरत फैलाने वाले हैं, तो उसे बिना किसी वार्निंग के कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. इतना ही नहीं इसके अलावा, अगर कोई हमास, हूती जैसे आतंकी संगठनों का समर्थन करता है और उनके कामों को जायज ठहराया, याफिर इसकी सराहना करता है तो भी उनको देश से निकालने का रास्ता तैयार होगा. जानकारी देते चले कि यह नया नियम लागू कर दिया गया है और यह स्टूडेंट वीजा से लेकर ग्रीन कार्ड तक सभी इमिग्रेशन प्रक्रियाओं पर गहरा प्रभाव डालेगा.


फ़ैसले से लोगों में नाराज़गी 

इस नए नियम के आने के बाद से लोगों में नाराज़गी देखने के मिल सकती है. अमेरिका की तरफ से ऐसे नियम आने के बाद लोग इसे फ्रीडम ऑफ स्पीच पर घातक हमला भी बता रहे हैं. कुछ लोगों का तो ये भी कहना है कि ट्रंप सरकार ज्यूज लॉबी के आगे सरेंडर हो गई है और उसके मुताबिक ही काम कर रही है. वहीं कई लोगों का पूछना है कि इजराइल मनमानी करें तो कोई उसके खिलाफ क्यों नहीं बोले? बता दें, अमेरिका में लगभग 75 लाख यहूदी रहते हैं, जो देश की कुल आबादी का करीब 2.4% हैं. लेकिन संख्या में छोटे इस समुदाय का असर बेहद बड़ा है. माना जाता है कि डोनाल्ड ट्रंप की चुनावी जीत में यहूदी समुदाय का निर्णायक योगदान रहा.

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