बजता रहा Pakistan का राष्ट्रगान, Taliban Diplomates ने कर दी बेइज़्ज़ती
पाकिस्तान में एक कार्यक्रम में बुलाए गए अफगानिस्तान के राजनयिकों ने उस समय खड़ा होने से इंकार कर दिया, जब कार्यक्रम के दौरान पाकिस्तान का राष्ट्रगान बजाया जा रहा था. परंपरा के तहत किसी देश का राष्ट्रगान बजाए जाने के समय दूसरे देश के राजनयिक सम्मान में उस देश के लोगों के साथ खड़े होते हैं. इसके उलट अफगान राजनयिक पाकिस्तानी राष्ट्रगान के दौरान बैठे रहे और मोबाइल चलाते रहे
Pakistan कहां जाए। कहां अपना मुँह छुपाए। किसको बताए अपनी हालत। एक तरफ़ अपने ही देश में लोग देश से अलग होना चाहते हैं। उसके लिए पाकिस्तानी सेना पर आए दिन हमले भी होता हैं। वहीं दूसरी तरफ़ तालिबान शासित अफ़ग़ानिस्तान ने पाकिस्तान की नाक में दम कर रखा हैं। अब तक तो बार्डर से ही तालिबान लड़ाके या अफ़ग़ान सेना पाकिस्तानियों को निशाना बना रही थी लेकिन अब तालिबानी पाकिस्तान में आकर उन्हीं के सोफ़े पर आराम से बैठकर पाकिस्तानी सरकार और पाकिस्तान की तगड़ी बेइज़्ज़ती कर रहे हैं।
दरअसल पाकिस्तान में एक कार्यक्रम में बुलाए गए अफगानिस्तान के राजनयिकों ने उस समय खड़ा होने से इंकार कर दिया, जब कार्यक्रम के दौरान पाकिस्तान का राष्ट्रगान बजाया जा रहा था। परंपरा के तहत किसी देश का राष्ट्रगान बजाए जाने के समय दूसरे देश के राजनयिक सम्मान में उस देश के लोगों के साथ खड़े होते हैं। इसके उलट अफगान राजनयिक पाकिस्तानी राष्ट्रगान के दौरान बैठे रहे और मोबाइल चलाते रहे। अब इसे देखनें के बाद पाकिस्तान में घुसकर उनके सामने उनके मुँह पर करारा तमाचा पड़ा है ये कहना ग़लत नहीं होगा। आपको बता दें ये वाक़या पेशावर में रहमत-उल-आलमीन सम्मेलन के दौरान का है इस कार्यक्रम का आयोजन खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने किया था।
पाकिस्तान और तालिबान सरकार के बीच पिछले कई समय से रिश्ते अच्छे नहीं हैं आए दिन बार्डर पर तनाव की ख़बरें सामने आती हैं। अगस्त, 2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से पाकिस्तान के साथ उनके संबंध अच्छे नहीं रहे हैं। और इस बीच ये तस्वीर सामने आने से पाकिस्तानी तगड़े चिड़ गए हैं। और तालिबान की कड़ी निंदा करते हुए उसे माफ़ी माँगने को कह रहे हैं।
अब जरा सोचिए जो तालिबान अपने देश में लोगों के साथ न जाने क्या क्या करके माफ़ी नहीं माँगता वो पाकिस्तान सा माफ़ी माँगेगा। पाक विशेषज्ञों ने शाकिर के देश से निष्कासित करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने खैबर पख्तूनख्वा सरकार की भी ऐसे व्यक्ति को बुलाने के लिए आलोचना की है, जो पाकिस्तान के राष्ट्रगान की गरिमा का ख्याल नहीं करता और प्रोटोकॉल को भी नहीं मानता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस घटना पर विदेश मंत्रालय को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए।
इस पूरे विवाद पर अफगानी अधिकारियों ने ऐसा जवाब दिया है कि पाकिस्तान को और ज़्यादा मिर्ची लगी होगी। अफगानी अधिकारियों ने कहा है कि "उनके राजनयिक पाकिस्तान का अपमान नहीं करना चाहते थे। पेशावर में मौजूद अफगान काउंसलेट के प्रवक्ता ने कहा,'राष्ट्रगान में संगीत था और हमने अपने राष्ट्रगान में संगीत को प्रतिबंधित कर दिया है। इसी कारण अफगान काउंसल जनरल खड़े नहीं हुए।यदि पाकिस्तानी राष्ट्रगान को बिना संगीत के बजाया जाता तो अफगान राजनयिक निश्चित तौर पर खड़े होते '